नॉर्थ डीएमसीः फिर बच गये सरकार… मासूमों की मौत का कोई नहीं है जिम्मेदार!

-13 सितंबर को सब्जी मंडी इलाके में हुआ था बिल्डिंग गिरने का हादसा
-कोई शिकायत नहीं आयी, इसलिए जिम्मेदार नहीं हैं अधिकारीः रिपोर्ट

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
पुरानी दिल्ली के सब्जी मंडी इलाके में 13 सितंबर को बहुमंजिला इमारत ध्वस्त होने से हुई दो मासूमों (प्रियांशु और सौम्य) की मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। निगम अधिकारी तो बिलकुल भी नहीं। यह खुलासा नगर निगम के आला अधिकारियों द्वारा कराई गई जांच की रिपोर्ट से हुआ है। जांच रिपोर्ट के जरिये निगम के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इमारत पहले से जर्जर की श्रेणी में नहीं थी और न ही किसी ने इसकी शिकायत की थी। लिहाजा निगम के स्तर पर कोई लापरवाही नहीं हुई है और इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। निगम आयुक्त संजय गोयल ने भी कहा कि इस घटना के लिए नगर निगम का कोई भी अधिकारी जिम्मेदार नहीं पाया गया है।

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बता दें कि हादसे के बाद महापौर राजा इकबाल सिंह ने निगमायुक्त को इसकी जांच के आदेश दिये थे। आयुक्त ने भवन (मुख्यालय) को जांच के आदेश जारी कर दिए थे। मंगलवार को जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी। गौरतलब है कि 13 सितंबर को हुए इस हादसे के लिए भूतल पर दुकान चलाने वाले संपत्ति मालिक मोहक अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया था। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि घटनास्थल के आसपास से छह लोगों के बयान लिए गए हैं। स्थानीय लोगों ने जांच समिति को बताया कि 12 सितंबर की रात को इमारत में बनी दुकान में शटर डालकर निर्माण शुरू किया गया था और 13 सितंबर को 12 घंटे पूरे होने से पहले ही यह हादसा हो गया।

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जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इमारत पहले से जर्जर नहीं थी, इसलिए इसमें प्रथमदृष्टया भी निगम की कोई लापरवाही नहीं है। नगर निगम ने जब इस इलाके में जर्जर इमारतों का सर्वे किया था, इमारत में किसी भी प्रकार की दरार नहीं थी। इमारत में किए जा रहे अवैध निर्माण को लेकर भी निगम के कंट्रोल रूम में कोई शिकायत नहीं आई थी और ना ही पुलिस की ओर से कोई रिपोर्ट निगम को दी गई। जांच अधिकारियों ने इसी आधार पर सभी को क्लीन चिट दे दी है।
बता दें कि 13 सितंबर को पुरानी सब्जी मंडी इलाके में एक बहुमंजिला इमारत गिर गई थी। घटना के समय अपनी मां के साथ गुजर रहे बच्चे प्रियांशु और सौम्य इमारत के मलबे में दब गए थे। मलबे से निकाल कर उन्हें अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया। माना जा रहा था कि यह इमारत जर्जर थी और अवैध निर्माण के चलते धराशायी हो गई थी। नगर निगम ने इस घटना के बाद एक बार फिर से जर्जर इमारतों का सर्वे किया है।
उपायुक्त व तीन अन्य अधिकारियों की भूमिका
बताया जा रहा है कि जांच समिति ने इस घटना वाले के मामले में सिविल लाइंस जोन के चार अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की है। इनमें उपायुक्त सतनाम सिंह, अधिशासी अभियंता संजय शर्मा, सहायक अभियंता केसी रोहिल और कनिष्ठ अभियंता विपिन के नाम शामिल हैं। लेकिन अवैध निर्माण की कोई शिकायत प्राप्त नहीं होने की वजह से इन सभी अधिकारियों को क्लीनचिट दे दी गई है। हालांकि ज्यादातर मामलों में निगम अधिकारियों की रिपोर्ट इसी प्रकार की आती है और सभी जिम्मेदारी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी जाती है।