RRTS पर घिरी AAP सरकार… कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार, BJP ने की KEJRIWAL के इस्तीफे की मांग

-सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के विज्ञापन बजट को आरआरटीएस खाते में स्थानांतरित करने का आदेश देकर लगाई कड़ी फटकारःःसचदेवा
-दिल्ली वालो के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात कि चुनी हुई आम आदमी पार्टी सरकार से काम कराने के लियें सुप्रीम कोर्ट को पड़ा लताड़नाः बांसुरी
-रेपिड रेल को फंड जारी नहीं करना दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर केजरीवाल सरकार का कुठाराघातः अरविंदर सिंह लवली

एससस ब्यूरो/ नई दिल्ली 21 नवम्बर।
रेपिड रेल (RRTS) के लिए अपने हिस्से का फंड नहीं जारी करके दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) बुरी तरह से फंस गई है। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने दिल्ली सरकार को जबरदस्त लताड़ लगाई। कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आदेश दिया कि वह अपने विज्ञापन के फंड का पैसा रैपिड रेल के निर्माण कार्य के लिए जारी करें। इसको लेकर राजधानी में सियासी घमासान तेज हो गया है और भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कोर्ट के फैसले एकदम सही बताया है।
दिल्ली प्रदेश बीजेपी (Delhi BJP) अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा (President Virender Sachdeva) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट को आरआरटीएस के खाते में स्थानांतरित करने का आदेश एक गंभीर मामला है। अब समय आ गया है कि अरविंद केजरीवाल न केवल दिल्ली के लोगों को धोखा देने के लिए बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए तुरंत इस्तीफा दें।
दिल्ली प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के विज्ञापन बजट को एक सप्ताह के बाद कुर्की की धमकी के साथ स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार लगभग एक साल से आरआरटीएस फंड के भुगतान से इनकार करती आ है और जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आरआरटीएस फंड के अपने हिस्से का तुरंत भुगतान करने का निर्देश दिया था।
दूसरी ओर दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा केजरीवाल सरकार के विज्ञापन बजट को जब्त करने की सख्त कार्रवाई का आदेश दिल्ली सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। जुलाई में भी सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यह आश्वासन दिया था कि वह दिल्ली से मेरठ के बीच बन रहे रेल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए अपने हिस्से का फंड देगी। दिल्ली सरकार ने इस परियोजना के लिए इस साल का अपने हिस्से का 565 करोड़ रुपए रिलीज नहीं किया है। अब 28 नवंबर को दिल्ली सरकार को कोर्ट में बताना पड़ेगा कि इस दिशा में उसने क्या किया है।
दिल्ली मेरठ रेपिड रेल परियोजना की कुल लागत 30,274 करोड़ रुपए है। इसमें से दिल्ली सरकार को केवल 1180 करोड़ रुपए देने हैं जोकि कुल 3 प्रतिशत ही है। दिल्ली सरकार की ओर इस साल का 565 करोड़ रुपए बकाया हैं। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार का विज्ञापन का इस साल का बजट 550 करोड़ रूपये है। पिछले तीन साल का दिल्ली सरकार का विज्ञापन का बजट 1100 करोड़ रुपए है।
दिल्ली बीजेपी की मंत्री बांसुरी स्वराज ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली की चुनी हुई आम आदमी पार्टी सरकार से काम कराने के लिये सुप्रीम कोर्ट को उन्हें लताड़ना पड़ता है। 24 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हवा में अपने हाथ खड़े कर दिए है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा अगर तीन साल में 1100 करोड़ रुपये केजरीवाल सरकार प्रचार प्रसार और विज्ञापनों पर खर्च कर सकती है उन्हाहोंने कहा कि केजरीवाल सरकार एक निक्कमी सरकार है, एक बहानेबाज सरकार है, प्रचारक, प्रसार और भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार है जो दिल्ली की सुध नहीं लेती।
रेपिड रेल को फंड नहीं देना सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के साथ खिलवाड़ः कांग्रेस
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस (Delhi Prdesh Congress) अध्यक्ष अरविंदर लवली (Arvinder Singh Lovely) ने कहा कि केजरीवाल सरकार की लापरवाही के चलते दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था खस्ताहाल है, दिल्ली सरकार को रैपिड रेल परियोजना में पूरा सहयोग करना चाहिए। क्योंकि परियोजना के समय पर पूरा होने से दिल्ली के लाखों परेशान यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी। ऐसे हालात में राजधानी में सार्वजनिक परिवहन में जल्द सुधार की कोई संभावना नहीं है। परिवहन व्यवस्था ठीक नहीं होने की वजह से लोगों को अपने निजी वाहनों का ज्यादा प्रयोग करना पड़ता है। जिससे दिल्ली में दमघोटू प्रदूषण कहर ढा रहा है और दूसरी ओर दिल्ली सरकार परिवहन साधनों के विकल्प तलाशने की जगह रैपिड रेल परियोजना पर अपनी वित्तीय हिस्सेदारी की अदायगी न करना पूरी तरह निष्क्रियता को दर्शाता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि दिल्ली सरकार की धमकी है कि अगर दिल्ली जल बोर्ड को फंड नहीं दिया गया तो दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे। जिसे मुख्य सचिव के आदेश पर वित्त सचिव ने रोक दिया है। मंत्री द्वारा जारी किया गया बयान पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्रियों और नौकरशाहों को आरोप-प्रत्यारोप बंद करके लोगों के हित और कल्याण के लिए काम करना चाहिए, न कि मंत्री खुद धमकी दे रही हैं कि अगर दिल्ली जल बोर्ड कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया तो लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा और सीवर बह जाएंगे। लवली ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में दिल्ली जल बोर्ड का घाटा 60,000 करोड़ तक पहुॅच गया है जबकि कांग्रेस की दिल्ली सरकार के समय दिल्ली जल बोर्ड मुनाफे में चलता था।