-गंगा मां का स्मरण करते हुए मंत्रोच्चारण के साथ दें अर्घ्य
-गंगा स्नान के पश्चात सबसे पहले सूर्य देव को चढ़ायें जल
आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पवित्र नदियों में स्नान और दान का पर्व है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दान देने की परंपरा है। यह भी मान्यता है कि इस दिन जल का बर्तन दान देने से अत्यधिक पुण्य का लाभ होता है। स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए भगवान शिव का अभिषेक और पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं के सभी अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं और घर में धन-वैभव की वृद्धि होती है।
यह भी पढ़ेंः- मिथुन में ‘बुधादित्य योग’ और देवगुरू का वक्री होना… लेकर आया किसके लिए सोना?
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा पहाड़ों से उतरकर धरती पर अवतरित हुई थी। इसी कारण इस तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस अवसर पर हर वर्ष गंगा के किनारे व अन्य पवित्र नदियों के किनारे पर बहुत से स्थानों पर स्नान पर्व और मेलों का आयोजन किया जाता है। लेकिन पिछले साल की तरह इस वर्ष भी कोरोना महामारी की वजह से इस तरह के आयोजनों पर पाबंदी है।
यह भी पढ़ेंः- यज्ञ से से दूर होता वास्तु दोष… ग्रहों का मिलता शुभ प्रभाव… जानें यज्ञ का महत्व (भाग-2)
20 जून 2021 यानी गंगा दशहरा के दिन से ही देवगुरु बृहस्पति की उल्टी चाल शुरू हो रही है। इस दिन गुरु कुंभ राशि में वक्री हो रहे हैं। दूसरी ओर इस समय वृष राशि में बुध एवं राहु युति कर रहे हैं, लेकिन यहां बुध वक्री चाल चल रहे हैं। मिथुन राशि में सूर्य और शुक्र युति कर रहे हैं। कर्क राशि में मंगल नीच के हैं तो कन्या राशि में चंद्रमा मौजूद हैं। केतु बृश्चिक राशि में हैं और शनि अपनी राशि मकर में वक्री चाल चल रहे हैं। ऐसे में गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान और ध्यान करके सभी ग्रहों की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
इस तरह करें स्नान, ध्यान और पूजा
क्योंकि कारोना की वजह से गंगा स्नान के लिए बाहर नहीं जा सकते हैं। अतः स्नान के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके पश्चात ‘‘ऊॅं श्री गंगे नमः’’ मंत्र का 1 बार या फिर 11 या 21 बार उच्चारण करते हुए गंगा मैया का स्मरण करते हुए अर्घ्य दें। इस मंत्र का उच्चारण 108 बार यानी एक माला के बराबर भी किया जा सकता है। इसके बाद गंगा मैया की पूजा-आराधना करें। तत्पश्चात भगवान शिव का जलाभिषेक करें और निराश्रितों एवं ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
यह भी पढ़ेंः- आचार्य शुक्ल बने सर्व ब्राम्हण महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता
भाग्यशाली महूर्त में हुआ गंगा अवतरण
पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। उस दिन बुधवार का दिन था और कन्या राशि में चंद्रमा एवं वृषभ राशि में सूर्य थे। उस भाग्यशाली महूर्त के समय हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर योग और आनंद योग बना हुआ था।
नष्ट होते 10 प्रकार के पाप कर्म
पौराणिक मान्यता के अनुसार दशहरा के पर्व पर गंगा स्नान करने पर श्रद्धालुओं के पराई स्त्री के साथ समागम, किसी की वस्तु बिना आज्ञा अथवा जबरदस्ती देना, हिंसा करना, झूठ बोलना, कटुवचन कहना, किसी की बुराई या शिकायत करना, दूसरे की संपत्ति हड़पना या इसकी इच्छा रखना, झूठा प्रलाप या प्रचार करना, दूसरे व्यक्ति को बिना वजह हानि पहुंचाना या इस तरह की इच्छा रखना, ईर्ष्या-द्वेष भाव या बिना वजह की बातों की चर्चा में शामिल होने जैसे 10 प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। लेकिन व्यक्ति को सच्चे मन से गंगा स्नान करते समय मां गंगे से अपने इन कुकृत्यों की क्षमा-याचना करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
गंगा दशहरा का पर्व 20 जून, रविवार को है। दशमी तिथि का आरंभ 19 जून 2021, शनिवार को शाम 06 बजकर 50 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 20 जून 2021, रविवार को शाम 04 बजकर 25 मिनट पर होगा।