अपने ही पूर्व महापौर ने उठाया भ्रष्टाचार का मुद्दा… तो बैकफुट पर बीजेपी… तीन पार्षदों को पार्टी से निकाला

-‘आप’ में शामिल होने की भनक लगते ही ट्विटर के जरिये कर दी पार्टी से निकालने की घोषणा
-शिकायतें मिलने के बावजूद बचाती रही पार्टी, भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टोलरेंस’ बना मखौल

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टोलरेंस’ का दावा करने वाला प्रदेश भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व बैकफुट पर आ गया है। अपनी पार्टी के एक पूर्व महापौर द्वारा नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार की शिकायत पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं तक पहुंचाये जाने के बाद मजबूर में प्रदेश बीजेपी नेतृत्व ने आखिर रविवार को अपने तीन पार्षदों को 6 वर्ष के लिए पार्टी से निकाल दिया। हालांकि बताया यह जा रहा है कि पार्टी नेताओं को अपने पार्षदों के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की भनक लग गई थी। इसलिए आनन-फानन में तीन पार्षदों मुखर्जी नगर से पूजा मदान, न्यू अशोक नगर से रजनी पांडे और सैदुल्लाजाब से संजय ठाकुर को पार्टी से निकालने का ऐलान कर दिया गया।

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प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता की ओर से जारी निलंबन पत्रों में तीनों पार्षदों को संबोधित करते हुए कहा गया है कि आपको अनेकों बार अवगत कराकर अपने भ्रष्टाचारी व्यवहार को ठीक करने के लिए कहा गया, परंतु आपके व्यवहार में सुधार नहीं आया। इन तीनों पार्षदों को छह वर्षों के लिए पार्टी की सदस्यता से निलंबित किया गया है। पूजा मदान उत्तरी दिल्ली नगर निगम, संजय ठाकुर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और रजनी पांडे पूर्वी दिल्ली नगर निगम की निगम पार्षद हैं। निगम पार्षद बनने के बाद रजनी पांडे को पूर्वी दिल्ली इलाके में लेंटर पांडे के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि बीजेपी पार्षद पूजा मदान के बीजेपी से निकाले जाने की घोषणा के कुछ मिनट बाद ही वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गईं। इसके बाद पार्टी की खूब किरकिरी हो रही है।

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बता दें कि हाल ही में उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर रविंद्र गुप्ता ने प्रधानमंत्री व गृहमंत्री से लेकर उपराज्यपाल और पुलिस व विभिन्न जांच एजेंसियों को पत्र लिखकर नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार और बीजेपी-आप नेताओं, कुछ निगम अधिकारियों व बिल्डर माफिया की मिलीभगत से नगर निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की शिकायत की थी। इस शिकायती पत्र के साथ कुछ लोगों की सूची भी दी गई है, जिसमें कि बीजेपी के कुछ नेताओं के नाम भी शामिल हैं, जिनपर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इसके बाद से प्रदेश बीजेपी नेतृत्व निगम में फैले भ्रष्टाचार को लेकर भारी दबाव में है।
कागजों में सील एनडी मॉल पर विवाद
पूर्व महापौर रविंद्र गुप्ता की ओर से लिखे गये इस पत्र में 21 ऐसी संदिग्ध संपत्तियों की सूची भी दी गई है, जिन्हें या तो अवैध निर्माण के जरिये बनाया गया है, या फिर उनमें काले धन को सफेद करने का काम किया गया है। खास बात है कि करोलबाग इलाके के बीडनपुरा इलाके में एक ऐसे ही मॉल का जिक्र किया गया, जो कि 2013 से कागजों में सील है लेकिन वास्तव में यहां करोड़ों रूपये का व्यापार चल रहा है। नगर निगम में 2007 से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है। लेकिन निगम अधिकारियों और निगम की सत्ता में काबिज नेताओं ने इस गैरकानूनी काम पर कोई रोक लगाने की कोशिश नहीं की। बताया जा रहा है कि बिल्डर माफिया के सांठ-गांठ करने वाले कुछ और बीजेपी नेताओं के नाम जल्दी ही सामने आने वाले हैं। आम आदमी पार्टी ने बड़े स्तर के इस भ्रष्टाचार के मामले को मुद्दा बना लिया है।
दिल्ली बीजेपी में मखौल बना ‘जीरो टोलरेंस’
दिल्ली बीजेपी नेतृत्व ने पार्टी की ‘जीरो टोलरेंस’ को मखौल बनाकर रख दिया है। इसका ताजा उदाहरण रविवार को जारी तीनों निगम पार्षदों के निलंबन पत्रों के जरिये सामने आया। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता की ओर से जारी तीनों पत्रों में लिखा गया है कि ‘आपको अनेकों बार इस बारे में अवगत कराकर अपने भ्रष्टाचारी व्यवहार को ठीक करने के लिए कहा गया परंतु आपके व्यवहार में कोई सुधार नहीं आया।’ वहीं प्रदेश बीजेपी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘आदेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश भाजपा जीरो टोलरेंस नीति पर काम कर रही है। भ्रष्टाचार के कोई भी मामले बरदाश्त नहीं किये जायेंगे।’ अब सवाल यह उठता है कि यदि बीजेपी नेतृत्व की ओर से अपने तीनों निगम पार्षदों को बार-बार अपने भ्रष्टाचारी आचरण को सुधारने की बात कही जा रही थी, तो जीरो टोलरेंस कहां हुआ? यदि पार्टी में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति अपना रखी है तो बीजेपी नेता अपने पार्षदों के भ्रष्टाचार को लंबे समय से दबाये क्यों बैठे रहे? पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेताओं को भनक लग गई थी कि कुछ पार्षद आम आदमी पार्टी में जा रहे हैं, इसलिए उन्हें पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
करोलबाग जोन में फैले भ्रष्टाचार मामले में बीजेपी के कई नेता लपेटे में
करोलबाग जोन के बिल्डिंग विभाग में फैले बड़े स्तर के भ्रष्टाचार में बीजेपी के कई नेता लपेटे में आ सकते हैं। वर्षों पहले सील किये जा चुके मॉल की सील कब टूट गई? कब इसमें दुकानें सज गईं और किन लोगों ने इस माफियाराज को संरक्षण दे रखा है? यह बड़े सवाल हैं। गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता स्वयं करोलाग जोन से ही चुनकर आये हैं। इसके बावजूद करोलबाग जोन में बड़े स्तर पर अवैध भवन निर्माण का काम जारी है। बताया जा रहा है कि यदि इन मामलों की जांच होती है तो बीजेपी के कई नेता लपेटे में आ सकते हैं।