-68 विधानसभा क्षेत्रों में 340 लोगों को दी जा रही जिम्मेदारी
-डीलिमिटेशन कमेटी को दिये जायेंगे वार्डों के परिसीमन के सुझाव
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 21 जुलाई, 2022
मोदी सरकार द्वारा दिल्ली नगर निगम के लिए वार्डों के डीलिमिटेशन के लिए कमेटी गठित किये जाने के बाद प्रदेश भारतीय जनता पार्टी भी सक्रिय हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से वार्डों की संख्या और बंटवारे के आधार का दिशानिर्देश नहीं आने की वजह से कमेटी भले ही अभी शिथल पड़ी हो, लेकिन दिल्ली बीजेपी ने वार्डों के परिसीमन के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में 5-5 लोगों की कमेटी बनाने का फैसला किया है।
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बीते शुक्रवार को प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और सांसदों की एक बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि वार्डों के परिसीमन के लिए हर विधानसभा क्षेत्र के पांच-पांच लोगों की कमेटी बनाकर रूपरेखा तैयार की जाये। दिल्ली के 68 विधानसभा क्षेत्रों में 340 पार्टी पदाधिकारियों को इस काम पर लागाया जा रहा है। यह लोग अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में वार्डों की संख्या घटाने के संबंध में रूपरेखा तैयार करके देंगे। बता दें कि दिल्ली कैंट और नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र दिल्ली नगर निगम के तहत नहीं आते हैं।
संशोधित दिल्ली नगर निगम अधिनियम में की गई नई व्यवस्था के तहत पूरी दिल्ली में नये सिरे से अधिकतम 250 वार्ड निर्धारित किये जाने हैं। जबकि अभी नगर निगम के कुल 272 वार्ड हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पहले से निर्धारित कुल 22 वार्ड कम किये जाने हैं। माना यह भी जा रहा है कि यदि विधानसभा क्षेत्रों को नगर निगम के वार्डों के परिसीमन का आधार बनाया जाता है तो केवल 22 विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक वार्ड कम करके नये वार्डों का परिसीमन या गठन किया जा सकता है। इस तरह से 68 में से 46 विधानसभा क्षेत्रों के वार्डों में परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
बिगड़ जायेगा जनसंख्या के घनत्व का आंकड़ा
यदि वार्डों का परिसीमन विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर होता है तो केवल 22 विधानसभा क्षेत्रों में एक-एक वार्ड कम करने से सभी वार्डों में समान जनसंख्या रखने का आंकड़ा बिगड़ जायेगा। इसलिए शहरी मामलों के विशेषज्ञ पूरी दिल्ली को एक इकाई मानकर नये वार्डों के परिसीमन का सुझाव दे रहे हैं। यदि पूरी दिल्ली को एक इकाई मानकर वार्डों का परिसीमन किया जाता है तो इससे सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में आने वाले वार्डों की सीमाएं बदल जायेंगी और अपने विधानसभा क्षेत्रों से बाहर निकल जायेंगे।
बीजेपी में बढ़ सकती है खींचतान
विधानसभा क्षेत्र के स्तर पर पार्टी के नेताओं को वार्डों के परिसीमन के काम पर लगाये जाने से पार्टी में अंदरूनी खींचतान बढ़ सकती है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक मंडल, विधानसभा और जिला स्तर के ज्यादातर पदाधिकारी नगर निगम चुनाव लड़ना चाहते हैं। ऐसे में हर दावेदार यह भी चाहेगा कि उसी के मुताबिक उसके वार्ड की सीमारेख तय हो। जबकि दूसरे दावेदार चाहेंगे कि नये वार्ड की डेमोग्राफी उनके मुताबिक हो। ऐसे में पार्टी नेताओं के बीच घमासान या फिर वैचारिक मतभेद होना तय है।