सरकार ने कसा ओला-ऊबर कंपनियों पर शिकंजा

-नहीं वसूल सकेंगे ज्यादा किराया, सरकार ने जारी कीं नई गाइलाइंस
-24 घंटे चालू रखना होगा कंट्रोल रूम, इससे जुड़े रहेंगे सभी ड्राईवर

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
सरकार ने ओला और ऊबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों की मनमानी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। यह कंपनियां पीक ऑवर्स के दौरान किराए में कई गुना बढ़ोतरी कर देती हैं। लेकिन अब सरकार ने इन कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। सरकार ने शुक्रवार को ओला और ऊबर जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों के ऊपर मांग बढ़ने पर किराया बढ़ाने की सीमा तय कर दी है। अब ये कंपनियां मूल किराए के डेढ़ गुने से अधिक किराया नहीं वसूल सकेंगी।

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बता दें कि सरकार का यह कदम इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि लोग कैब सेवाएं देने वाली कंपनियों के अधिकतम किराए पर लगाम लगाने की लंबे समय से मांग कर रहे थे। ऐसा पहली बार है जब भारत में ओला और ऊबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स को रेग्यूलेट करने के लिए सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन कंपनियों द्वारा मनकानी किए जाने की शिकायतें सरकार को लगातार मिल रही थीं।

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इसके साथ ही सरकार ने इन कंपनियों की जिम्मेदारियों को भी तय कर दिया है। अब इन एग्रीगेटर्स कंपनियों को डेटा स्थानीयकरण सुनिश्चित करना होगा कि डेटा भारतीय सर्वर में न्यूनतम तीन महीने और अधिकतम चार महीने तक सुरक्षित रखा जाएगा। यह उस तारीख से संग्रहीत किया जाए, जिस दिन डेटा जेनरेट किया गया था। डेटा को भारत सरकार के कानून के अनुसार सुलभ बनाना होगा। इसके साथ ही ग्राहकों के डेटा को उनकी सहमति के बिना शेयर नहीं किया जाएगा। कैब एग्रीगेटर्स को एक चौबीसों घंटे का कंट्रोल रूम स्थापित करना होगा और सभी ड्राइवरों को अनिवार्य रूप से हर समय कंट्रोल रूम से जुड़ा होना होगा।
बेस फेयर का 50 फीसदी कम चार्ज करने की अनुमति
नये नियम के मुताबिक, एग्रीगेटर कंपनियों को बेस फेयर से 50 फीसदी कम चार्ज करने की अनुमति होगी। दूसरी ओर कैंसिलेशन फीस कुल किराए का दस प्रतिशत होगा, जो कि राइडर और ड्राइवर दोनों के लिए 100 रुपए से अधिक नहीं होगा। ड्राइवर को अब ड्राइव करने पर 80 प्रतिशत किराया मिलेगा, जबकि कंपनी को 20 प्रतिशत किराया ही मिल सकेगा। केंद्र सरकार ने एग्रीगेटर को रेगुलेट करने के लिए गाइडलाइन्स जारी किया है जिसका राज्य सरकारों को भी पालन करना अनिवार्य होगा।
ग्राहकों की सुरक्षा पर जोर
मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इससे पहले एग्रीगेटर का रेगुलेशन उपलब्ध नहीं था। अब इस नियम को ग्राहकों की सुरक्षा और ड्राइवर के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जिसे सभी राज्यों में लागू किया जाएगा। बता दें कि देश में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 को मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है।