शाह के दरबार पहुंचा कस्तूरबा के डॉक्टर्स का मामला… शोला न बन जाए छोटी सी चिंगारी!

-दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने पत्र लिखकर मांगा गृहमंत्री से मिलने का समय
-तीन महीने से नहीं मिली डॉक्टर्स के सेलरी, परिवारों को हो रही परेशानी

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाले कस्तूरबा अस्पताल के डॉक्टर्स की बगावत का मामला अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दरबार में पहुंच गया है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने गृहमंत्री को पत्र लिखकर डॉक्टर्स की परेशानियों के बारे में बताते हुए उनसे मिलने का समय मांगा है।

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बता दें कि कस्तूरबा अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बुधवार को अस्पताल के एडिशनल मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट को पत्र लिखकर अपनी सेलरी दिलाने की गुहार लगाई थी। एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि यदि उन्हें एक सप्ताह के अंदर उनका वेतन नहीं दिया गया तो वह सामूहिक इस्तीफा देंगे। इसके लिए अस्पताल प्रशासन को एसोसिएशन की ओर से 16 जून तक का समय दिया गया है।

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दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के डॉक्टर्स की समस्या का संज्ञान लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि वह रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन कस्तूरबा अस्पताल और म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके उनकी समस्याओं को सुनें।

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गौरतलब है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के डॉक्टर्स को पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। इसके बावजूद यह कोरोना वॉरियर्स अपनी और अपने परिवारों की जान जोखिम में डालकर देश और समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। इन्हें मार्च, अप्रैल और मई माह का वेतन दिया जाना बाकी है और जून मेंहीने में भी 11 दिन जा चुके हैं।

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बता दें कि डॉक्टर्स ने मांग की है कि उनके पास उनके परिवार और बच्चों की जरूरतें पूरी करने तक के पैसे नहीं हैं। बहुत से डॉक्टर्स अपने मकानों का किराया तक नहीं चुका पा रहे हैं। यहां तक कि उनके पास हॉस्पिटल तक आने-जाने के लिए पैसे नहीं हैं। गाड़ियों की सर्विस और पेट्रोल-डीजल डलवाने तक के पैसे नहीं हैं। ऐसी परिस्थितियों में भी वह फ्रंटलाइन वॉरियर्स बने हुए हैं।

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स्थिति के लिए खुद निगम के आला अधिकारी जिम्मेदार
उत्तरी दिल्ली नगर निगम की इस स्थिति के लिए खुद निगम के आला अधिकारी जिम्मेदार हैं। निगम में फैले भ्रष्टाचार ने इसकी कमर तोड़कर रख दी है। पार्किंग, विज्ञापन, बिल्डिंग, इंजीनियरिंग और कई दूसरे विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है। आश्चर्य की बात तो यह है कि निगम के शीर्ष अधिकारी खुद इस काम में लिप्त हैं। निगम के आला अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के कई आरोपियों को निगम के शीर्ष पदों पर तैनात कर रखा है।
निगम का स्वास्थ्य विभाग इसका ताजा उदाहरण है, जहां नियमों को ताक पर रखकर पद बांटे गए हैं। दूसरी ओर निगम के आला अधिकारी विभिन्न विभागों के ईमानदार अधिकारियों को उनके पदों से हटाते जा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण पब्लिसिटी एंड इनफॉरमेशन और आयुष विभाग हैं। जिसकी वजह से निगम का भट्ठा बैठता जा रहा है।
बगावत की चिंगारी भड़की तो शोला बनने में देर नहीं लगेगी
कोरोना महामारी को लेकर दिल्ली में सियासी कोहराम चमा हुआ है। कोविड-19 से होने वाली मौतों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अस्पतालों के जो हालात सामने आ रहे हैं, वह बेहद भयंकर हैं। ऐसे में कस्तूरबा अस्पताल से शुरू हुई डॉक्टर्स की बगावत की यह चिंगारी यदि पूरे उत्तरी दिल्ली नगर निगम में फैली तो शोला बनने में देरनहीं लगेगी। दिल्ली के हालात बहुत ज्यादा बिगड़ जाएंगे। कारण है कि निगम के पांच बड़े और कई छोटे अस्पताल व डिस्पेंसरीज हैं। इनकी वजह से दूसरे अस्पतालों का बोझ काफी हद तक हल्का रहता है। आने वाले दिनों में वैसे भी कोरोना के मरीजों का आंकड़ा कई लाख तक जाने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में यदि हालातों को अभी काबू नहीं किया गया तो आगे और मुश्किलें बढ़ जाएंगी।