-राज्य निर्वाचन आयोग ने की चुनाव की तैयारी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में नगर निगम का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। रोटेशन की लिस्ट का सांसे थामकर इंतजार कर रहे लोगों को सुकून मिल सकता है। हालांकि कई वर्तमान निगम पार्षदों के लिए यह खतरे की घंटी भी साबित हो सकता है। बताया जा रहा है कि मंगलवार यानी 25 जनवरी को दिल्ली के तीनों नगर निगमों की रोटेशन की लिस्ट जारी की जा सकती है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी तैयारी कर ली है। हालांकि पेंच इस बात पर फंसा हुआ है कि अनुसूचित जाति के लोगों के लिए 2017 वाला स्टेटस ही रखा जाये या फिर कोई नयी व्यवस्था की जाये।
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बता दें कि नियमानुसार हर 5 साल के बाद दिल्ली के नगर निगमों की सीट (वार्डस) का रोटेशन किये जाने की व्यवस्था है। कारण है कि नगर निगमों में 50 फीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित किये जाने की भी व्यवस्था है। इसमें अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए अलग से सीटें आरक्षित करने की भी व्यवस्था है। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य और सामान्य सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किये जाने क रास्ता निकाला है।
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इसके लिए पिछले दिनों राज्य निर्वाचन आयोग ने सुझावा आमंत्रित करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलायी थी। इसमें भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता शामिल हुए थे। इस बैठक में भी कमोवेश यही बात सामने आयी थी कि महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें सामान्य और सामान्य सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया जाये। लेकिन अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए इसमें भी अलग से व्यवस्था की जानी है। अतः आयोग को एससी महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के 272 वार्डस के रोटेशन की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। सीटों के रिजर्वेशन की सूची मंगलवार को जारी की जा सकती है। यदि कोई अड़ंगा रह जाता है तो 26 जनवरी के बाद इसे किसी भी दिन जारी किया जा सकता है। सूत्रों का यह भी कहना है कि निर्वाचन आयोग ने नगर निगम के चुनाव अप्रैल में कराने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए मार्च के महीने में अधिसूचना जारी कर दी जायेगी।
कांग्रेस ने दिया एससी आरक्षित सीटों में बदलाव का सुझाव
बताया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से राज्य निर्वाचन आयोग को सुझाव दिया गया है कि पिछली बार की तरह एक ही आरक्षित विधानसभा में सभी वार्ड आरक्षित नहीं होने चाहिये। यदि किसी वार्ड में चारों या सभी वार्ड आरक्षित हैं तो उनके स्थान पर दूसरे इलाकों में कुछ वार्ड आरक्षित होने चाहिये। हालांकि निर्वाचन आयोग मानने के लिए तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि आयोग 2017 के हिसाब से ही काम करना चाहता है।
2017 में कोर्ट ने भी दिया था समर्थन
बता दें कि 2017 के निगम चुनाव में राज्य निर्वाचन आयोग के निर्णय को कोर्ट ने भी समर्थन दिया था। दरअसल जब निगम वार्डस का रोटेशन किया गया था, तब रिजर्व सीटों का मामला कोर्ट में गया था, तो कोर्ट ने भी निगम चुनाव का हवाला देकर सभी आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया था।