हरियाणा CONGRESS में दरारः ‘मुश्किलों भरा सफर’ बन सकती है “तेरी यात्रा बनाम मेरी यात्रा“ की लड़ाई

-हुड्डा, शैलजा और सुरजेवाला राज्य में निकाल रहे अलग अलग चुनावी यात्राएं

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 20 अगस्त।
राज्य विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही हरियाणा कांग्रेस में एक बार फिर से ‘दरार’ का माहौल बन गया है। पार्टी के नेताओं के बीच बर्चस्व की लड़ाई छिड़ गई है। हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और दीपेंद्र हुड्डा के अलग अलग गुट बन गये हैं और हर कोई एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में है। भारतीय जनता पार्टी से राज्य विधानसभा में सत्ता की चाबी झटकने निकले कांग्रेसी नेताओं में एक दूसरे को पटखनी देने के लिए इस कदर होड़ मची है कि यात्रा और रैलियों के नाम पर सभी अपनी-अपनी ढपली और अपना-अपना राग अलापने में जुटे हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से 10 में से 5 लोकसभा सीट छीन ली थीं। परंतु यही स्थिति बनी रही तो विधानसभा चुनाव में 90 में से कितनी सीटें कांग्रेस जीत पायेगी, अभी से नहीं कहा जा सकता। बता दें कि पिछले दो बार से लगातार बीजेपी हरियाणा में अपनी सरकार बनाती आ रही है।
हरियाणा में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मनमर्जी के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री कुमारी शैलजा पहले ही हुड्डा की ‘हरियाणा हिसाब मांगे यात्रा’ से अलग अपनी ‘कांग्रेस संदेश यात्रा’ निकालकर भूपेंद्र हुड्डा की यात्रा की हवा निकाल चुकी हैं। कांग्रेस में अब एक और धड़ा बन गया है। अब तक कुमारी शैलजा के गुट में खड़े दिखाई देने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अलग चलने का ऐलान कर दिया है। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश में परिवर्तन रैली करने की घोषणा की है। जिसकी शुरुआत 12 अगस्त को राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पानीपत की अनाज मंडी से कर दी है। हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया हरियाणा कांग्रेस के अंदर गुटबाजी से इनकार कर रहे हैं।
जबकि सच्चाई यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे व रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा प्रदेश कांग्रेस द्वारा अधिकृत कार्यक्रम “हरियाणा मांगे हिसाब“ अभियान के तहत पूरे प्रदेश की विधानसभाओं में पदयात्रा निकल रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा द्वारा हुड्डा की यात्रा के समानांतर पूरे प्रदेश में “कांग्रेस संदेश यात्रा“ निकाल रही हैं। कहा जा रहा है कि कुमारी सैलजा का कार्यक्रम प्रदेश कांग्रेस द्वारा अधिकृत नहीं है। किंतु प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा कुमारी सैलजा के यात्रा कार्यक्रम का विरोध करने का साहस भी नहीं जुटा पा रही है। वहीं रणदीप सिंह सुरजेवाला की परिवर्तन रैली का पिछले दिनों पानीपत में बलकार सिंह ने आयोजन किया।
राज्य में कई खेमों में बंटी कांग्रेस की स्थिति पर बीजेपी को भी सियासी कटाक्ष करने का मौका मिल गया है। खास बात है कि पिछले दिनों विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर बुलाई गई कांग्रेस की बैठक में भी न सैलजा पहुंची और न ही रणदीप सिंह सुरजेवाला इस बैठक में शामिल हुए। बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा व बीरेंद्र सिंह आदि नेता थे, लेकिन सुरजेवाला और सैलजा ने इस बैठक से दूरी बनाए रखी। ये बात और है कि हरियाणा प्रभारी दीपक बावरिया मीडिया के सामने तो गुटबाजी से इंकार करते रहे, लेकिन सैलजा और सुरजेवाला के बैठक में नहीं पहुंचने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
हरियाणा में कांग्रेसी नेताओं की गुटबाजी एक बार फिर से खुलकर सामने आने पर पार्टी के उन नेताओं में घोर निराशा है, जो चुनाव लड़ने के लिए 20 -20 हजार रुपए पार्टी कार्यालय में जमा करा चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस के दावे को सच मान लिया जाए तो करीब 2500 लोगों ने विधानसभा चुनाव में दावेदारी के लिए 20-20 हजार रूपये जमा कराये हैं। सूत्रों का कहना है कि गुटबाजी से निराश होकर पैसे जमा कराने वाले कांग्रेसी अब किसी तरह अपना पैसा वापिस पाना चाहते हैं और इसके लिए वे रास्ता खोज रहे हैं।
पिछले सप्ताह एक ही झटके में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) छोड़ने वाले विधायकों में भी कांग्रेस के अंदर चल रही रस्साकसी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उकलाना से विधायक अनूप धानक, टोहाना से पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली, शाहबाद से विधायक रामकरण काला और गुहला चीका से विधायक चौधरी ईश्वर सिंह ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी छोड़ दी थी। जेजेपी छोड़ने वाले ज्यादातर विधायक कांग्रेस में शामिल होकर आगे की राजनीति करना चाहते हैं, परंतु कांग्रेसी नेताओं की गुटबाजी के चलते इनके लिए स्थिति सामान्य नहीं बन पा रही है। जबकि दुष्यंत चौटाला की पार्टी के दो विधायक जोगीराम सिहाग और राम निवास सुरजा खेड़ा बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। बताया जा रहा है कि दोनों विधायकों ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी का साथ दिया था।
पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली लोकसभा चुनाव के दौरान कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस नेताओं के कैंप में दिखाई दिए थे। पिछले कुछ माह से बबली अपने स्तर पर ही राजनीति कर रहे हैं। बबली के नए दल में शामिल होने को लेकर कांग्रेस तथा बीजेपी में से कोई भी आशान्वित नहीं है। जेजेपी छोड़ने वाले ईश्वर सिंह पुराने कांग्रेसी रहे हैं और उनकी गिनती कुमारी सैलजा के करीबियों में होती रही है। परंतु अब उन्हें हुड्डा कैंप में देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान ईश्वर सिंह का बेटा कांग्रेस में शामिल हो चुका है। शाहबाद से विधायक रामकरण काला का बेटा पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुका है और काला कई माह से सक्रिय राजनीति से दूर होकर घर बैठे हुए थे। लेकिन कुछ दिन पहले ही उन्होंने शाहबाद से कांग्रेस के टिकट के लिए हरियाणा कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में आवेदन किया है।