-शिवसेना ने तोड़ा भाजपा से 30 साल पुराना सियासी नाता
-मोदी मंत्रीमंडल से सावंत का इस्तीफा, बीजेपी को बताया झूठा
टीम एटूजेड/ नई दिल्ली-मुंबई
महाराष्ट्र के सियासी समर में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना की दोस्ती धराशायी हो गई है। राज्य में ‘ठाकरे सरकार’ बनाने के लिए शिवसेना ने भाजपा से अपनी 30 साल पुरानी दोस्ती खत्म कर दी है। शिवसेना अब महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाएगी। मुख्यमंत्री पद पर सहमति नहीं बन पाने की वजह से शिवसेना अलग रास्ते पर चल पड़ी है। खास बात यह कि मोदी सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री अरविंद सावंत ने मंत्रीमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया है।
सावंत ने सोमवार की सुबह अपने टृवीट में कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सत्ता में भागीदारी का फॉर्मूला तैयार किया गया था। शिवसेना और बीजेपी दोनों ही दलों को अपने फैसले पर पूरा भरोसा था। ऐसे में उस फॉर्मूले को नकारना शिवसेना के लिए गंभीर खतरा है। महाराष्ट्र में भाजपा ने झूठ का माहौल बनाया हुआ है। जबकि शिवसेना ने हमेशा सच्चाई का साथ दिया है। झूठ के माहौल में नहीं रहा जा सकता, इसलिए मैं केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। सावंत ने अपने ट्वीट में ऐलान किया कि वह प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर प्रेस के सामने अपना पक्ष रखेंगे।
एनसीपी की शर्त पर चली शिवसेनाः
बता दें कि शिवसेना नेता लगातार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के संपर्क में थे। उद्धव ठाकरे नवनिर्वाचित विधायक और अपने बेटे को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उन्होंने यह मांग भाजपा के सामने रखी थी। लेकिन भाजपा नेता आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार थे। अब शिवसेना ने यही मांग एनसीपी के सामने रखी है। जबकि एनसीपी ने शिवसेना के सामने शर्त रखी थी कि यदि उसके सहयोग से सरकार बनानी है तो पहले शिवसेना को भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ना होगा। अब शिवसेना इसी रास्ते पर चल पड़ी है।
राज्यपाल का शिवसेना को बुलावाः
महाराष्ट्र के राज्यपाल भरत कोश्यारी ने रविवार की शाम को शिवसेना को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था। साथ ही उससे पूछा था कि शिवसेना के पास राज्य में सरकार बनाने की क्षमता है। भाजपा के सरकार बनाने से इनकार के बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता भेजा है। ज्ञात हो कि नवनिर्वाचित विधानसभा में भाजपा के पास 105 विधायक हैं। राज्य विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। जबकि दूसरी बड़ी पार्टी शिवसेना के पास विधानसभा में 56 विधायक हैं।
कुछ इस तरह बनेगी सरकारः
ताजा हालातों से स्पष्ट हो गया है कि शिवसेना राज्य में सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस से समर्थन ले रहीं है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के पास कुल 55 विधायक हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के पास कुल 44 विधायक हैं। इस तरह सरकार बनाने का 145 का आंकड़ा पूरा हो जाता है। फिलहाल एनसीपी और कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि वह शिवसेना के साथ सरकार में शामिल नहीं होंगे और सरकार को बाहर से समर्थन देंगे।
निरूपम की कांग्रेस को चेतावनीः
महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस की नजदीकियों पर राज्य कांग्रेस में ही सवाल उठने लगे हैं। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने को बढ़ावा देने वाले कांग्रेसी नेताओं की आलोचना की है। संजय निरुपम ने अपनी पार्टी कांग्रेस और सहयोगी पार्टी एनसीपी को आगाह करते हुए कहा कि भाजपा और उसकी सहयोगी शिवसेना के बीच चल रही जुबानी जंग कुछ और नहीं बल्कि ’नाटक’ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इससे दूर रहना चाहिए।
सजय निरूपम ने ट्वीट किया कि ’उन्हें क्या हो गया है? कोई कांग्रेसी नेता शिवसेना को समर्थन के बारे में सोच भी कैसे सकता है?’ ’कांग्रेस को शिवसेना के नाटक में नहीं उलझना चाहिए। यह झूठा है। यह सत्ता में ज्यादा साझेदारी के लिए उनका अस्थायी झगड़ा है।’ बता दें संजय निरूपम पहले शिवसेना में ही थे लेकिन बाद में वह कांग्रेस में आ गए थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर वह नाराज चल रहे थे।