MCD चुनावः ये कैसा डी-लिमिटेशन?… मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में नहीं घटी वार्डों की संख्या

-घटाने के बजाय वार्ड डीलिमिटेशन कमेटी ने मुस्तफाबाद सीट पर बढ़ा दिया एक नया वार्ड
-बीजेपी ने आयोग को दिये परिसीमन पर सुझाव लेकिन अभी निगम चुनाव नहीं चाहता बहुत बड़ा धडा

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 30 सितंबर, 2022।
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दिल्ली नगर निगम के लिए वार्डों की डीलिमिटेशन करने के लिए बनाई गई तीन सदस्यों वाली कमेटी ने वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 करने ड्राफ्ट तो जारी कर दिया, लेकिन इस कमेटी के काम पर अब तक बड़े सवाल उठ रहे हैं। कमेटी को 22 वार्ड घटाने थे, लेकिन उसने एक विधानसभा क्षेत्र में एक बढ़ा दिया है। आश्चर्य की बात है कि मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाले 5 विधानसभा क्षेत्रों में तो कमेटी ने एक भी वार्ड नहीं घटाया है।
हालांकि यह ड्राफ्ट आम लोगों की राय जानने के लिए जारी कर दिया है और 3 अक्टूबर तक इस पर विचार दिये जाने हैं। लेकिन कमेटी के कामकाज पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि वार्डों के डीलिमिटेशन के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया गया है। इसके बावजूद किसी वार्ड की जनसंख्या 35 हजार है तो किसी वार्ड की जनसंख्या 85 हजार हो गई है। वास्तविक जनसंख्या की बात की जाये तो यह इससे डेढ़ गुना तक ज्यादा हो सकती है। यदि हर वार्ड के लिए जनसंख्या का अनुपात निकाला जाये तो यह हर वार्ड के लिए करीब 65 हजार बैठती है।

इस मामले में बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित बहुत से लोगों ने राज्य निर्वाचन आयोग को अपने सुझाव दिए हैं। लेकिन इसके बावजूद इन विसंगतियों का पूरी तरह से दूर हो पाना मुश्किल है। खास बात है कि तीन सदस्यों वाली जिस समिति ने वार्डों की नई संरचना की है, उनमें मूलभूत रूप से बहुत सी बड़ी गलतियां हो गई हैं। गंभीरता से देखा जाए तो इसका ज्यादा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को ही होता नजर आ रहा है। इसका एक उदाहरण चांदनी चौक वार्ड भी है, जिसका एक हिन्दू बहुल हिस्सा मुस्लिम बहुल वार्ड में जोड़ दिया गया है। इसका नुकसान भी बीजेपी को उठाना होगा। क्योंकि इससे चांदनी चौक वार्ड का संतुलन बिगड़ गया है।
बता दें कि मुस्लिम बहुल मतदाताओं वाले मटिया महल विधानसभा क्षेत्र में पहले भी तीन वार्ड चांदनी महल, दिल्ली गेट और बाजार सीताराम थे और नये ड्राफ्ट में भी हैं। बल्ली मारान विधानसभा क्षेत्र में भी पहले तीन वार्ड बल्ली मारान, राम नगर और कुरैश नगर वार्ड थे और नये ड्राफ्ट में भी हैं। ओखला विधानसभा क्षेत्र में पहले पांच मदनपुर खादर ईस्ट, मदनपुर खादर वेस्ट, सरिता विहार, अबुल फजल एन्क्लेव और जाकिर नगर वार्ड ज्यों के त्यों हैं। सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र में भी वार्डों की संख्या पहले की तरह 4 ही रखी गई है, जो कि सीलमपुर, चौहान बांगर, गौतमपुरी और मौजपुर वार्ड के नाम से जाने जायेंगे।
मुस्तफाबाद सीट पर बढ़ाया एक वार्ड
मुस्तफाबाद विधानसभा सीट की बात करें तो दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में यह एक मात्र सीट ऐसी है जिसमें पहले के मुकाबले एक वार्ड बढ़ाया गया है। इस सीट के तहत पहले चार वार्ड होते थे, लेकिन अब यहां वार्डों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है। पहले इस सीट के अंतर्गत करावल नगर ईस्ट, मुस्तफाबाद, नेहरू विहार और शिव विहार वार्ड होते थे। अब यहां शिव विहार वार्ड को खत्म करके करावल नगर ईस्ट में शामिल कर लिया गया है। जबकि दयालपुर और बृजपुरी नाम से दो नये वार्ड ईजाद किये गये हैं। यानी कि अब इस सीट पर करावल नगर ईस्ट, मुस्तफाबाद, नेहरू विहार, दयालपुर और बृजपुरी वार्ड होंगे।
अभी निगम चुनाव नहीं चाहता दिल्ली BJP का एक बहुत बड़ा धड़ा
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का एक बड़ा धड़ा अभी नगर निगम चुनाव नहीं चाहता है। पार्टी के एक वरिष्ठ प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि भले ही वार्डों का परिसीमन हो रहा है, वार्डों की संख्या घटाकर 250 कर दी गई है। ज्यादातर वार्डों में कुछ नये इलाके जुड़े हैं और कुछ पुराने इलाके काटे गये हैं। लेकिन अब भी दिल्ली की सियासी आबोहवा भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नहीं है। पार्टी के एक और नेता ने कहा कि नवंबर-दिसंबर में केंद्रीय नेतृत्व का पूरा ध्यान गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर रहेगा। इसको देखते हुए भी नवंबर-दिसंबर महीने में नगर निगम चुनाव कराया जाना उचित नहीं रहेगा। वहीं बीजेपी के एक और बड़े नेता व पूर्व प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि दिल्ली नगर निगम की छवि सुधरने के बजाय और ज्यादा खराब हुई है। आम लोगों के काम रूक गये है और उन्हें भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है। केवल सियासी आरोप-प्रत्यारोपों से निगम की छवि नहीं सुधारी जा सकती। ऐसे में यदि दिसंबर में चुनाव होते हैं तो यह भाजपा के लिए नुकसानदायक रहेगा।