पंजाब में लोकसभा चुनाव में हार के बाद अकाली दल में बगावत… उठी सुखबीर बादल को हटाने की मांग, BJP पर SAD के गंभीर आरोप

-शिरोमणि अकाली दल में बने दो गुट, अलग अलग बैठकें कर पाटी नेतृत्व का विरोध-समर्थन

एसएस ब्यूरो/ चंडीगढ़ः 26 जून।
पंजाब में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) में बगावत शुरू हो गई है। मंगलवार को पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल (President Sukhbir Singh Badal) की अध्यक्षता में जब चंडीगढ़ में जिला प्रधानों व हलका प्रभारियों की बैठक चल रही थी, तभी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जालंधर में जुटे हुए थे। इन वरिष्ठ नेताओं ने जालंधर में एक बैठक आयोजित कर पार्टी प्रधान सुखबीर बादल को बदलने की मांग कर दी है।
हालांकि शिरोमणि अकाली दल कार्यसमिति ने पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास जताया है और विरोधियों से पंथ के दुश्मनों के हाथों में न खेलने का आग्रह किया है। समिति ने अध्यक्ष से पार्टी, पंथ और पंजाब के खिलाफ साजिशों को उजागर करने के प्रयासों का नेतृत्व करने को कहा है।
जालंधर में वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि सभी वरिष्ठ नेता एक जुलाई को अकाल तख्त पर मत्था टेकने के बाद वहीं से शिरोमणि अकाली दल बचाओ लहर की शुरुआत करेंगे। इस बैठक में चंदूमाजरा के साथ सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह, रखड़ा, बीबी जागीर कौर व अन्य नेता मौजूद थे। इस मीटिंग को बगावत के तौर पर देखा जा रहा है।
दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि भाजपा की शह पर पार्टी को खत्म करने का काम किया जा रहा हैं, लेकिन पार्टी विरोधी लोगों को इसमें सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में खराब के प्रदर्शन के बाद भी शिअद अपने स्टैंड पर कायम है कि उसने भाजपा के साथ गठबंधन न करके सही किया है। आगे भी पार्टी उनके साथ गठबंधन में नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा व आप दोनों ही शिअद को खत्म करने के लिए काम कर रही हैं। साथ ही पार्टी में भी कुछ लोग भाजपा की हिमायत कर रहे हैं, क्योंकि शिअद ने पंथक व पंजाब के मुद्दों के साथ समझौता नहीं करने का फैसला लिया था।
पार्टी नेता सोहन सिंह ठंडल ने कहा कि कार्यसमिति, कोर समिति, जिला नेतृत्व या निर्वाचन क्षेत्र प्रभारी, हर कोई लोकसभा परिणामों के बारे में बैठकें और आत्मचिंतन कर रहा है और नीतियां तय कर रहा है। शिरोमणि अकाली दल एक बड़ी पार्टी है… हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है। जालंधर में हुई बैठक में वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। किसी का भी इस्तीफा लेने की एक व्यवस्था है और उन्हें यह पता होना चाहिए था… बाहर जाकर खुलेआम पार्टी की छवि खराब करने के बजाय उन्हें पार्टी के भीतर अपनी बात रखनी चाहिए थी।
पार्टी के हितों से ऊपर कुछ नहींः सुखबीर
पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि उनके लिए पार्टी के हितों से ऊपर कुछ भी नहीं है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ समझौते का भ्रम केवल उन लोगों के बीच था, जो खालसा पंथ के हितों और सिद्धांतों की कीमत पर भी भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले ही कोर कमेटी को साफ कर दिया था कि वह बीजेपी के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष होने के नाते मैं संप्रदाय, किसानों, गरीबों और वंचित लोगों के हितों के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता।
चंदूमाजरा बोले-सुखबीर बलिदान की भावना समझें
शिअद के वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने सुखबीर बादल का नाम लेकर कहा कि उन्हें बलिदान की भावना को समझना चाहिए। आज पार्टी की हालत काफी खराब है और उसे पुरानी पहचान दिलाने के लिए पार्टी के अहम पदों में बदलाव जरूरी है। चंदूमाजरा ने साफ कहा-मैं पार्टी प्रमुख सरदार सुखबीर सिंह बादल से अपील करता हूं कि वह कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज न करें, बल्कि उन्हें समझें।
जल्द हो सकते हैं पार्टी प्रधान के चुनाव
लोकसभा चुनावों में आए नतीजे शिअद के गिरते ग्राफ की कहानी समझने को काफी है। पार्टी में समय-समय पर विरोध होता रहता है और कई वरिष्ठ नेता पार्टी को छोड़ भी चुके हैं। चंदूमाजरा ने मंगलवार को साफ-साफ कहा कि जालंधर उपचुनाव में मतदान के बाद वे तय करेंगे कि पार्टी में आगे की रणनीति क्या रहेगी। चंदूमाजरा के उग्र तेवरों से साफ लग रहा है कि अकाली दल के बड़े नेता अब सुखबीर बादल की प्रधानगी स्वीकार करने को तैयार नहीं है। इस वजह से अकाली दल की प्रधानगी को लेकर चुनाव करवाए जा सकते हैं।