-कानूनी पेचीदगी से बचने के लिए निकाला निगम पार्षदों ने रास्ता
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 16 फरवरी, 2023।
दिल्ली नगर निगम (MCD) के इतिहास में पहली बार नये-नये कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं। चार बैठकें बुलाये जाने के बावजूद दिल्ली के मेयर (Mayor) का चुनाव नहीं हो सका। ऐसे में नवनिर्वाचित निगम पार्षदों को अपनी सदस्यता जाने का डर सता रहा है। इसलिए अब उन्होंने अपने आय-व्यय का ब्यौरा निगम सचिव (Municipal Secretary) कार्यालय में जमा करवाना शुरू कर दिया है। हालांकि निगम सचिव कार्यालय की ओर से संपत्तियों का व्योरा जमानकराने के लिए एक सूचना जारी की गई है।
दरअसल दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 (DMC Act- 1957) की धारा 32 की उपधारा (1) के तहत सभी चुने हुए और मनोनीत निगम पार्षदों को निगम के सदन की बैठक में शपथ ग्रहण करने के एक माह के अंदर अपने आय-व्यय (संपत्तियों) का ब्यौरा मेयर के पास जमा कराना होता है। यदि कोई निगम पार्षद इस अवधि के दौरान अपनी संपत्तियों का ब्यौरा जमा नहीं कराता है तो उसकी सदस्यता समाप्त मानी जा सकती है। हर वर्ष मेयर के चुनाव के साथ इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है और हर वर्ष निगम पार्षद अपनी संपत्तियों का ब्यौरा मेयर कार्यालय में जमा करवाते हैं।
तीनों नगर निगमों को मिलाकर बनाये गये दिल्ली नगर निगम के चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान हुआ था और 7 दिसंबर को इसके नतीजे आये थे। इसके पश्चात 6 जनवरी को दिल्ली नगर निगम के सदन की पहली बैठक बुलाई गई थी। इसमें पार्षदों को शपथ दिलाये जाने के पश्चात मेयर, डिप्टी मेयर और स्टेंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का चुनाव कराया जाना था। लेकिन आप पार्षदों की ओर से हंगामा किये जाने की वजह से उस दिन शपथ नहीं करायी जा सकी थी।
इसके पश्चात 24 जनवरी को उसी स्थगित बैठक को पुनः बुलाया गया था, लेकिन इस बैठक में केवल निगम पार्षदों की शपथ ही करायी जा सकी थी, इस बैठक में भी मेयर, डिप्टी मेयर और स्टेंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों का चुनाव नहीं हो सका। इसके पश्चात 6 फरवरी को भी यह बैठक बुलाई गई लेकिन इसमें भी मेयर का चुनाव टल गया। ऐसे में नियमानुसार सभी निगम पार्षदों के लिए अपनी संपत्तियों का ब्यौरा 23 फरवरी तक जमा कराना आवश्यक है।
मेयर का चुनाव भले ही नहीं हुआ हो, लेकिन ऐसी स्थिति में किसी भी कानूनी समस्या से बचने के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) , भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (CONGRESS)के साथ निर्दलीय निगम पार्षदों (Councilors) ने भी अपना आय-व्यय का ब्यौरा निगम सचिव कार्यालय में जमा कराना शुरू कर दिया है। कारण है कि निगम सचिव कार्यालय मेयर के नेतृत्व में ही कार्य करता है, और जब तक मेयर का चुनाव नहीं हो जाता तब तक इस जिम्मेदारी को स्पेशल ऑफिसर के द्वारा निभाया जारहा है। बताया जा रहा है कि बुधवार तक करीब 150 से ज्यादा निगम पार्षदों ने अपनी संपत्तियों का ब्यौरा निगम सचिव कार्यालय में जमा करा दिया है।