नॉर्थ-वेस्ट और ईस्ट दिल्ली सीट पर बेसब्री से इंतजार… 10 वर्षों से BJP देती आ रही बाहरी उम्मीदवार

-पार्टी में चर्चाः दोनों सीटों पर बाहरी उम्मीदवार आये तो इस बार होगा विरोध!

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 06 मार्च।
दिल्ली की दो लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं होने की चर्चा जोर पकड़ती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 7 में से 5 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर दी है। खास बात है कि एक बार फिर से दिल्ली की नॉर्थ-वेस्ट (North West) और ईस्ट दिल्ली (East Delhi) सीटों पर बाहरी उम्मीदवारों को उतारे जाने की संभावना के बाद पार्टी में विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
बताया जा रहा है कि नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली सीट पर पहले से ही एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी प्रीता हरित का नाम चल रहा है, उनके साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम अपने लिए गोटियां सेट करने में जुटे हैं। जबकि रायशुमारी के दौरान प्रदेश महामंत्री योगेंद्र चंदोलिया का नाम पार्टी की ओर सबसे ज्यादा लोगों ने रखा है। वहीं एससी मोर्चा अध्यक्ष मोहनलाल गिहारा भी टिकट के जुगाड़ में हैं।
बात करें ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट को तो यहां से वर्तमान सांसद गौतम गंभीर ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये सांसदी छोड़़ने की इच्छा जता चुके हैं। ऐसे में इस सीट से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और प्रदेश महामंत्री हर्ष मलहोत्रा मजबूत दावेदान बताये जा रहे हैं। परंतु इस सीट से कुछ लोगों ने नश शिगूफा छोड़ते हुए अनिल बलूनी का नाम चलाना शुरू कर दिया है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर नाराजगी है कि बार-बार बीजेपी नेतृत्व इन दोनों ही सीट पर बाहरी उम्मीदवारों को क्यों उतारता है?
बता दें कि नॉर्थ वेस्ट (रिजर्व) सीट से बीजेपी ने 2014 में उदित राज को लोकसभ चुनाव में उतारा था, परंतु उदित राज पार्टी लाइन पकड़कर नहीं चल सके। इसके पश्चात 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजपी ने गायक हंसराज हंस को चुनावी मैदान में उतारा था। परंतु वह भी ज्यादा सफल नहीं हो सके। इसी तरह से ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी ने 2014 में महेश गिरी को चुनाव लड़ाया था, परंतु महेश गिरी बीजेपी के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुए, इसके पश्चात 2019 के लाकसभा चुनाव में बीजेपी ने क्रिकेटर से नेता बने गौतम गंभीर को चुनाव लड़ाया था। परंतु गौतम गंभीर ना तो इलाके में समय दे पाये, ना ही पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं और विधायकों के साथ सामंजस्य बना पाये।
बीते 10 वर्षों से बीजेपी के द्वारा बाहरी उम्मीदवार दिये जाने की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं में मायूसी बढ़ती जा रही है। इसके चलते पार्टी में चर्चा शुरू हो गई है कि यदि दोनों सीट पर बीजेपी एक बार फिर से बाहरी उम्मीदवार उतारती है तो चुनाव के नतीजों पर भी असर पड़ सकता है। सियासी जानकारों का कहना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं की थोड़ी सी मायूसी भी बीजेपी के लिए चुनावी नतीजों के मामले में महंगी साबित हो सकती है।