शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण… जानें शनि देव के व्रत का विधि-विधान

-सूर्य ग्रहण के बावजूद कर सकेंगे शनि देव और वट सावित्री पूजा

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगने जा रहा है। इसी दिन ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पड़ रही है। इससे भी बड़ी और खास बात है कि इस दिन शनि देव की जयंती और वट सावित्री व्रत भी पड़ता है। इसी पावन दिन पर शनि देव का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन सूर्य ग्रहण होने के बावजूद भी श्रद्धालु शनि देव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ कर सकेंगे।

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बता दें कि सामान्य तौर पर सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल मान्य हो जाता है, जिस वजह से मंदिरों में पूजा-अर्चना नहीं की जा सकती है। सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन इस साल लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा जिस वजह से सूतक काल मान्य नहीं होगा। भारत में सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ने जा रहा है, इसलिए विधि-विधान से भगवान की पूजा-अर्चना की जा सकती है।

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इस दिन रोहिणी व्रत भी मनाया जायेगा। 9 जून 2021 को अपरान्ह 1 बजकर 57 मिनट पर अमावश्या की तिथि प्रारंभ होगी और 10 जून 2021 को सायं 4 बजकर 22 मिनट पर अमावश्या की तिथि का समापन होगा। शनि देव को कर्म और सेवा का कारक माना जाता है। शनि देव के अशुभ प्रभावों से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वहीं शनि के शुभ प्रभावों से व्यक्ति को जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि शनि रंक को भी राजा बना सकते हैं।

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आइए जानते हैं कि किस तरह से शनि देव की पूजा करनी चाहिए और किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए…
शनि ग्रह की संचालक देवी माता काली मानी जाती हैं। इस दिन शनि देव के चित्र की उपासना पश्चिम की ओर मुंह करके करें। पूजा के दौरान तेल का दीपक काले तिल डालकर जलाएं। इस दिन गरीबों को भोजन कराएं व वस्त्र आदि का दान करें। यदि घर के पास में पीपल का पेड़ हो तो वहां भी तेल का दीपक जलाएं। पीपल के पेड़ के नीचे शनि पूजन भी किया जा सकता है। अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। लेकिन शनिवार के अलावा अन्य दिन पीपल का स्पर्श नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि शनिवार के अलावा अन्य दिनों में पीपल के पेड़ का स्पर्श करने से धन की हानि होती है। शनिवार के दिन पैसे का लेन-देन करने से बचें। किसी से कर्ज तो बिलकुल भी नहीं लें। शनि अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।

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शनि जयंती के दिन बाल और नाखून बिलकुल नहीं काटें। माना जाता है कि ऐसा करने से तरक्की के रास्ते रूक जाते हैं। वर्तमान समय में कुंभ, धनु और मकर राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। ऐसे में इन राशि वालों को राजा दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इस स्त्रोत का पाठ करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही होती है, वह लोग रोजाना इस स्त्रोत का पाठ करते हैं, तो उन्हें और भी अच्छे फल प्राप्त होते हैं।
शनि देव की आंखों में न देखेंः
धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि शनि देव की आंखों में नहीं देखना चाहिए। शनि देव की पूजा करते समय हमेशा अपनी नजरें नीचे रखें। बता दें कि श्राप के कारण शनि की दृष्टि वक्र हो गई है, ऐसे में पूजा करते समय उनसे आंख मिलाने पर उपासक के जीवन में अशुभता आ सकती है। शनि देव से नजरें मिलाने से आप पर शनि देव की बुरी दिष्टि पड़ सकती है।
मूर्ति के एकदम सामने खड़े न रहेंः
शनिदेव की पूजा बिल्कुल उनकी प्रतिमा के सामने खड़े होकर नहीं करनी चाहिए। शनिदेव के सामने खड़े होकर पूजा करने से अशुभ फल मिल सकता है। अतः इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उनकी प्रतिमा के बिलकुल सामने और सटकर खड़े नहीं हों।
इस तरह करें शनि देव पूजाः
इस बार कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं को अपने घर पर ही शनि देव की पूजा-अर्चना करनी होगी। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं। इस दिन शनि देव को तेल अर्पित करें। शनि देव को पुष्प अर्पित करें। शनि देव को भोग लगाएं। शनि देव की आरती करें। शनि चालीसा का पाठ करें। शनि देव के मंत्रों का जाप करें। इस दिन दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
शनि देव के मंत्र
1. ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु नः।
2. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
3. ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नमः।
4. कोणस्थ पिंगलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोन्तको यमः।
5. सौरिः शनैश्चरो मंदः पिप्पलादेन संस्तुतः।।
दशरथकृत शनि स्त्रोत:
नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नमः ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टेः नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगाः ।
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः ॥10॥
शनि देव को प्रसन्न करने के उपायः
शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए श्रद्धालुओं को शनि देव की पूजा-अर्चना के अलावा प्रति दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके अतिरिक्त भगवान भैरव को कच्चा दूध चढ़ाने, छाया दान करने, कौवे को रोजाना रोटी खिलाने, अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाई कर्मचारियों की सेवा करने के साा ही तिल, उड़द, भेंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान करने से भी शनि देव प्रसन्न होते हैं।