-पुरानी मतदाता सूची के पर करते रहे प्रचार, वोटिंग के दिन आई नई सूची खिसक गया आधार
-नहीं चला स्थानीय और बाहरी का का मुद्दा, मतदाताओं को भाया केजरीवाल का प्रचार
-एक पार्षद ने तो अपने भाई की बीवी और नौकरों को ही बना रखा है मंडल पदाधिकारी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली, 26 जून, 2022
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को संगठन के साथ खिलवाड़ भारी पड़ी है। दिल्ली की राजेंद्र नगर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, फिर भी इस सीट पर चुनाव जीतने में नाकाम रही। बता दें कि इस उप चुनाव में पार्टी ने अपना उम्मीदवार राजेश भाटिया को बनाया था, जो कि अन्य सभी दावेदारों में सबसे मजबूत माने गये। लेकिन चुनाव प्रबंधन में ऐसी बहुत सी खामियां सामने आई हैं, जिन्हें इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
चुनाव प्रबंधन में सबसे बड़ी खामी पुरानी मतदाता सूची को बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न मंडलों और समितियों के कार्यकर्ताओं को मुहैया कराई गई मतदाता सूची पुरानी थी। मतदान से ठीक एक दिन पहले आई नई सूची जब कार्यकर्ताओं को मिली तो पता चला कि पार्टी के बहुत से कार्यकर्ताओं और बीजेपी माइंडेड मतदाताओं के नाम ही इस सूची में कटे पाये गये। जिसकी वजह से बीजेपी को पड़ने वाले मतों की संख्या कम रह गई।
दूसरी ओर जिस आक्रामक ढंग से आम आदमी पार्टी ने चुनाव की घोषणा होने के साथ ही अपने उम्मीदवार का नाम घोषित करके चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था, उसके मुकाबले बीजेपी पूरी तरह से पिछड़ गई और नामांकन की अंतिम तारीख के आस-पास आकर अपने उम्मीदवार की घोषणा की। तब तक आप नेता और उम्मीदवार दुर्गेश पाठक विधानसभा क्षेत्र में जमकर चुनाव प्रचार में जुट चुके थे। बताया तो यहां तक जा रहा है कि खुद संगठन महामंत्री ने जब इस मंडल मे कार्यकर्ताओं के बीच माहौल देखा तो एक पार्षद महोदय को खूब खरी-खोटी सुनाईं।
चुनाव के दौरान बड़ी-बड़ी गलतियों ने बदला चुनावी नतीजा!
बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व ने चुनावी कार्यक्रम के दौरान बड़ी-बड़ी गलतियां नहीं की होती और महिला मोर्चा, प्रदेश कार्यकारिणी व दूसरे इसी तरह के आयोजनों के बजाय केवल चुनाव पर ध्यान दिया होता तो चुनावी नतीजों की स्थिति कुछ और होती। बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने बीजेपी के आरपी सिंह को 20 हजार 58 वोट से हराया था। इससे पहले 2015 के चुनाव में आप के विजेंद्र गर्ग ने सरदार आरपी सिंह को 20 हजार 51 वोट से हराया था। वह भी तब जब कांग्रेस उम्मीदवार को 2022 के मुकाबले बहुत ज्यादा वोट हासिल हुए थे। जबकि 2022 के उपचुनाव में बीजेपी के राजेश भाटिया ने हार का अंतर कम कर दिया है। उन्हें आप के दुर्गेश पाठक ने 11 हजार 461 वोट से हराया है।
चुनावी रणनीति बनाने के बजाय वृंदावन में महिला मोर्चा की बैठक
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी नेताओं को जब राजेंद्र नगर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए रणनीति पर काम करना था, तब वह अलग अलग जगहों पर बैठकें करते रहे। 6 जून को नामांकन की आखिरी तारीख थी और 7 जून से दिल्ली प्रदेश महिला मोचा के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन दिल्ली से बाहर वृंदावन के छटीकरा में किया गया। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही प्रदेश के अन्य वरिष्ठ नेता/नेत्री भी दिल्ली से बाहर थे। चर्चा है कि इस शिविर के बजाय महिला मोर्चा की सभी कार्यकर्ताओं के एक-एक घर में बार-बार संपर्क की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी।
पूर्वी दिल्ली में किया गया प्रदेश कार्यकारिणी का आयोजन
पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव प्रचार के दौरान ही हुई एक प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक भी भारी चर्चा में है। जिस समय पार्टी के सभी नेताओं को राजेंद्र नगर में घर-घर जाकर पसीना बहाना चाहिए था, तब पूरा का पूरा प्रदेश नेतृत्व प्रदेश संगठन की बैठक का आयोजन यमुना पार में करने में व्यस्त था। 11-12 जून को नवीन शाहदरा जिला के नंद नगरी इलाके में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में प्रदेश बीजेपी का पूरा का पूरा अमला जुटा रहा। जबकि पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के पास जो भी समय था, वह राजेंद्र नगर विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में लगाया जाना चाहिए था।
भाई की बीवी और नौकरों को बनाया मंडल पदाधिकारी
पूरे चुनाव में बीजेपी के एक निवर्तमान निगम पार्षद का नाम बड़ी चर्चा में रहा। बताया जा रहा है कि इस निगम पार्षद ने अपने भाई की पत्नी और अपने कई नौकरों व कारोबारी सहयोगियों को मंडल में प्रमुख पदाधिकारी बना रखा है। जिसकी वजह से पूरे चुनाव में बीजेपी के इस मंडल के वरिष्ठ कार्यकर्ता भारी नाराजगी में रहे। वहीं उन निगम पार्षद महोदय की कार्यशैली को लेकर भी ज्यादातर पार्टी कार्यकर्ता नाराज दिखे और इसका सीधा असर हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव पर पड़ा।