झूठे केसों में राहत की है दरकार…. तो सरकार के पास जाएं पत्रकार

-सुप्रीम कोर्ट का पत्रकारों की याचिका पर सुनवाई से इनकार
-पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज करने से पहले अनुमति का मामला

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
अलग अलग राज्यों में प्रशासन द्वारा पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज कर मीडिया की आवाज को दबाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार या मीडिया हाउस के खिलाफ केस दर्ज करने से पहले अनुमति लिए जाने की व्यवस्था किए जाने संबंधी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।

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चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने ऐसे मामलों के लिए याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय को केंद्र सरकार के सामने प्रतिवेदन देने के लिए कहा है। पीठ ने कहा कि यह काम सरकार का है, कोर्ट का नहीं। देशभर में पत्रकारों के खिलाफ दर्ज किए जा रहे झूठे मामलों को रोकने के लिए याचिकाकर्ता ने कोर्ट से पत्रकारों के खिलाफ खबर को लेकर एफआईआर दर्ज किए जाने के मामलों में दिशानिर्देश तय करने की मांग की थी।

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याचिका में कहा गया है कि पत्रकारों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज करने से से पहले किसी सक्षम अथॉरिटी से अनुमति लिया जाना अनिवार्य किया जाए। यह अथॉरिटी प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया या कोई अन्य न्यायिक अथॉरिटी हो सकती है। याचिका में कहा गया था कि इसे लेकर दिशानिर्देश तैयार करने की जरूरत है।
खबरों को लेकर किया जा रहा उत्पीड़न

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याचिका में उदाहरण देते हुए कहा गया है कि जिस तरह डॉक्टरों पर लापरवाही का मुकदमा दर्ज करने से पहले एक बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती है। उसी तरह पत्रकारों के मामले में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए। याचिका के मुताबिक पत्रकार अपनी जान को जोखिम में डालकर खबर करते हैं, लेकिन सरकार और शक्तिशाली लोग अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए उनके खिलाफ खबरों को लेकर झूठे मुकद्दमे दर्ज करा देते हैं। इसके बाद पुलिस और प्रशासन मिलकर उनका उत्पीड़न करते हैं।