-जिस दल का होगा स्टेंडिंग कमेटी चेयरमैन, बैठक में वही दल साबित होगा कमजोर
-स्टेंडिंग कमेटी की बैठकों में किसी प्रस्ताव पर वोटिंग होने पर भारी पड़ेगा विपक्षी दल
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 10 सितंबर।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा बीजेपी (BJP) विधायकों के शिकायती पत्र को गृह मंत्रालय (Ministry of Home) को भेजे जाने और दिल्ली सरकार (Delhi Government) को भंग किये जाने की आशंकाओं के बीच दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) की स्टेंडिंग कमेटी पर कब्जे की कवायद तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपनी-अपनी गोटियां बिछानी शुरू कर दी हैं। 12 में से 7 जोन पर कब्जा जमाने के बाद जहां बीजेपी नेताओं का हौसला बढ़ा हुआ है, वहीं आप नेताओं ने 26 सितंबर को स्टेंडिंग कमेटी (Standing Committee) के एक सदस्य के चुनाव की तैयारी शुरू करके अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश की है। लेकिन इन सब बातों के बीच एक बात स्पष्ट हो गई है कि निगम की सबसे पॉवरफुल कमेटी पर कब्जा किसी भी दल को हो, परंतु इस कमेटी में जो दल विपक्ष की भूमिका निभायेगा, उसी की ही चलेगी।
जी हां, बीजेपी और आप में से जो भी दल स्टेंडिंग कमेटी में विपक्ष में बैठेगा उसी दल की मर्जी से कमेटी की बैठक में लाये जाने वाले प्रस्ताव पास हो सकेंगे। कारण है कि किसी भी प्रस्ताव पर वोटिंग होने के बाद जिस दल का चेयरमैन होगा उसे हार का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि एमसीडी एक्ट के मुताबिक चुनाव के आलावा किसी भी बैठक में किसी प्रस्ताव पर वोटिंग होने पर बहुमत के आधार पर ही प्रस्ताव को पास किया जा सकता है। खास बात है कि कमेटी के अध्यक्ष या चेयरमैन को अपना वोट डालने का अधिकार उसी स्थिति में होता है, जब किसी भी प्रस्ताव पर डाले गये वोट बराबर की संख्या में हों। यदि प्रस्ताव पर डाले गये वोट कम-ज्यादा होते हैं तो अध्यक्ष के द्वारा वोट नहीं डाला जाता।
दिल्ली नगर निगम की स्टेंडिंग कमेटी की संख्या का समीकरण कुछ इस तरह का है कि यदि 26 सितंबर को होने वाली सदन की बैठक में आम आदमी पार्टी का एक सदस्य चुनकर आ जाता है तो बीजेपी और आप के सदस्यों की संख्या बराबर यानी कि 9-9 हो जायेगी। ऐसे में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन के चुनाव के समय लॉटरी सिस्टम की जरूरत पड़ सकती है। यदि इस चुनाव में बीजेपी स्टैंडिंग कमेटी पर कब्जा कर लेती है तो अधिकतर प्रस्ताव आप पार्षदों की मर्जी के बिना पास नहीं हो सकेंगे। यदि चेयरमैन आप का बनता है तो स्टेंडिंग कमेटी में पास होने वाले प्रस्ताव बीजेपी पार्षदों की बिना सहमति के पास नहीं हो सकेंगे।
आगे भी रहेगी उथल पुथल की स्थिति
दिल्ली नगर निगम अधिनियम के जानकारों का कहना है कि जिस प्रकार की स्थिति पिछले करीब डेढ़ वर्ष से नगर निगम की चली आ रही है, उसी तरह की उथल पुथल आगे भी जारी रहेगी। कारण है कि पहले तो महत्वपूर्ण प्रस्तावों का पास होना स्टेंडिंग कमेटी में ही मुश्किल होगा, क्योंकि कमेटी दोनों दलों के बराबर सदस्य रहेंगे। दूसरे यदि बीजेपी स्टेंडिंग कमेटी की सत्ता पा लेती है तो वह प्रस्ताव सदन में आसानी से पारित नहीं हो सकेंगे। क्योंकि सदन में आम आदमी पार्टी का बहुमत है। ऐसे में दिल्ली नगर निगम के अखाड़े में आगे भी बीजेपी और आप की जोरआजमाइश बदस्तूर जारी रहने की आशंका है। सबसे खराब स्थिति कांग्रेस की है कि उसके पास निगम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कोई मौका नहीं है।