-आप-बीजेपी के हाथ मिलाने से दिलचस्प होगा इस बार मुकाबला
-मेयर, डिप्टी मेयर के चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी बीजेपी
-आप के 160 के मुकाबले 113 है बीजेपी के पास वोट का आंकड़ा
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्लीः 21 अप्रैल।
गुरूवार को दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव (Mayor and Deputy Mayor Election) के लिए नामांकन का आखिरी दिन है पर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में अभी तक उम्मीदवारों के नामों पर रस्साकसी जारी है। दोनों ही सियासी दलों के नेता नामांकन के आखिरी दिन से एक दिन पहले तक अपने उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर पाये हैं। हालांकि यह तय है कि मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में बीजेपी अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए 26 अप्रैल को सुबह 11 बजे से सदन की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आवश्यक हुआ तो मतदान के जरिये चुनाव होगा।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी मेयर के चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों में नगर निगम के हालात बद से बदतर हुए हैं। बीते करीब डेढ़ वर्ष में स्थायी समिति के साथ ही 12 वार्ड समितियों और करीब डेढ़ दर्जन कमेटियों का गठन नहीं हो सका है। आम आदमी पार्टी के पार्षदों में भी उनके पार्टी नेतृत्व की नीतियों को लेकर रोष है। अतः बीजेपी मेयर चुनाव में भागीदारी करेगी और सभी पार्षदों से उनकी अंतरआत्मा की आवाज पर वोट करने के लिए कहेगी।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम के कार्यकाल का यह तीसरा वर्ष है और इस वर्ष मेयर का पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। आम आदमी पार्टी के 134 निगम पार्षदों में से 32 निगम पार्षद अनुसूचित जाति वर्ग से चुनकर आये हैं। इनमें से कई निगम पार्षद मेयर के पद के लिए दावेदारी कर रहे हैं। जिनमें दरियागंज वार्ड से निगम पार्षद और आप की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष सारिका चौधरी और दक्षिण पुरी वार्ड से प्रेम चौहान प्रबल दावेदारों में हैं। विकास टांक भी अपने लिए मेयर पद का जुगाड़ करने में लगे हैं तो विधायक देवली से विधायक प्रकाश जरवाल की पत्नी भी अपने लिए कोशिश में जुटी हैं।
दूसरी ओर बीजेपी के 104 निगम पार्षदों में से अनुसूचित जाति वर्ग से कुल 6 निगम पार्षद चुनाव जीतकर आये हैं। बीजेपी में इस पद के लिए कमल बागड़ी को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। उन्हें पार्टी ने पिछली बार डिप्टी मेयर का चुनाव लड़ाया था। हालांकि इस दौड़ में बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत गौतम के पुत्र भारत गौतम, मलकागंज से निगम पार्षद रेखा, शकूरपुर वार्ड से निगम पार्षद किशन लाल, और संगम पार्क से निगम पार्षद सुशील भी इस दौ़ड़ में शामिल हो सकते हैं। दिल्ली बीजेपी के एक शीर्ष नेता के मुताबिक पार्टी गुरूवार को नामांकन से पूर्व अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करेगी।
मेयर के चुनाव में 160 बनाम 113 कामुकाबला
इस वर्ष दिल्ली के मेयर के चुनाव में 160 बनाम 113 का मुकाबला है। गौरतलब है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस दिल्ली के मेयर के चुनाव में आम आदमी पार्टी का समर्थन करती है या फिर पिछली बार की तरह मेयर के चुनाव का बहिष्कार करती है? यदि कांग्रेस मेयर के चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान करती है तो आप के पास 134 निगम पार्षद, 1 निर्दलीय पार्षद, 9 कांग्रेस के पार्षद और 13 विधायकों के साथ कुल 160 वोट हैं।
वहीं बीजेपी के पास 104 निगम पार्षद, 1 निर्दलीय पार्षद, 7 सांसद और 1 विधायक के साथ कुल 113 वोट हैं। ऐसे में बीजेपी फिलहाल मेयर के चुनाव में बहुमत से बेहद दूर नजर आ रही है। परंतु पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से आम आदमी पार्टी के द्वारा दरकिनार किये गये नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, उससे दिल्ली बीजेपी नेताओं के हौसले बढ़े हुए हैं।
AAP को सता रहा पार्षदों के टूटने का डर
आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद से आप नेताओं को अपने निगम पार्षदों के टूटने का डर सता रहा है। दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजकुमार आनंद के पिछले दिनों पाटी और मंत्री पद से इस्तीफे के बाद यह आशंकाएं और बढ़़ गई हैं कि आनंद के संपर्क वाले निगम पार्षद बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। मेयर और स्थायी समिति के लिए हुए सदस्यों के चुनाव में भी कई निगम पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इस बार क्रॉस वोटिंग की आशंका इस बात से भी बढ़ी है कि पिछले समय में आप के दो-तीन पार्षदों के अलावा नगर निगम में कोई पद नहीं मिल सका है।
‘कमजोर’ नेतृत्व की वजह से MCD में कमजोर पड़ी BJP
दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि दिल्ली नगर निगम में पार्टी कमजोर नेतृत्व की वजह से कमजोर साबित हो रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह निगम में पार्टी को सक्षम नेतृत्व नहीं दे पा रहे हैं। वह ना तो बीजेपी पार्षदों को सही नेतृत्व दे पा रहे हैं और नाही विपक्ष के पार्षदों में अभी तक अपनी पैठ बना पाये हैं। सही रणनीति के अभाव में नगर निगम में बीजपी लगातार कमजोर हो रही है।