-कांग्रेस का क्लीन स्वीप, अपना खाता तक नहीं खोल पाये बीजेपी, एसएडी और आप
-बॉर्डर पर किसान संगठनों को वाई-फाई की सुविधा भी नहीं दिला सकी ‘आप’ को वोट
-बादल के गढ़ में कांग्रेस की सेंध, अकालियों के गढ़ बठिंडा में 53 साल बाद बनेगा कांग्रेसी मेयर
एसएस ब्यूरो/चंडीगढ़
बीते करीब तीन महीनों से चल रहे किसान आंदोलन का असर पंजाब की सियासत में देखने को मिला है। राज्य में हुए निकाय चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने क्लीन स्वीप करते हुए कुल 8 नगर निगमों में से कांग्रेस ने 6 पर अपना कब्जा जमा लिया है। कांग्रेस ने 109 नगर पालिकाओं/ नगर परिषदों में से बुधवार सांय तक आए 97 में से 78 पर जीत हासिल कर ली थी। भारतीय जनता पार्टी को कृषि कानूनों के विरोध का नुकसान झेलना पड़ा है। लेकिन सबसे बुरी हालत शिरोमणि अकाली दल (बादल) (एसएडी) को हुआ है। आम आदमी पार्टी, एसएडी और बीजेपी नगर निगमों में अपना खाता तक नहीं खोल पाए।
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पंजाब में हुए नगर निगम चुनावों ने शिरोमणि अकाली दल का दशकों पुराना तिलस्म तोड़कर रख दिया है। एसएडी अपने गढ़ बठिंडा में भी अपनी इज्जत नहीं बचा सकी और कांग्रेस ने पहली बार यहां जीत हासिल की है। शिरोमणि अकाली दल को किसान बिलों के विरोध में केंद्र सरकार और एनडीए से नाता तोड़ने का भी कोई लाभ नहीं मिल सका। दूसरी ओर पंजाब में पहली बार निकाय चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी भी अपनी छाप छोड़ने में पूरी तरह से नाकामयाब रही। केजरीवाल सरकार द्वारा सिंघू बार्डर पर पंजाब के किसानों के लिए लगवाए गए वाई-फाई की सुविधा भी आप को वोट दिलाने में नाकाम साबित हुई।
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बता दें कि 2015 में हुए पिछले निकाय चुनावों में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी। शिरोमणि अकाली दल को 813 और बीजेपी को 348 सीटें मिली थीं। दोनों दलों का गठबंधन पंजाब में 1161 सीटों पर जीता था। लेकिन इस बार बीजेपी और एसएडी अलग अलग चुनाव मैदान में उतरे थे। पंजाब में 8 नगर निगम और 109 नगर पालिका-नगर परिषदों पर गत 14 फरवरी को चुनाव हुए थे। बुधवार को आए नतीजों में पूरी तरह कांग्रेस का दबदबा रहा। बठिंडा, होशियारपुर, कपूरथला, अबोहर, बटाला और पठानकोट नगर निगम में कांग्रेस जीत हासिल कर चुकी है। मोगा में अब तक कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं, आठवें नगर निगम मोहाली में 19 फरवरी को नतीजे आएंगे।
109 में से 78 नगर पालिका कांग्रेस के खाते में
नगर निगमों के साथ 109 नगर पालिका और नगर परिषद के लिए हुए चुनाव में बुधवार की सांय तक 97 सीटों के नतीजे सामने आ चुके हैं। इनमें से 78 पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया है। शिरोमणि अकाली दल को सिर्फ 5 सीटें मिली हैं, जबकि अन्य के खाते में 14 सीटें गई हैं। सबसे बड़ी बात है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीत के लिए तरस गए। दोनों दलों का खाता तक नहीं खुल सका। जीत से उत्साहित कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पूरे राज्य में जगह जगह ढोल नगाड़ों के साथ भंगड़ा कर रहे हैं। कार्यकर्ता रंग-गुलाल के साथ होली मनाते भी नजर आ रहे हैं। वहीं बीजेपी, अकाली दल और आम आदमी पार्टी के खेमे में सन्नाटा पसरा हुआ है।
गौरतलब है कि एक साल बाद वर्ष 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों से पहले नगर निकाय चुनावों में जिस तरह कांग्रेस का दबदबा दिखाई दे रहा है, उससे भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। जीत से खुश पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि निकाय चुनाव के नतीजों ने उनकी सरकार की विकास नीतियों और कार्यक्रमों पर पूरी तरह से मोहर लगा दी है। साथ ही जनता ने विपक्षी दलों बीजेपी, अकाली दल और आम आदमी पार्टी के जनविरोधी कामों को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है। ऐसे नतीजे कभी भी पहले किसी भी पार्टी को नहीं मिले हैं।
अफसरों पर निकला शिरोमणि अकाली दल का गुस्सा
निकाय चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (बादल) को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। एसएडी ने इस हार का गुस्सा सरकारी अधिकारियों पर निकाला है। अकाली दल की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने अफसरों को इसका जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि बूथ कैप्चरिंग, उत्पीड़न और हिंसा के बावजूद अकाली प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। अफसरों ने अकाली दल की जीत में रोड़ा अटकाया है। इतने संघर्ष के बाद मिली जीत यह बताती है कि वर्ष 2022 में अकाली सरकार बनने जा रही है। इसलिए इन कामों में शामिल रहे अफसरों को अपनी उल्टी गिनती शुरू कर लेनी चाहिए।
बादल के गढ़ में कांग्रेस की सेंध
पंजाब निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी यह है कि उसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के सबसे बड़े नेता प्रकाश सिंह बादल के गढ़ में इस बार सेंध लगाने में कामयाबी पाई है। कांग्रेस ने 53 साल में पहली बार बठिंडा नगर निगम में जीत हासिल की है। पहली बार यहां कोई कांग्रेसी मेयर बनेगा। अकाली दल के प्रत्याशी को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा है। बता दें कि बठिंडा में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का पैतृक गांव बादल है। यह इलाका अकाली दल का गढ़ माना जाता था पर इस बार कांग्रेस ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है।