सड़ांध मारता मिला नजफगढ़ नाला, जंग खाया एसटीपी प्लांट, यमुना में मिल रहा सीवर का पानी

-विज्ञापनों पर तो 500 करोड़ खर्च कर रही सरकार, लेकिन यमुना की सफाई पर सिर्फ एक करोड़, ऐसा क्योंः आदेश गुप्ता

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 17 नवम्बर, 2022।
नजफगढ़ नाला सड़ांध मार रहा था, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) प्लांट जंग खाया हुआ था और सीवर का पानी सीधे यमुना में मिल रहा था। यह नजारा गुरूवार को उस समय देखने को मिला, जब प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता गुरूवार को नजफगढ़ नाला देखने पहुंचे। आदेश गुप्ता के आने की ख़बर सुनकर दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों ने जंग खा रहे एसटीपी प्लांट पर ताला जड़ दिया। हालांकि गंदे नाले और उसपर लगे प्लांट को देखने के लिए आदेश गुप्ता एक टूटी हुई दिवार फांदकर प्लांट देखने पहुंचे।

आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में आकर यमुना मैया मैली होने का मुख्य कारण ये नजफगढ़ नाला है। जिसको साफ करने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार पिछले 8 सालों से घोषणा तो कर रही है, लेकिन इसपर काम नहीं कर रही है। ये जंग खाता हुआ एसटीपी प्लांट इसका गवाह है। दिल्ली में एक बहुत बड़ा इलाका इसकी वजह से बीमार पड़ रहा है। दिल्ली की एकमात्र नदी यमुना का पानी इस तरह की गंदगी की वजह से जहरीली हो चुकी है, उसका पानी रिस रिसकर ग्राउंड वाटर में पहुंच रहा है।
इसलिए दिल्ली में एक बड़े इलाके में पेट जनित रोग बहुतायत में हो रहे हैं। साथ ही पूरे नजफगढ़ नाले और यमुना नदी के आसपास रहने वाले लोग बदबू और अन्य गैसों की वजह से बीमार पड़ते रहते हैं। घर के फ्रिज, एसी और अन्य उपकरण खराब हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां पहुंचकर ये बात समझी जा सकती है कि इस गंदगी की वजह से इस नाले के आसपास के लोगों का जीवन कितना मुश्किल है।
आदेश गुप्ता ने नजफगढ़ नाले को दिखाते हुए कहा कि ये दिल्ली का सबसे बड़ा नाला है और इसमें पूरी दिल्ली के बहुत सारी कॉलोनियों का सीवेज का पानी सीधा इस नाले के जरिए यमुना नदी में जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपने विज्ञापनों में तो 500 करोड़ रुपये खर्च करती हैं, लेकिन एसटीपी प्लांट बनाने में 1 करोड़ रुपये भी नहीं खर्चा करते। अगर दिल्ली सरकार ने दिल्ली में गंदा पानी यमुना नदी में ना जाए, इसको रोकने के लिए कोई उपाए किए हैं तो वो बताएं। उन्होंने कहा कि इस 55 किलोमीटर लंबे नजफगढ़ नाले में जो नाले मिल रहे हैं, उनको साफ करने में दिल्ली सरकार पिछले 8 सालों से विफल रही है।