अब महागठबंधन में रार… कुशवाहा दे सकते हैं बड़ा झटका

-एनडीए का दामन थाम सकते हैं आरएलएसपी प्रमुख कुशवाहा
-विधानसभा चुनाव में आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन की बढ़ी मुश्किलें

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
चुनाव आयोग ने भले ही अभी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान नहीं किया है। लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल- कांग्रेस महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले आरजेडी के कई मौजूदा विधायकों ने जेडीयू का दामन थाम लिया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी महागठबंधन छोड़कर एनडीए में चले गए। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने भी महागठबंधन छोड़ने के संकेत दे दिए हैं। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलएसपी) गुरूवार को सांय तक महागठबंधन का साथ छोड़ने की घोषणा कर सकती है।

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आरएलएसपी के महासचिव आनंद माधव ने कहा कि राजनीति संभावनाओं से भरी है। अगर महागठबंधन अनिर्णय की वर्तमान स्थिति से बाहर नहीं आता है तो हम बिहार के विकास के लिए अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने आगे कहा कि गठबंधन में एक स्पष्टता की जरूरत होती है ताकि दलों के मन में कोई भ्रम न रहे। हम चाहते हैं कि आरजेडी आगे आकर गठबंधन के दलों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा करे। अगर कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाना है तो यह एक-दो दिन का काम नहीं है। चुनाव की अधिसूचना किसी भी दिन जारी हो सकती है। लेकिन अभी तक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई है।

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आनंद माधव ने कहा कि आरएलएसपी ने कभी भी तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर संदेह नहीं जताया है। लेकिन महागठबंधन में चार-पांच दल हैं। सबके बीच सहमति होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे प्रयासों के बाद भी महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है और यह दुखद है। 24 सितंबर को हमारी पार्टी की राष्ट्रीय और राज्य कार्यकारिणी की बैठक है। हम वर्तमान स्थिति पर नेताओं के साथ बातचीत के बाद निर्णय लेंगे। हम अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खोल सके कुशवाहा
बता दें कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने छोटे दलों के प्रति बीजेपी के अहंकार का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। वह महागठबंधन में शामिल हो गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए में रहते हुए आरएलएसपी को तीन सीटें मिली थीं और पार्टी ने तीनों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा रहते हुए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी।
कुशवाहा की मजबूरी
सूत्रों का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा की समझ में आ गया है कि यदि वह महागठबंधन में रहते हैं तो विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का पूरी तरह से पत्ता साफ हो जाएगा। यही कारण है कि उपेंद्र कुशवाहा ने फिर से एनडीए में शामिल होने का मन बना लिया है। दूसरी ओर बीजेपी एमएलसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने इस पूरे प्रकरण पर कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा का एनडीए ने हमेशा स्वागत किया है। उनके आने से एनडीए का वोट बैंक और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि कुशवाहा को एनडीए में वापस आ जाना चाहिए। अगर एनडीए का परिवार बढ़ता है तो हमें विधानसभा चुनाव में 204 से कम सीटें नहीं मिलेंगी। उनके आने के बाद सीट बंटवारा कोई बड़ा मुद्दा नहीं होगा।