-दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर बीजेपी में अंतरद्वंद जारी
-‘निष्कासन पत्र’ में किया 11 पार्टी नेताओं का ‘निलंबन’
-पार्टी खुद तय नहीं कर पा रही कि निष्कासन करना है या निलंबन
जे.के. शुक्ला/ नई दिल्लीः 21 नवंबर, 2022।
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर कुछ भ्रमित और उलझन में नजर आ रहे हैं। पार्टी शायद ज्यादातर निर्णय जल्दबाजी में ले रही है। यही कारण है कि ज्यादातर कामों में पार्टी नेता बड़ी बड़ी गलतियां करते नजर आ रहे हैं। सोमवार को दिल्ली बीजेपी ने 11 बागी नेताओं का पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासन कर दिया। लेकिन तकनीकी रूप से इस निष्कासन पत्र में जो भाषा लिखी गई है, उसमें बहुत बड़ी खामियां हैं। पत्र की भाषा पर गौर करें तो 11 में से कोई भी नेता पार्टी से निकाला ही नहीं गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि पार्टी नेताओं को यह तक पता नहीं है कि बागी बतौर दिल्ली नगर निगम चुनाव में उतरे नेताओं में से कौन स्त्री है और कौन पुरूष है। इस पत्र पर प्रदेश महामंत्री हर्ष मलहोत्रा के हस्ताक्षर हैं!
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर नेताओं अंतरद्वंद में फंसे हुए हैं। सोमवार को जारी 11 लोगों के निष्कासन पत्र में 6 वर्ष के लिए निलंबन की बात लिखी गई है। सामान्य तौर पर निष्कासन का अर्थ पार्टी से बाहर किये जाने के लिए होता है। जिन लोगों का निष्कासन किया जाता है, आम तौर पर उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निष्कासित किया जाता है। वहीं निलंबन का अर्थ होता है कि वह व्यक्ति पार्टी में तो है लेकिन उसे कोई अधिकार नहीं है। लेकिन पार्टी की ओर से जारी पत्र में दोनों शब्दों का उपयोग किया गया है। ऐसे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी के नेता नगर निगम चुनाव को लेकर कितने गंभीर हैं।
दूसरी ओर इसी पत्र में लिखा गया है कि पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ यह 11 नेता बागी बतौर चुनाव लड़ रहे हैं। निष्कासित किये जाने वाले लोगों में क्रम संख्या 9 पर श्रीनिवास पुरी वार्ड संख्या 174 से बागी उम्मीदवार के रूप में श्रीमती महावीर सिंह के नाम का उल्लेख किया गया है। जबकि महावीर सिंह स्त्री नहीं पुरूष हैं। दूसरी बात है कि इसी वार्ड संख्या 174 से दूसरे बागी उम्मीदवार के रूप में क्रम संख्या 10 पर बागी प्रत्याशी के रूप में धरमवीर सिंह का नाम लिखा गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि धरमवीर सिंह नाम का कोई व्यक्ति इस वार्ड से चुनाव में खड़ा ही नहीं हुआ है।
बता दें कि दिल्ली बीजेपी ने वार्ड संख्या 35 से बागी बतौर चुनाव लड़ रहे गजेंद्र दराल, वार्ड संख्या 91 से चुनाव लड़ रहे राजकुमार खुराना, वार्ड संख्या 111 से चुनाव लड़ रहे रविंद्र सिंह, वार्ड संख्या 127 से चुनाव लड़ रही अंतिम गहलोत, वार्ड संख्या 136 से चुनाव लड़ रहीं पूनम चौधरी, वार्ड संख्या 174 से चुनाव लड़ रहे महावीर सिंह (जिन्हें निष्कासन पत्र में श्रीमती बताया गया है), वार्ड संख्या 210 से चुनाव लड़ रही शमा अग्रवाल, वार्ड संख्या 200 से चुनाव लड़ रहीं रीनू जैन और वार्ड संख्या 250 से चुनाव लड़ रहे लवलेश शर्मा को पार्टी से निकाला गया है। जबकि वार्ड संख्या 174 से धर्मवीर सिंह और वार्ड संख्या 210 से वीरेंद्र अग्रवाल को अपने-अपने वार्ड में बागियों का सहयोग करने के लिए पार्टी से निकाला गया है।
जिसके लिए की गई कार्रवाई, उसका सगा भाई भी कर चुका है बगावत
वार्ड संख्या 174 श्रीनिवासपुरी से बीजेपी ने राजपाल को अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया है। खास बात है कि वह व्यक्ति दक्षिणी दिल्ली इलाके में पार्किंग माफिया के नाम से प्रसिद्ध है। यही कारण है कि श्रीनिवास पुरी सीट से राजपाल का नाम अंतिम 18 लोगों की सूची में घोषित किया गया था। गौरतलब है कि बीजेपी उम्मीदवार राजपाल का भाई सतीश बैसोया 2007 में बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ नगर निगम चुनाव लड़ चुका है। केवल यही नहीं सतीश बैसोया 2008 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर बीजेपी के खिलाफ विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है। जबकि श्रीनिवासपुरी वार्ड संख्या 174 से बीजेपी के खिलाफ बगावत कर चुनाव में उतरे महावीर सिंह बीजेपी नेता धरमवीर सिंह के चचेरे भाई हैं।
बीजेपी ने दिया ‘आप’ विधायक मदन लाल के भतीजे की बहू को टिकट
बीजेपी में अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग कायदे-कानून हैं। एक ओर चचेरे भाई महावीर सिंह के पार्टी से बगावत करने के चलते धरमवीर सिंह के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की गई है। दूसरी ओर उसी श्रीनिवासपुरी वार्ड से राजपाल को टिकट दिया गया है, जिसका सगा भाई सतीश बैसोया बीजेपी के साथ दो बार बगावत करके चुनाव लड़ चुका है। केवल इतना ही नहीं है, बीजेपी ने कोटला मुबारकपुर वार्ड संख्या 147 से आम आदमी पार्टी के विधायक मदन लाल के भतीजे की पत्नी कुसुमलता चौधरी को इसी निगम चुनाव में टिकट दिया है।