लालू के कारण बिहार में बैन हुई ‘कन्हैया’ की एंट्री… CONGRESS ने दिखाया दिल्ली का रास्ता… बढ़ सकती हैं मनोज तिवारी के मुश्किलें!

-आप और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने किया मिलकर काम तो बढ़ सकती हैं ‘तिवारी’ की मुश्किलें

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 15 अप्रैल।
लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस (Congress) ने अपने हिस्से में आईं 7 में से 3 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के टिकट पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली (North East Delhi) से ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग के सदस्य कहे जाने वाले कन्हैया कुमार (Kanhiya Kumar), उत्तर पश्चिमी दिल्ली (North West Delhi) से उदित राज (Udit Raj) और चांदनी चौक (Chandni Chowk) सीट से पूर्व सांसद जय प्रकाश अग्रवाल (Jai Prakash Agarwal) ताल ठोंकेंगे।
कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि पार्टी पहले कन्हैया कुमार को बिहार में चुनाव लड़ाना चाहती थी। परंतु राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कन्हैया के नाम पर विरोध दर्ज कराया था। इसकी वजह से उम्मीवारों के नामों की घोषणा में भी देरी हुई। लालू नहीं चाहते हैं कि गठबंधन के दलों में से कोई ऐसा उम्मीदवार आये जो आगे चलकर उनके बेटे तेजस्वी यादव के लिए मुश्किलें खड़ी करे। जिसकी वजह से बिहार में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के बतौर कन्हैया कुमार की ‘एंट्री बैन’ हो गई और कांग्रेस को उन्हें दिल्ली का रास्ता दिखाना पड़ा।
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि कन्हैया कुमार के साथ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मतदाताओं के साथ उत्तर पूर्वी दिल्ली का मुस्लिम वोट भी जु़ड़ जायेगा। जिसकी वजह से कन्हैया कुमार को जीत हासिल हो सकती है। हालांकि उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने सोशल मीडिया पर हवा बनाना शुरू कर दिया है। कुछ इसी तरह की चर्चा इस लोकसभा क्षेत्र में भी शुरू हो गई है कि यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता कन्हैया के साथ जुड़ गये तो मनोज तिवारी को चुनाव में परेशानी हो सकती है।
इस सीट पर बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद मनोज तिवारी को तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है। तिवारी एक मात्र ऐसे उम्मीवार हैं जो एक बार फिर दिल्ली में चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने बाकी सभी 6 उम्मीदवारों के स्थान पर नये चेहरे उतारे हैं। परंतु मनोज तिवारी के साथ 10 वर्षों की एंटी इनकंबैंसी भी जुड़ी हुई है। हालांकि 2019 का लोकसभा चुनाव मनोज तिवारी ने 3 लाख 66 हजार 102 वोट के अंतर से जीता था। उन्होंने कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीली दीक्षित को हराया था। आम आदमी पार्टी के दिलीप पांडे तब तीसरे स्थान पर रहे थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मनोज तिवारी को 7 लाख 87 हजार 799 (53.9 फीसदी) वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस की शीला दीक्षित को 4 लाख 21 हजार 697 (28.85 फीसदी) वोट और आम आदमी पार्टी के दिलीप पांडे को 1 लाख 90 जार 856 (13.06 फीसदी) वोट प्राप्त हुए थे। यदि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी उम्मीदवारों के वोट एक साथ जोड़ लिये जायें, तब भी बीजेपी ही जीती हुई दिखाई देती है।
चर्चा में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर एंट्री और एग्जिट न होना
बीजेपी सांसद एवं स्टार प्रचारक मनोज तिवारी के लिए चुनाव में कन्हैया कुमार के आने से थोड़ी मुश्किल हो सकती है। कारण है कि कन्हैया कुमार के साथ आप-कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मामले में बाहरी होने के अलावा और कोई विरोधाभासी मामला नहीं है। जबकि लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही दिल्ली-सहारपुर हाईवे के मामले में करावल नगर-मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्रों के लोगों के लिए एंट्री और एग्जिट को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। लोगों का कहना है कि मनोज तिवारी ने वादा किया था कि वह खजूरी चौक से टोल टैक्स के बीच इस हाईवे पर एंट्री और एग्जिट का रास्ता खुलवाएंगे। परंतु फिलहाल इस हाईवे पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
कांग्रेसी ही बढ़ा सकते हैं कन्हैया की मुश्किलें
इस सीट पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल चौधरी प्रमुख रूप से दावेदारी कर रहे थे। उनके अलावा पूर्व विधायक भीष्म शर्मा भी टिकट की लाइन में थे। परंतु पार्टी ने कन्हैया को चुनावी मैदान में उतार दिया है। ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का गंभीरता के साथ कन्हैया के चुनाव में लगना मुश्किल नजर आ रहा है। वहीं आम आदमी पार्टी के एक वरष्ठि नेता का कहना है कि उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता पहले ही मुश्किल में हैं, ऐसे में कन्हैया कुमार के साथ चुनाव में लगना मुश्किल है।