-घर में रखें सफाई, पवित्र मन से करें माता लक्ष्मी एवं श्री नारायण का आवाहन
आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्लीः
दीपावली के त्योहार की शुरूआत हो गई है। 1 नवंबर को दिवाली मनाई जायेगी। ज्यादातर घरों में दिवाली पूजनप की तैयारियां हो गई हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि दीपावली का पूजन कैसे किया जाता है। यहां हम जरूरी सामान और पूरे विधि विधान के बारे में बता रहे हैं।
पूजन के लिए यह सामानः
कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली। कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन।
पूजन शुरू करने से पहले गणेश-लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं। जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं। इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान है। अगर इनकी मूर्ति हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर विराजमान करें। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी रहती है। इसलिए भगवान विष्ण के बायीं ओर रखकर देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
पूजन विधि और मंत्रः
दिवाली पूजन आरंभ करें पवित्री मंत्र से “ऊं अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं। आचमन करें दृ ऊं केशवाय नमः ऊं माधवाय नमः, ऊं नारायणाय नमः, फिर हाथ धोएं।
इस मंत्र से आसन शुद्ध करें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ अब चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा।
पूजन के लिए संकल्प मंत्रः
बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए संकल्प करें। पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें- ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्द्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2070 तमेऽब्दे पिंगल नाम संवत्सरे दक्षिणायने हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ रविवासरे हस्त नक्षत्रे आयुष्मान योगे चतुष्पद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनयादृ श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थंकृ निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।
कलश पूजन करेंः
कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें। ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभिः। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयुः प्रमोषीः। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुवः स्वःभो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥
गणेश पूजन मंत्र एवं विधिः
नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र बोलें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें -ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ। अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें।
पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र दृ एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नमः। इस मंत्र से चंदन लगाएंः इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नमः, इसके बाद- इदम् श्रीखंड चंदनम् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। अब सिन्दूर लगाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नमः। दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं। इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।
गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएंः इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामिः। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्रः दृ इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामिः। अब आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नमः। इसके बाद पान सुपारी देंः इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामिः। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलेंः एषः पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नमः। कलश पूजन के बाद कुबेर और इंद्र सहित सभी देवी देवताओं की पूजा गणेश पूजन की तरह करें। बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित देवी-देवताओं के नाम लें।
लक्ष्मी पूजन विधि एवं मंत्रः
सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करेंः दृ ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएंः ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं।
देवी लक्ष्मी की अंग पूजा मंत्र एवं विधिः
बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएंकृ ऊं चपलायै नमः पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नमः जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नमः कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नमः नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नमः जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नमः वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नमः भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नमः नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नमः शिरंः पूजयामि।
अष्टसिद्धि पूजन मंत्र एवं विधि
अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें। ऊं अणिम्ने नमः, ओं महिम्ने नमः, ऊं गरिम्णे नमः, ओं लघिम्ने नमः, ऊं प्राप्त्यै नमः ऊं प्राकाम्यै नमः, ऊं ईशितायै नमः ओं वशितायै नमः।
अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र एवं विधि
अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें। ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नमः, ओं विद्यालक्ष्म्यै नमः, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नमः, ओं अमृत लक्ष्म्यै नमः, ऊं लक्ष्म्यै नमः, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नमः, ऊं भोगलक्ष्म्यै नमः, ऊं योग लक्ष्म्यै नमः
प्रसाद अर्पित करने का मंत्र
” इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्रः “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नमः। इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएंः- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलेंः एषः पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नमः। लक्ष्मी देवी की पूजा के बाद भगवान विष्णु एवं शिव जी पूजा करने का विधान है। व्यापारी लोग गल्ले की पूजा करें। पूजन के बाद क्षमा प्रार्थना और आरती करें।