दिल्लीः पार्किंग व विज्ञापन ठेकेदारों को छूट देने की तैयारी में बीजेपी शासित नगर निगम

-ठेकेदारों ने की लॉकडाउन के दौरान के दौ महीने की छूट देने की मांग
-निगम का मासिक लाइसेंस शुल्क जमा नहीं करा रहे ज्यादातर ठेकेदार

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी शासित तीनों नगर निगम आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बीजेपी ने एक बार फिर से निगमों के 13 हजार करोड़ रूपये के बकाये के मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया है। लेकिन पार्टी के नेता नगर निगम के पार्किग और विज्ञापन ठेकेदारों को एक बार फिर से लाइसेंस फीस में छूट देने की तैयारी में हैं। यदि ऐसा होता है तो तीनों नगर निगमों को करोड़ों रूपये की चपत लग जायेगी।

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नगर निगम से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्किंग और विज्ञापन ठेकेदारों ने नगर निगम के नेताओं व अधिकारियों से मांग की है कि उन्हें कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते हुए नुकसान की भरपाई के लिए दो महीने की लाइसेंस फीस में छूट दी जाये। इसके पश्चात अधिकारियों ने भी इन ठेकेदारों को 100 फीसदी छूट देने पर विचार करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि नगर निगमों के बीजेपी नेता इसके लिए सैद्धांतिक रूप से तैयार हो गये हैं।

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बता दें कि पिछले वर्ष भी तीनों नगर निगमों ने पार्किंग एवं विज्ञापन ठेकेदारों को मासिक लाइसेंस शुल्क में भारी-भरकम छूट दी थी। उसी आधार पर एक बार फिर से इन ठेकेदारों ने छूट देने की मांग शुरू कर दी है। ठेकेदारों का दावा है कि लॉकडाउन के दौरान बाजार और सरकारी व निजी कार्यालय बंद होने की वजह से ज्यादातर पार्किंग बंद हो गये थे। इसी आधार पर निगम से फीस में छूट मांगी जा रही है।
लॉकडाउन के नाम पर मल्टी लेबल कार पार्किंग को भी दी जाती छूट
गौरतलब है कि दिल्ली उत्तरी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में मल्टी लेबल कार पार्किंग बने हुए हैं। इनमें से ज्यादातर का काम लॉकडाउन में भी बंद नहीं होता है। कारण है कि इन पार्किंग में ज्यादातर वाहन मासिक शुल्क पर खड़े किये जाते हैं। आस-पास के रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोग लॉकडाउन के दौराना भी अपनी गाड़ियां इन्हीं पार्किंग में लगाते हैं। अतः इनकी कमाई पर कोई असर नहीं पड़ता है। खास तौर पर पुरानी दिल्ली के कार-पार्किंग लॉकडाउन के दौरान भी भरे रहते हैं। लेकिन जब छूट की बात चलती है तो इन्हें भी दूसरे पार्किंग की तरह छूट दे दी जाती है।