डीबीसी कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार… काम बंद करने की चेतावनी

-डीबीसी कर्मियों को भी मिले एक करोड़ की राशि और परिवार के सदस्य को पक्की नौकरी

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन ने आरोप लगाया है कि डीबीसी कर्मचारियों के साथ सरकार द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान लगातार डीबीसी कर्मी अपनी जान गंवाते जा रहे हैं। सुरक्षा के नाम पर दिल्ली सरकार और नगर निगम ने डीबीसी कर्मियों को कोई भी सहायता राशि, पदनाम या उनके परिवार की सुरक्षा का कोई भी आश्वासन नहीं दिया है। नगर निगम सिर्फ 10 लाख रूपये देकर उसकी जिंदगी का फैसला कर रहा है।

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एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देव आनंद शर्मा ने कहा कि उस 10 लाख की राशि को देने में भी 10 तरह की शर्तें शामिल हं। जबकि इस काल में स्वर्गवास हुए सभी कर्मचारियों को बराबर का हक मिलना चाहिए। और किसी भी कर्मचारी को जो डीवीसी और सीएफडब्ल्यू है उनको अभी तक नहीं मिला है। अपनी जान को जोखिम में डालने वाले इन कर्मचारियों को वेतन भी समय से नहीं दिया जाता है। नार्थ निगम में डीवीसी कर्मचारियों की तनख्वाह 4 महीने से नहीं मिल पा रही है।

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यूनियन के अध्यक्ष देव आनंद शर्मा ने आगे कहा कि डीबीसी कर्मियों के परिवारों के हालात बदतर हो रहे हैं। दिल्ली सरकार और निगम प्रशासन की कार्यशैली पर सबसे बड़ा सवाल है कि कोरोना के चलत निगम में पांच डीबीसी कर्मियों व सीएफडब्ल्यू की मौत हो गई है। जिसका संज्ञान ना दिल्ली सरकार ले रही है और न निगम प्रशासन। जबकि कोरोना काल में डीबीसी कर्मी फ्रंट लाइन कर्मचारी के रूप में कार्य कर रहें है।

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उन्होंने मांग की कि कोरोना योद्धाओं के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए और डीबीसी कर्मचारी की मौत पर उनके आश्रितों को एक करोड़ की सम्मान राशि दी जाए। उसके परिवार के एक सदस्य को पक्की नौकरी भी दी जानी चाहिए जबकि आज एक जिंदगी की कीमत एक करोड़ भी कम होती है। और पिछले 4 महीने से ना मिल रही तनख्वाह जल्द से जल्द दी जाए जिससे कि उसके परिवार का गुजारा ठीक प्रकार से चल सके। अन्यथा निगम कर्मचारी काम बंद हड़ताल पर जाने का निश्चय कर चुका है।