-2017 में एसडीएमसी के तत्कालीन निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती ने बनाई थी नई पॉलिसी
-सेंसिटिव विभाग में 3 वर्ष व नॉन सेंसिटिव विभागों में 5 साल ही एक जगह रह सकते हैं कर्मी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली, 8 जून, 2022
दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग खास तौर पर अस्पताल प्रशासन विभाग में में लंबे समय से घोर अनियमिततताएं चली आ रही हैं। बिना टेंडर प्रक्रिया के सामान की खरीदारी, माल की आपूर्ति से पहले कंपनियों को एडवांस के भुगतान जैसे मुद्दे तो पहले से ही छाये हुए हैं। अब सीनियर डॉक्टर्स की एक ही स्थान पर वर्षों से चली आ रही नियुक्तियों पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो गये हैं।
ऐसे कई दर्जन डॉक्टर्स और दूसरे पदों पर तैनात लोग हैं जो लंबे समय यानी कि दशकों से नगर निगम के हिंदूराव अस्पताल, कस्तूरबा गांधी अस्पताल, राजन बाबू टीबी हॉस्पिटल और गिरधरलाल प्रसूति अस्पताल एवं पूर्वी दिल्ली के स्वामी दयानंद जनरल अस्पताल में जमे पड़े हैं। अब निगम के स्वास्थ्य विभाग में ही यह सवाल तेजी से उठने लगे हैं कि क्या साल 2017 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा बनाई गई ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी अब उत्तरी दिल्ली के निगम अस्पतालों में भी लागू हो सकेगी।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम के वर्तमान निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती के नेतृत्व में साल 2017 दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने नगर निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए एक नीति तैयार करके लागू की थी। इसके तहत किसी भी सेंसिटिवि विभाग में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी 3 साल से ज्यादा एक ही स्थान पर तैनात नहीं रह सकेगा।
दूसरी ओर नॉन सेंसिटिव विभागों के लिए तय किया गया था कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इन विभागों में 5 साल से ज्यादा समय तक एक ही स्थान पर तैनात नहीं रह सकगा। इस पॉलिसी को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने अपने यहां लागू किया था। लेकिन अब उत्तरी दिल्ली के अस्पतालों में यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या यह पॉलिसी सभी अस्पतालों में लागू होगी? यदि ऐसा होता है तो कई दशकों से एक ही जगह जमे डॉक्टर्स को अपने यहां से हटना पड़ेगा।
हिंदू राव अस्पताल में 15 साल से ज्यादा से जमे पड़े 6 दर्जन डॉक्टर
दिल्ली नगर निगम के सबसे प्रतिष्ठित हिंदू राव अस्पताल में ट्रांसफर-पोस्टिंग की सबसे ज्यादा धज्जियां उड़ रही हैं। ज्ञानेश भारती अब पूरी दिल्ली के निगम आयुक्त हैं और उनके सामने अपनी ही बनाई गई पॉलिसी को लागू करने की बड़ी चुनौती है। बताया जा रहा है कि अकेले हिंदू राव अस्पताल में ही ज्यादातर विभागाध्यक्ष पिछले 15 साल से ज्यादा समय से जमे पड़े हैं। इनमें कुछ लोग तो 1993 से अब तक इसी अस्पताल में तैनात हैं। जबकि नगर निगम के पास दूसरे कई बड़े अस्पताल हैं, जहां इन्हें ट्रांसफर किया जा सकता है।
कस्तूरबा अस्प्ताल में डे़ढ़ दर्जन डॉक्टर्स का कब्जा
दिल्ली नगर निगम का कस्तूरबा प्रसूति अस्पताल भी इस श्रेणी के अस्पतालों में शामिल है, जहां पिछले दो दशकों से कई डॉक्टर्स ने कब्जा जमा रखा है। इनमें मोहिनी पॉल, विनीता साराभाई, पूनम बग्गा, शिवानी, झरना भरूहा, सीमा, आदर्श कौर, हरजीत, सुपर्ना भट्टाचार्जी, रजनी कुकरेजा, बिंदू, मिंटू, सुमन भारती, एसके गुप्ता एवं परमानंद के नाम प्रमुख रूप से बताये जा रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती निष्पक्ष होकर अपनी ही बनाई हुई ट्रोसफर- पोस्टिंग पॉलिसी को लागू कर पाते हैं अथवा नहीं?