-अपनी दुकानों पर निर्धारित से ज्यादा बड़े साइन बोर्ड लगाये तो चुकाना होगा भारी-भरकम विज्ञापन शुल्क
-यह कैसा छवि सुधार? पहले संपत्ति कर, फिर लाइसेंस शुल्क और अब साइनेज बोर्ड पर एमसीडी की मार
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 10 अक्टूबर, 2022।
केंद्र की मोदी सरकार ने भले ही तीनों नगर निगम एक करने के साथ इसकी छवि सुधारने की जिम्मेदारी कुछ विशेष अधिकारियों को दी है। लेकिन नगर निगम अपने कारनामों से जनता के बीच लगातार बदनाम हो रहा है। दिल्ली वालों के ऊपर नगर निगम की सबसे बड़ी मार तो संपत्ति कर बढ़ोतरी के रूप में पड़ी है। इसके पश्चात विभिन्न प्रकार के लाइसेंस शुल्क में बढ़ोतरी के बाद अब व्यापारियों की दुकानों पर लगे साइनेज बोर्ड के लिए भी दिल्ली नगर निगम ने भारी-भरकम विज्ञापन शुल्क वसूली के लिए नोटिस जारी करने शुरू कर दिये हैं।
प्राप्त सूचना के मुताबिक पुरानी दिल्ली के सदर बाजार, चांदनी चौक सहित कमला नगर और कई दूसरे इलाकों के दुकानदारों को हजारों की संख्या में इस तरह के नोटिस जारी किये गये हैं। जिसकी वजह से व्यापारियों के बीच तेजी से नाराजगी बढ़ती जा रही है। व्यापारियों का कहना है कि अभी तक कारोबारी कोरोनाकाल में बंद रहे व्यापार की मार से उबर नहीं पाये हैं। ऐसे में नगर निगम की ओर से कनवर्जन चार्ज, कचरा कलेक्शन के लिए चार्ज और दुकानों पर लगे बोर्ड के लिए विज्ञापन शुल्क की वसूली क लिए नोटिस जारी किया जाना गलत है।
दूसरी ओर दिल्ली नगर निगम के प्रेस एवं सूचना निदेशक अमित कुमार ने बताया कि दिल्ली नगर निगम के पास बहुत पहले से यह अधिकार है। दुकानदारों के लिए 27 वर्ग फुट के साइनेज बोर्ड के लिए कोई शुल्क नहीं है। इससे ज्यादा के साइज वाले साइनेज बोर्ड्स के लिए 100 रूपये प्रति वर्ग फुट की दर से शुल्क वसूलने का प्रावधान है। यदि ऐसे साइनेज बोर्ड पर एलईडी लाइट्स आदि लगा रखे हैं तो उसके लिए 200 रूपये प्रति वर्ग फुट व साइनेज बोर्ड पर अपना प्रोडक्ट प्रदर्शित करने के लिए 300 रूपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से शुल्क वसूलने का प्रावधान है।
व्यापारियों ने जताया विरोध
फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड्स एसोसिएशन के महासचिव राजेंद्र शर्मा ने कहा कि दिल्ली नगर निगम की ओर से व्यापारियों को कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। पार्किंग व्यवस्था बेहद लचर है। इसके बावजूद नगर निगम की ओर से व्यापारियों को हर दिन अलग अलग तरह के नोटिस भेजकर परेशान किया जा रहा है। मेन सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी कमल कुमार ने कहा कि 1957 में बने दिल्ली नगर निगम एक्ट के बाद से अब तक दुकानों को उनके साइनेज बोर्ड के लिए नोटिस जारी नहीं किये गये थे, लेकिन अब निगम अधिकारी पूरी तरह से मनमानी पर उतर आये हैं और पहली बार दुकानदारों को उनकी दुकानों पर लगे बोर्ड के लिए भी नोटिस जारी किये जा रहे हैं।
बीजेपी को सियासी नुकसान!
दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के बाद जिस तरह से व्यापारियों को नोटिस जारी किये जाने की बाढ़ आई है, उसके बाद दिल्ली के व्यापारियों का भारतीय जनता पार्टी से मोह भंग होने लगा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के अधिकारी जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे बीजेपी को फायदे के बजाय सियासी नुकसान हो रहा है। अलग अलग मुद्दों को लेकर जिस तरह से व्यापारियों को नोटिस भेजकर परेशान किया जा रहा है, उससे व्यापारी वर्ग में नाराजगी बढ़ती जा रही है। नगर निगम सुविधा के नाम पर एक भी कदम नहीं उठा पा रहा है और टैक्स वसूली के लिए दिल्ली के व्यापारी वर्ग को लगातार परेशान किया जा रहा है।