बीजेपी में घमासानः “दलित संगठन मंत्री ने नहीं बनने दी ‘वाल्मीकि व्यायामशाला’”!

-नागलोई से दलित पार्षद ज्योति रछौया ने लगाया संगठन महामंत्री पर गंभीर आरोप
-निगम ने अपनी जमीन होने से किया इनकार, फिर किया नामकरण और फिर तोड़ दी व्यायामशाला

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में प्रदेश भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व पार्टी में मचे घमासान को संभाल पाने में नाकाम साबित हो रहा है। पार्टी से निष्कासित निगम पार्षद ने बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री और दूसरे नेताओं पर दलित वर्ग के साथ भेदभाव करने के गंभीर आरोप लगाये हैं। महिला निगम पार्षद ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़़े कर दिये हैं। पार्षद का आरोप है कि पार्टी के एक दलित नेता ने ही एक दलित पार्षद के इलाके में विकास कार्य नहीं होने दिये। बता दें कि प्रदेश संगठन महामंत्री दलित वर्ग से ही आते हैं। आश्चर्य की बात है कि जिन निगम अधिकारियों ने एक व्यायामशाल की जमीन को पहले दूसरे विभाग की बताया, फिर उसी व्यायामशाला का नामकरण स्वीकर कर दिया और बाद में उसी व्यायामशाला को अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया।

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मामला उत्तरी दिल्ली के नागलोई वार्ड संख्या 37 का है। यहां से निगम पार्षद ज्योति रछौया ने दिल्ली बीजेपी संगठन महामंत्री और प्रदेश के दूसरे नेताओं की शिकायत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री से लिखित में की है। शिकायत के मुताबिक नागलोई फेज-2 में समाज के लोगों ने एक व्यायामशाला का निर्माण कराया था। यह करीब पिछले 45 साल से चलायी जा रही थी। इसके बारे में आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई थी। बल्कि 10 मार्च 2017 को जारी किये गये पत्र में संबंधित भूमि के बारे में मास्टर प्लान में भी किसी बदलाव की जरूरत नहीं बताई थी।

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नगर निगम ने जिस व्यायामशाल को 3 अगस्त 2021 को अवैध बताकर तोड़ा है, उसी के बारे में उत्तरी दिल्ली के तत्कालीन निगम आयुक्त ने 9 अप्रैल 2018 को इस व्यायामशाल के निर्माण के लिए एनओसी-कम-रिक्वीजीशन लेटर जारी किया था। पत्र में आरोप लगाया है कि इसके बाद प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के ही कुछ नेताओं ने हस्तक्षेप करके इस व्यायामशाला का काम रूकवा दिया। यहां से पूर्व निगम पार्षद भूमि रछौया ने तत्कालीन आयुक्त के सामने इस व्यायामशाल के नामकरण (महर्षि भगवान वाल्मीकि व्यायामशाला करने) के लिए एक पस्ताव लगाया था। लेकिन तब इसे डूसिब की जमीन बताकर नामकरण से मना कर दिया गया था।
संगठन महामंत्री पर गंभीर आरोप
पार्टी से निष्कासित पार्षद ज्योति रछौया ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखे पत्र में प्रदेश संगठन महामंत्री पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा है कि ‘सिद्धार्थन ने अखाड़े का नाम महर्षि वाल्मीकि के बजाय बालाजी अखाड़ा करने के लिए दबाव डाला था।’ जब अखाड़े का नाम बालाजी अखाड़ा करने के लिए नामकरण के लिए प्रस्ताव लगाया गया तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इसे ‘मेजर’ कर लिया। 1 अगस्त 2021 को इस अखाड़े का नामकरण किया जाना था। लेकिन भारी बारिश होने की वजह से यह कार्यक्रम टालना पड़ा।
निगम अधिकारियों की दोगली कार्रवाई
जिस अखाड़े के नामकरण के लिए निगम ने पहले डूसिब की जमीन बताकर नामकरण से इनकार कर दिया था, उसी निगम के आयुक्त ने 2018 में इस अखाड़े के निर्माण के लिए प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। पत्र में आरोप लगाया गया है बीजेपी के नेताओं ने ही इसका निर्माण नहीं होने दिया। लेकिन जब समाज के लोगों ने इसका कुछ निर्माण करा दिया। इसके बाद नगर निगम ने इसका नाम ‘श्री बालाजी अखाड़ा’ के नाम से ‘मेजर’ कर लिया। इसके नामकरण के लिए कार्ड भी छपवा दिये गये। लेकिन 3 अगस्त को अपनी जमीन नहीं होने के बावजूद इसे ध्वस्त कर दिया गया।
भुगतना पड़ा पार्टी पदाधिकारियों की शिकायत का खामियाजा
नागलोई वार्ड संख्या 37 से निगम पार्षद ज्योति रछौया का कहना है कि उन्हें अपनी ही पार्टी के नेताओं की शिकायत करने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। इससे पहले उन्होंने अपने वार्ड में पार्टी के कुछ नेताओं के द्वारा माफिया के साथ मिलकर किये जा रहे कुछ अवैध कामों का खुलासा किया था। उन मामलों में दिल्ली पुलिस ने भी कार्रवाई की थी। यह बातें दिल्ली बीजेपी के नेतृत्व सहित कुछ दूसरे नेताओं को पसंद नहीं आया और उन्हें पार्टी से निष्कासन का फरमान थमा दिया गया।