हरियाली अमावस्या: 7 व 8 अगस्त को श्रेष्ठ संयोग… मिलेगा सौभाग्य… बन जायेंगे काम

-हरियाली अमावस्या पर करें दान-धर्म, जानें महत्व व पूजा विधि

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
सावन मास के पवित्र महीने में विशेष पर्वों की शुरूआत हो गई है। हिंदू धर्म में सावन के महीने को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में भोलेशंकर की विशेष अराधना की जाती है। रविवार 8 अगस्त को हरियाली अमावस्या पड़ रही है। लेकिनप इससे पहले सावन माह में एक और श्रेष्ठ संयोग हो रहा है। 7 और 8 अगस्त 2021 यानी इस शनिवार और रविवार को यह विशेष संयोग बन रहा है। शनिवार 7 अगस्त को पुष्य नक्षत्र शुरू हो रहा है और यह अगले दिन यानी रविवार को भी रहेगा। 7 और 8 अगस्त को पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है।

यह भी पढ़ेंः- अगस्त के महीने में इन 4 राशि वालों को मिलेगी सफलता

सभी 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। ज्योतिष में इस संयोग को बेहद शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में किए गए कार्यों का कई गुना फल मिलता है। ऐसा भी माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में किए गए कार्यों में सफलता जरूर मिलती है। खास बात है कि पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बेहद भाग्यशाली और पराक्रमी होते हैं। यह लोग अपने जीवन बहुत तरक्की करते हैं और धार्मिक प्रबृत्ति के होते हैं। वही पुष्य नक्षत्र 7 व 8 अगस्त को पड़ रहा है।

यह भी पढ़ेंः- इस महीने सिंह राशि में बनेगा ‘बुधादित्य योग’… जानें किसकी चमकेगी किस्मत?

खास बात है कि हरियाली अमावस्या के मौके पर पुष्य नक्षत्र के संयोग का प्रभाव और भी ज्यादा फलदायी माना जाता है। पुष्य नक्षत्र की शुरूआत शनिवार 7 अगस्त 2021 को सुबह 8 बजकर 20 मिनट से होकर यह रविवार 8 अगस्त को सुबह 9 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। 8 अगस्त को हरियाली अमावस्या भी है। अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य किए जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र में पितर संबंधित कार्य करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पुष्य नक्षत्र में करें पूजा व ध्या
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि पुष्य नक्षत्र में किए गए कार्यों का कई गुना फल मिलता है। इस दौरान भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करना चाहिए। इस क्षत्र में जन्मे लोग बेहद ही भाग्यशाली होते हैं और इन पर हनुमान जी और शनिदेव हमेशा मेहरबान रहते हैं।
दान का विशेष महत्व
पुष्य नक्षत्र में अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करें। इस दौरान किये गये दान की वजह से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली अमावस्या व श्रेष्ठ संयोग के समय पात्र लोगों को दान करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हरियाली अमावस्या का महत्व
ज्यातिष शास्त्र के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष के शिवरात्रि के अगले दिन हरियाली अमावस्या होती है। इस दिन पेड़-पौधों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसीलिए इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे के पूजन का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना होता है। इस दिन पौधे लगाने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
ऐसे करें पूजा
हरियाली अमावस्या के इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है। लेकिन कोरोना महामारी के दौर में अपने घर पर ही स्नान करें। यदि गंगाजल या फिर किसी अन्य पवित्र नदी का जल घर में हो तो उसे अपने स्नान के पानी में मिलाकर स्नान करें। इसके पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों को तर्पण करें। हरियाली अमावस्या का व्रत करें एवं किसी जरुरतमंद को दान-दक्षिणा दें। पीपल और तुलसी की पूजा करें। पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी के पौधे लगाएं। किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं। अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।
(यह आलेख भारतीय सनातन परंपरा एवं ज्योतिषीय सिद्धांतों पर आधारित है और जनरूचि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसके लिए कोई विशेष दावा नहीं है। अपने समाचार, लेख एवं विज्ञापन छपवाने हेतु संपर्क करेंः- ईमेलः newsa2z786@gmail.com, मोबाइलः 7982558960)