आंकड़े गिराने को केजरीवाल सरकार ने कोरोना के आरटी-पीसीआर टेस्ट घटाएः कांग्रेस

-जिस रेपिड एंटीजेन टेस्ट पर पर सरकार को भरोसा, वह अविश्वसनीयः अनिल चौधरी

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने दिल्ली के केजरीवाल सरकार पर कोरोना के आंकड़ों के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा है कि दिल्ली सरकार रेपिड एंटीजेन टेस्ट बढ़ा रही है। जबकि इसकी विश्वसनीयता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ज्यादा भरोसेमंद आरटी-पीसीआर टेस्ट होता है, लेकिन पिछले दिनों में इनकी संख्या लगातार घटाई जा रही है।

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चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि दिल्ली में कोरोना पॉजिटिव मामलों की दर कम दर्ज की जा रही है, जबकि दिल्ली में कोरोना के कुल 1,28,389 मामले हैं। दिल्ली कोरोना मामलों में देश के शहरों में पहले नम्बर पर और राज्यों में तीसरे नम्बर पर है। उन्होंने कहा कि अरविंद सरकार कोविड पाजिटिव आंकड़ों में गड़बड़ी कर रही है, और जिस विश्वसनीयता के साथ रेपिड एंटीजेन टेस्ट पर दिल्ली सरकार पर भरोसा कर रही है, उसकी रिपोर्ट उतनी विश्वसनीय नही हैं।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस महामारी अभी तक चरम पर नही आई है। उन्होंने कहा कि जब देश भर में कल कोविड मामलों की संख्या कुल 13,49,310 थी और एक दिन में 49,310 नए कोरोना केस आए, जो देश भर में अभी तक सबसे अधिक है, तो यह कैसे संभव है कि दिल्ली में नए कोरोना पाजिटिव मामलों में कमी आ रही है। चौ0 अनिल कुमार ने पूछा कि यह विरोधाभास क्यों? शायद दिल्ली सरकार गोल्ड स्टैंडर्ड आरटी-पीसीआर टेस्ट की तुलना में रैपिड एंटीजन टेस्ट पर अधिक भरोसा करती है।

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जबकि यह अधिक विश्वसनीय नहीं है। क्योंकि रैपिड एंटीजन टेस्ट के दौरान के नेगेटिव मामलों का दोबारा आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने पर पाजिटिव आये मामालों में बढ़ौत्तरी आई है। जबकि यह चौकाने वाला है कि 18 प्रतिशत रेपिड एंटीजेन टेस्ट जो नेगेटिव आये थे उनका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया तो वह पाजिटिव आए। उन्होंने कहा कि जब सरकार कह रही है कि कोरोना के मामले कम हो रहे थे तो फिर कंटेनमेन्ट जोन बढ़कर 704 कैसे हो गए। इस मौके पर चौधरी अनिल कुमार के साथ पूर्व मंत्री डॉक्टर नरेन्द्र नाथ, प्रदेश उपाध्यक्ष जय किशन और अली मेंहदी मौजूद थे।
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि राजधानी में 2 मार्च को कोरोना के सिर्फ 2 मामले थे। परंतु अरविन्द सरकार ने कोविड मामलों में आई तेजी से वृद्धि से घबरा कर आंकड़ों को सच्चाई को सामने आने के डर से झूठे बयान देकर कर रही है कि दिल्ली में मामले कम आ रहे है, और दिल्ली की सच्चाई छिपाने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट पर कम जोर देकर रैपिड एंटीजेन टेस्ट करा रही है । उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में आरटी-पीसीआर टेस्ट पर जोर दिया जाए तो कोविड मरीजों की वास्तविक तस्वीर सामने आ जाएगी।
19 जून से 15 जुलाई, 2020 तक रैपिड एंटीजन टेस्ट्स का दिल्ली में 70 प्रतिशत (2,81,555 मामलों) में 6.92 प्रतिशत केस ही कोरोना पॉजिटिव आए जबकि 30 प्रतिशत आरटी-पीसीआर टेस्ट (1,20,505 मामले) में 36.34 प्रतिशत पॉजिटिव आए, इससे साफ हो जाता है कि राजधानी में पॉजिटिव मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है।
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि समय से पहले सुरक्षा कम करने के लिए कोविड टेस्ट-ट्रेस-ट्रीट के तहत किए जा रहे रेपिड एंटीजेन टेस्ट की विश्वसनियता पूरी तरह सही नही है जबकि इसकी तुलना में गोल्ड स्टैंडर्ड आरटी-पीसीआर टेस्ट की पाजिटिविटी का प्रतिशत देखे तो इसमें अधिक विश्वसनियता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और आई.सी.एम.आर. द्वारा कराए गए सीरोलॉजी सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 23 प्रतिशत लोग कोरोना पॉजिटिव है। मतलब रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 50 लाख लोग दिल्ली में कोरोना महामारी से प्रभावित है।
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा यह दावा करने के बावजूद कि 500 प्लाज्मा सैम्पल उपलब्ध है, तो फिर प्लाज्मा की कालाबारी क्यों हो रही है, और दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में 4878 कोरोना के मरीज़ अभी भी भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल मरीजों को प्लाज्मा की व्यवस्था करने को कहने की बजाय, अस्पतालां को स्वयं ही प्लाज्मा की व्यवस्था करके मरीजों को प्लाज्मा की सुविधा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को प्लाजमा दानदाताओं को अधिक से अधिक प्रोत्साहन करने के लिए प्जालमा डोनर को प्रोत्साहन राशि भी देनी चाहिए।
चौधरी अनिल कुमार ने सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार को राजधानी में कोविड-प्रभावित की वास्तविक संख्या जानने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट की जगह आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि विशेषज्ञ मानते हैं कि बड़े पैमाने पर परीक्षण करने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट जल्दी होते हैं, और इस टेस्ट में आए नेगेटिव मामलों देखकर अरविंद सरकार को सुस्त नही बैठना चाहिए। अगर अरविन्द सरकार रेपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट पर निर्भर होकर दिल्लीवासियों को सुरक्षित समझ रही है, तो वह दिल्ली की जनता को महामारी के गंभीर संकट में धकेल रही है।