-विशेष परिस्थितियों में बढ़ सकता है शैली ओबरॉय का कार्यकाल या फिर भंग होगा नगर निगम!
-शहरी विकास विभाग से लेकर चीफ सैक्रेटरी और सीएम के पास जाती है मेयर चुनाव की फाइल
-‘जेल से सरकार नहीं चलेगी’ पहले ही कह चुके हैं एलजी विनय कुमार सक्सेना
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 4 अप्रैल।
दिल्ली में मेयर (Mayor Election) एवं डिप्टी मेयर का चुनाव होना है परंतु इसकी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही तकनीकी पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में मेयर के चुनाव को लेकर दिलचस्प परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं। नगर निगम (MCD) के भंग होने की स्थिति भी आ सकती है। या फिर विशेष परिस्थितियों में मेयर शैली ओबरॉय का कार्यकाल बढ़ सकता है। कारण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) जेल में हैं और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (LG Vinay Kumar Saxena) पहले ही कह चुके हैं कि ‘जेल से सरकार नहीं चलने दी जायेगी।’
बता दें कि मेयर शैली ओबरॉय का कार्यकाल पूरा हो गया है और नियमानुसार अप्रैल महीने में ही नये मेयर का चुनाव कराया जाना है। बताया जा रहा है कि मेयर का चुनाव 15 से 20 अप्रैल के बीच कराये जाने के लिए फाइल चलाई जा रही है। एक फाइल चुनाव आयोग से मेयर का चुनाव कराने की चलाई गई है और दूसरी फाइल मेयर के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी तय किये जाने के लिए तैयार की गई है। बताया जा रहा है कि निगम सचिव कार्यालय से यह फाइल शुक्रवार को भेजी जायेगी।
परंपरा के अनुसार निवर्तमान मेयर ही पीठासीन अधिकारी बतौर हर वर्ष नये मेयर का चुनाव कराता रहा है। इसके पश्चात नवनिर्वाचित मेयर अपने डिप्टी मेयर का चुनाव कराता है। इसके लिए निगम सचिव कार्यालय ने पीठासीन अधिकारी के नाम की फाइल तैयार कर ली है। पहले इसे मेयर एवं कमिश्नर के हस्ताक्षरों के बाद इसे शहरी विकास विभाग को भेजा जाता है। इसके पश्चात मुख्य सचिव के कार्यालय से होते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचती है और मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के बाद इसे उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है। उपराज्यपाल मेयर चुनाव के लिए तारीख, समय और पीठासीन अधिकारी के नाम की अधिसूचना जारी करते हैं।
परंतु अब परिस्थितियां भिन्न हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं और जेल से सरकार के काम नहीं किये जा सकते। ऐसे में आप सरकार के पास एक विकल्प यह है कि वह कोर्ट जाकर इसके लिए आदेश पारित कराये। दूसरा यह है कि विशेष परिस्थितियों का हवाला देकर मेयर शैली ओबरॉय के कार्यकाल को बढ़ाया जाये। हालांकि यहां यह पेंच भी फंसता है कि नगर निगम के तीसरे वर्ष में अनुसूचित जाति वर्ग से मेयर चुना जाता है। ऐसे में शैली ओबरॉय के कार्यकाल को बढ़ाया जाना संभव नहीं है।
संजय सिंह जेल में रहते राज्यसभा सदस्य बन सकते हैं तो केजरीवाल फाइल पर हस्ताक्षर क्यों नहीं कर सकते?
कुछ लोगों का मानना है कि जेल में रहते हुए संजय सिंह ने राज्यसभा के लिए अपना नामांकन किया और बाद में शपथ भी ली थी, तो अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए मेयर के चुनाव की फाइल पर हस्ताक्षर क्यों नहीं कर सकते? इस बारे में कानून विशेषज्ञ एडवोकेट राकेश शर्मा का कहना है कि संजय सिंह का मामला व्यक्तिगत है और उन्होंने अपने चुनाव के लिए जेल से प्रक्रिया पूरी की है। जबकि मेयर के चुनाव की फाइल पर हस्ताक्षर करने का मामला मुख्यमंत्री कार्यालय का काम जेल से चलाने जैसा है। अतः दोनों परिस्थितियां भिन्न हैं और मेयर के चुनाव के मामले में तकनीकी पेंच फंस सकता है।
जेल मेनुअल में भी नहीं है इस तरह की व्यवस्था
गौरतलब है कि जेल मैनुअल में भी इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री या मंत्री अपने कार्यालय का काम जेल से कर सके। दूसरी ओर उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि अरविंद केजरीवाल को जेल से मुख्यमंत्री बतौर सरकार नहीं चलाने दी जायेगी। बता दें कि देश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी मुख्यमंत्री ने जेल में बैठकर सरकार का कामकाज चलाया हो। ऐसे में फिलहाल मेयर के चुनाव में तकनीकी पेंच फंसता नजर आ रहा है।
उपराज्यपाल कर सकते हैं एमसीडी को भंग करने की सिफारिश
यदि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाने की जिद पर अड़े रहते हैं और मेयर का चुनाव समय से नहीं हुआ तो उपराज्यपाल के पास अधिकार है कि वह एमसीडी एक्ट के अनुसार निगम को भंग करने की सिफारिश करें। गौरतलब है कि निगम में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने मेयर के दो कार्यकाल बीत जाने के बावजूद स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव से लेकर वार्ड कमेटियों एवं विभिन्न समितियों के चुनाव भी नहीं कराये हैं। जबकि कोर्ट की ओर से इसके लिए कोई स्टे नहीं दिया गया है और यह स्थितियां आम आदमी पार्टी के खिलाफ जाती हैं। ऐसे में उपराज्यपाल के पास एक विकल्प नगर निगम को भंग करने की सिफारिश का भी है।