-पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उठाए कांग्रेस नेतृत्व की कार्यशौली पर सवाल
-बोलेः लगता है कांग्रेस लीडरशिप ने पराजय को ही अपनी नियती मान लिया
-राहुल-प्रियंका की पिकनिक पॉलिटिक्स पर आरजेडी का निशाना
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली-पटना
बिहार में महागठबंधन की हार के साइड इफेक्ट्स सामने आने लगे हैं। राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार को लेकर एक ओर जहां सहयोगी दल आरजेडी ने निशाना साधा है तो दूसरी ओर पार्टी नेतृत्व को अपने ही नेताओं की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने एक बार फिर कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने बिहार चुनाव में पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन के बहाने शीर्ष नेतृत्व पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियती मान लिया है। इससे पहले बिहार कांग्रेस के बड़े नेता तारीक अनवर ने भी कहा था कि बिहार चुनाव परिणाम पर पार्टी के अंदर मंथन होना चाहिए।
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बता दें कि कांग्रेस के सहयोगी दल राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने इशारों-इशारों में कह दिया कि कांग्रेस देशभर में अपने गठबंधन के सहयोगियों पर बोझ बनती जा रही है और उसकी वजह से हर जगह गठबंधन का खेल खराब हो रहा है। इसके बाद कांग्रेस नेता सिब्बल ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि ’बिहार (चुनाव) और उपचुनावों में हालिया प्रदर्शन पर कांग्रेस पार्टी (के शीर्ष नेतृत्व) के विचार अब तक सामने नहीं आए हैं। शायद उन्हें लगता हो कि सब ठीक है और इसे सामान्य घटना ही माना जाना चाहिए।’
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कपिल सिब्बल से सवाल किया गया था कि क्या आपको लगता है कि कांग्रेस लीडरशिप एक और हार को सामान्य घटना मान रही है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ’मुझे नहीं पता। मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं। मैंने लीडरशिप को कुछ कहते नहीं सुना। इसलिए मुझे नहीं पता। मुझ तक सिर्फ नेतृत्व के ईर्द-गिर्द के लोगों की आवाज पहुंचती है। मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है।’ कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि बिहार ही नहीं उपचुनावों के रिजल्ट से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि ’बिहार में विकल्प तो आरजेडी ही है। गुजरात उपचुनाव में भी हमें एक सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को 2 फीसदी से भी कम वोट मिले हैं। गुजरात में हमारे तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। इसलिए दीवार पर इबारत लिखी हुई है।’
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कपिल सिब्बल ने तारिक अनवर के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि एक सहयोगी ने कांग्रेस के अंदर मंथन की उम्मीद जताई। सिब्बल ने कहा कि ’अगर छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे करें? हमें कांग्रेस की कमजोरियां पता हैं। हमें पता है सांगठनिक तौर पर क्या समस्या है। मुझे लगता है कि इसका समाधान भी सबको पता है। कांग्रेस पार्टी भी जानती है, लेकिन वो इस समाधान को अपनाने से कतराते हैं। अगर वो ऐसा करते रहेंगे तो ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा। यह कांग्रेस की दुर्दशा की स्थिति है जिससे हम सब चिंतित हैं।’
एक सवाल के जवाब में सिब्बल ने कहा कि समाधान का रास्ता अपनाने से कांग्रेस नेतृत्व इसलिए हिचकता है क्योंकि सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्य नॉमिनेटेड हैं। सीडब्ल्यूसी को कांग्रेस पार्टी के संविधान के मुताबिक लोकतांत्रिक बनाना होगा। आप नामित सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर कांग्रेस पार्टी चुनाव दर चुनाव कमजोर क्यों होती जा रही है।
24 दिग्गजों ने लिखी थी कांग्रेस नेतृत्व को चिट्ठी
बता दें कि कपिल सिब्बल उन 24 दिग्गज कांग्रेसियों में शामिल हैं जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) की पिछली बैठक में जमकर बवाल हुआ था। अगस्त महीने में हुई सीडब्ल्यूसी की मीटिंग के दौरान यह बात लीक हुई कि राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को बीजेपी का सहयोगी बता दिया। इस पर सिब्बल ने ट्वीट किया था कि ’राहुल गांधी कह रहे हैं कि हम भारतीय जनता पार्टी से मिले हुए हैं, कांग्रेस पार्टी का बचाव करते हुए हम राजस्थान हाईकोर्ट में सफल हुए, मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को नीचे करते हुए कांग्रेस पार्टी को बचाया, पिछले 30 साल में किसी भी मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में एक भी बयान नहीं दिया, लेकिन, हम भारतीय जनता पार्टी से मिले हुए हैं।’ हालांकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए अपना बयान वापस ले लिया था कि इस मुद्दे पर शीर्ष नेतृत्व की तरफ से स्थिति स्पष्ट की गई और कहा गया कि राहुल ने ऐसा कुछ नहीं कहा।
राहुल-प्रियंका की ’पिकनिक पॉलिटिक्स’ पर महागठबंधन में रार
जब दूसरे की करनी खुद को भरनी पड़े, जब कड़ी मेहनत पर कोई दूसरा पानी फेर कर निकल जाए तो दिल से ऐसा ही गुबार उठता है जैसा आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी के दिल से निकला है। बिहार में महागठबंधन की हार के बाद आरजेडी के नेताओं के दिल में कांग्रेस के खिलाफ लावा उबल रहा है। इसके चलते वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के क्रोध का ज्वालामुखी फट गया। बता दें कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उसे केवल 19 सीटों पर ही जीत हासिल हुई है।
शिवानंद तिवारी ने आरोप लगाया है कि बिहार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस नेता ज्यादा सक्रिय नहीं दिख पाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में 12 रैलियां कीं, लेकिन राहुल गांधी ने बिहार में सिर्फ 6 रैलियों को संबोधित करके काम चला लिया। साफ है कांग्रेस बीजेपी की तरह कड़ी मेहनत करती तो बिहार की तस्वीर बदल सकती थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब अपने गठबंधन के सहयोगी दलों के ऊपर बोझ बनती जा रही है। यही कारण है कि कांग्रेस खुद तो सिमटती जा रही है, इसके साथ सहयोगी दलों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।