-दिल्ली में 1350 एमजीडी पेय जल की आवश्यकता, जबकि महज 950 एमजीडी का किया जा रहा उत्पादन
-2016-17 के बाद से दिल्ली जल बोर्ड के खाते व ऑडिट नहीं कराना हेरफेर काप्रमाण
-2023-24 के बजटीय 1557 करोड़ रूपये में से बिना प्रावधान वाले कामों पर खर्च कर डाले 750 करोड़
-सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट से हुआ खुलासा, बिना टेंडर के जारी कर दिये 12 हजार करोड़ से ज्यादा के ठेके
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली 22 नवम्बर।
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) , प्रदेश मंत्री हरीश खुराना (Harish Khurana) और मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर (Praveen Shankar Kapoor) ने एक पत्रकारवार्ता में दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) एवं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल (CM Arvin Kejriwal) सरकार के ऊपर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाये हैं। बीजेपी नेताओं ने कहा कि जल र्बोउ केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बन गया है।
बीजेपी नेताओं (BJP Leaders) ने कहा कि 1998 में दिल्ली जल बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य था कि यह बोर्ड स्वयं अपना मूलभूत ढांचा तैयार करेगा और अपने राजस्व से अपने खर्चे चलायेगा। दिल्ली सरकार इसको केवल बड़ी प्लान हेड योजनाओं के लिये आर्थिक संसाधन उपलब्ध करायेगी। यह खेद का विषय है कि 1999 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के संसाधनों की लूट मचाई और जल बोर्ड को टैंकर माफिया के सामने गिरवी रख दिया। जिसके परिणाम स्वरूप 2013-14 के अंत में दिल्ली जल बोर्ड पर लगभग 20 हजार करोड़ रूपये की देनदारी खड़ी हो गई।
2015 में सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने 14 लाख घरों को नल से जल देने का सपना दिखाया। फिर 2020 में हर घर को जल देने का सपना दिखाया पर दिल्ली की जल उपलब्धता बढ़ाने के लिये कोई काम नहीं किया। 2013-14 में दिल्ली में 850 एम.जी.डी. पानी उपलब्ध था, राष्ट्रपति शासन के दौरान 2014 में ओखला में 100 एम.जी.डी. पानी का प्लांट लगा जिसके बाद दिल्ली में 950 एम.जी.डी. पेय जल की उलब्धता बनी। जबकि आज दिल्ली में 1350 एम.जी.डी. पेय जल की आवश्यकता है और मात्र 950 एम.जी.डी. पानी उपलब्ध है। यह खेद पूर्ण है कि लगभग 9 वर्ष के शासन में केजरीवाल ने पेय जल की उपलब्धता बढ़ाने के लिये कोई प्रयास नहीं किये हैं और दिल्ली आज भी टैंकर माफिया की शिकार है।
बीजेपी नेताओं ने कहा कि विगत 5 वित्त वर्षों में दिल्ली सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को 12,700 करोड़ रूपये के ऋण एवं अनुदान दिये हैं पर इस पैसे का कोई हिसाब-किताब नहीं है। वित्त विभाग ने जब भी हिसाब मांगा तो केजरीवाल सरकार ने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया। 6 वित्त वर्ष तक जल बोर्ड के खाते ही नही लिखे गये। 2016-17 के बाद से दिल्ली जल बोर्ड के न तो खाते बने हैं और न ही कोई ऑडिट हुआ है। इस हेरफेर के चलते 31 मार्च, 2018 को दिल्ली जल बोर्ड का घाटा जो 26 हजार करोड़ रूपये था, 31 मार्च, 2023 को उसका अनुमान 70 हजार करोड़ का लगाया गया है। सी.ए.जी. ने लगभग 22 पत्र दिल्ली जल बोर्ड को खाते ऑडिट कराने के लिये लिखे हैं लेकिन केजरीवाल सरकार के कान में जूं तक नहीं रैंगी।
वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 में दिल्ली सरकार के बजट में दिल्ली जल बोर्ड को 6342 करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं और उसमें से 1557 करोड़ रूपये मई, 2023 में दिल्ली जल बोर्ड के खाते में भेज दिये गये और इसमें से जल बोर्ड ने 750 करोड़ रूपये ऐसे कामों पर खर्च किये जिनका कोई प्रावधान नहीं था। दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने जब बजट राशि की अगली किस्त देने के लिये दिल्ली जल बोर्ड से 1557 करोड़ रूपये का हिसाब मांगा तो हिसाब देने की बजय जल मंत्री सुश्री आतिशी ने दिल्ली में जल संकट की धमकी देना शुरू कर दिया।
यह सनसनीखेज खुलासा सीएजी की एक ड्राफ्ट रिपोर्ट से हुआ है। जिनमें चार बिंदुओं को प्रमुख रूप से उठाया गया है। इनमें से पहला है कि दिल्ली जल बोर्ड के 477 बैंक खाते हैं, पर उनमें से 111 खातों की कोई जानकारी बोर्ड ने सी.ए.जी. को नहीं दी जबकि इन खातों में 102 करोड़ रूपये होने का अनुमान है। दूसरे मामले में कहा गया है कि एक बैंक खाते में 11 करोड़ रूपये होते हुये भी जल बोर्ड ने अपने हिसाब में उसमें शून्य बैलेंस दिखाया है। तीसरे मामले में कहा गया है कि 107 करोड़ रूपये जैसी बड़ी राशि बैंक एडजेस्टमेंट के नाम पर बट्टेखाते लिखी गई है। चौथे मामले में कहा गया है कि 974 करोड़ रूपये के राजस्व को चौक इन ट्रांजिट के रूप में दिखाया गया है जबकि सी.ए.जी. को केवल 8.06 करोड़ रूपये की वेरीफिकेशन हुई है।
बता दें कि दिल्ली भाजपा के मंत्री हरीश खुराना ने 2021 में दिल्ली जल बोर्ड को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका डाली थी और दिल्ली जल बोर्ड के खातों के सी.ए.जी. ऑडिट की मांग की थी। उन्होंने बताया कि जल बोर्ड आज भारत का सबसे भ्रष्ट सरकारी संस्था है जिस पर 76 हजार करोड़ रूपये के ऐसे ऋण और अनुदान हैं जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं है। दिल्ली जल बोर्ड में चल रही हेराफेरी का इससे बड़ा यह सामने आया है कि 12 हजार करोड़ रूपये से अधिक के ठेके बिना टैंडर के 5 लाख से कम राशि के वर्क ऑर्डरों के आधार पर दे दिये गये। हरीश खुराना ने कहा कि याचिका की सुनवाई के दौरान बीते 11 अक्टूबर, 2023 में कोर्ट में एक एफीडेबिट दायर कर दिल्ली जल बोर्ड के खाते प्रस्तुत करने के लिये एक वर्ष का समय मांगा है। एफीडेबिट में कहा गया कि हमारे खातों में प्रति डिवीजन 3 लाख एंट्रियां होती हैं इसलिये समय तो लगेगा।
मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आज दिल्ली वाले स्तब्ध हैं कि केजरीवाल सरकार का कोई ऐसा विभाग नही जिसके कार्याे में भ्रष्टाचार ना हो, आबकारी विभाग हो, लोक निर्माण विभाग हो राशन विभाग हो, परिवहन विभाग हो प्राइवेट डिस्कॉम का बिजली बिल घोटाला हो जल बोर्ड हो, हर ओर हेराफेरी जारी है।