‘7 लाख का साउंड सिस्टम तो 25 लाख कुर्सियों का किराया… ऐसे मच रही केजरीवाल सरकार में लूट’

-छोटे इवेंट करवाकर करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार कर रही केजरीवाल सरकारः हरीश खुराना

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 18 दिसंबर।
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मंत्री हरीश खुराना ने सोमवार को एक प्रेसवार्ता केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार अब भ्रष्टाचार की दुकान बन गई है। यहां रोजाना छोटे-छोटे इवेंट्स करवाकर करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार किया जा रहा है। 1 जुलाई 2022 को प्लास्टिक विकल्प मेला का आयोजन किया गया था। इस दो दिवसीय आयोजन में बिना किसी टेंडर के कुल एक करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च कर दी गई। सवाल यह है कि सरकार में ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए महीनों पहले ही तारीख तय हो जाती है फिर इसका टेंडर क्यों नहीं किया गया? व्यक्तिगत स्तर पर किसी टेंट वाले, बैनर वाले को काम दिए गए और मनमाने ढंग से खर्च राशि दिखाकर पैसे आपस में बांट लिए गए।
हरीश खुराना ने कहा कि हमेशा से यही होता आया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार हर हफ्ते कोई ना कोई कार्यक्रम का आयोजन करती है और उसका टेंडर अपने लोगों को देती है। फिर मनमाने ढंग से पैसे कार्यक्रम के बहाने अपनी जेबों में भरने का काम करते हैं। ऐसा करके वे एक वर्ष में 400 करोड़ रूपये से अपनी जेबों में भरने का काम कर रहे हैं। दो दिवसीय कार्यक्रम में एक करोड़ रुपये के खर्च की राशि हैरान करने वाली है, जिसका खुलासा खुद कार्यक्रम का आयोजक डीपीसीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है।
हरीश खुराना ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार कार्यक्रम के बैनर लगाने का कुल खर्च 15,14,675 रुपये, सुपर टेंट फर्निचर हाउस ने वीआईपी चेयर्स के नाम पर 25,50,460 रुपये दिए गए, लीज लाइन लेने के लिए 2,32,000 रुपये, साउंड सिस्टम पर 7,03,570 और फोटोग्राफी कराने पर 4,70,289 रुपये और चाय नाश्ते पर 2, 97000 रुपये का खर्च दिखाया गया। सिर्फ दो दिन के इवेंट में दो करोड़ रुपये का और उससे हैरान करने वाली बात है कि बिना किसी टेंडर के और बिना किसी जीएम के लेकिन यह पैसा कहां गया इस सवाल का जवाबा अरविंद केजरीवाल देंगे और हम उपराज्यपाल से मांग करते हैं कि इसकी जांच हो ।
खुराना ने कहा कि डीपीसीसी का सीएजी ऑडिट साल 2013 से अभी तक नहीं हो पाया है और उसका कारण भी केजरीवाल सरकार आज तक नहीं दे पाई है। लेकिन अब उसका प्रमुख कारण निकल कर आ रहा है कि एक मामूली इवेंट में अगर इतने पैसे खर्च हुए हैं तो केजरीवाल कैसे उसका ऑडिट करवा सकते हैं?