दिल्ली सरकार ने बंद किये नगर निगम के 11 प्रमुख फंड (मद)

-दिल्ली सरकार की मनमानी से निगम को हुआ 550 करोड़ का नुकसान
-कांग्रेस सरकार के औसत से मिलता फंड तो नहीं होती ऐसी हालतः मुकेश गोयल

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार यदि मनमानी नहीं करती तो नगर निगमों की हालत खस्ता नहीं होती। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल ने अपने बजट वक्तव्य में कहा कि दिल्ली सरकार के असहयोग की वजह से उत्तरी दिल्ली नगर निगम की हालत तेजी से बिगड़ी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने नगर निगम की 11 प्रमुख स्कीम (मदें) बंद कर दी हैं जिनमें कम से कम 110 करोड़ रूपये से ज्यादा की राशि नगर निगम को मिलती।

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उन्होंने कहा कि आसानी से समझा जा सकता है कि इसमें से औसतन हर वार्ड के हिस्से में सालाना करीब एक करोड़ रूपये से ज्यादा की राशि आती है। इस राशि से हर वार्ड में बड़े स्तर पर विकास कार्य कराये जा सकते थे, जो कि फंड रोके जाने की वजह से नहीं कराये जा सके। बंद की गई मदों में शहरीकृत गांव, अनाधिकृत-अधिकृत कालोनियां, अधिकृत कालोनियां, पुनर्वास कालोनियां, बागवानी एवं पार्क, सामुदायिक भवन, धोबी घाट, अनधिकृत कालोनियां, नरेला-नजफगढ़-महरौली टाउनशिप के नाम शामिल हैं।
कांग्रेस के कार्यकाल में निगम को मिला ज्यादा फंड
मुकेश गोयल ने तुलनात्मक आंकड़े पेश करते हुए कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। विभिन्न कार्यक्रमों व योजनाओं को लागू करने के लिए कांग्रेस शासन की तुलना में केजरीवाल सरकार ने 6 वर्षां में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को मिलने वाले फंड में 4563.10 करोड़ रुपये की कटौती कर दी। उन्होंने कहा कि निगमों को पुनर्वास कालोनियों में विकास, बागवानी क्षेत्र के विकास, सामुदायिक केंद्रों, धोबी घोटों के विकास, अनाधिकृत कालोनियों में जरूरी कार्य, सड़कों व पुलों के निर्माण, जेजे कालोनियों में सफाई और अनाधिकृत कालोनियों में सफाई के प्लान हैड (मदों) में मिलने वाली 429 करोड़, 30 लाख रूपये की ग्रांट को भी केजरीवाल सरकार ने बंद कर दिया।