DELHI BJP को नहीं मिल रहे सिख नेता… अकाली दल के फेर में फंसा प्रदेश नेतृत्व!

-बाप अकाली दल में तो बेटा संभाल रहा बीजेपी की सिख सियासत
-गुंडों वाली पार्टी कहे जाने पर भी बीजेपी नेता नहीं दे सके जवाब

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का ग्राफ तेजी से नीचे गिर रहा है। पार्टी को खास तौर पर दिल्ली में सिख नेता नहीं मिल पा रहे हैं। इसके चलते बीजेपी प्रदेश नेतृत्व शिरोमणि अकाली दल के फेर में फंस कर रह गया है। दिल्ली बीजेपी राजधानी में सिख सियासत के मामले में पूरी तरह से अकाली दल के रहमोकरम पर है और दिल्ली के अकाली दल के नेता जैसा चाहें वैसा पार्टी को चला रहे हैं। यहां तक कि बीजेपी को गुंडो वाली पार्टी बताने के बावजूद पार्टी के नेता अकाली दल को कोई जवाब तक नहीं दे पाये।

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दरअसल दिल्ली बीजेपी की सिख सियासत को शिरोमणि अकाली दल के नेता चला रहा हैं और प्रदेश बीजेपी नेतृत्व मजबूर होकर देख रहा है। बता दें कि बवेक सिंह माटा शिरोमणि अकाली दल दिल्ली प्रदेश के जॉइंट सैक्रेट्री और ऑफिस इंचार्ज हैं। उनके पुत्र जसप्रीत सिंह माटा दिल्ली बीजेपी के सिख सेल के उपाध्यक्ष हैं। सूत्रों का कहना है कि यही कारण है कि जब शिरोमणि अकाली दल की ओर से दिल्ली बीजेपी को गुंडों वाली पार्टी कहा गया, तब ना तो बीजेपी सिख सेल की ओर से इसका विरोध किया गया और नाही पार्टी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया दी गई। सूत्रों का यह भी कहना है कि कुछ गिने-चुने लोगों ने दिल्ली बीजेपी के सिख सेल पर कब्जा जमा रखा है। यही लोग अकाली दल की राजनीति कर रहे हैं और दिल्ली बीजेपी का भी अपने हिसाब से उपयोग कर रहे हैं।

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आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता को पार्टी की कमान अपने हाथ में लिये हुए एक साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन वह इतने ज्यादा मजबूर दिखाई दे रहे हैं कि अब तक वह पार्टी के सिख सेल में कोई बदलाव नहीं कर पाये हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि दिल्ली बीजेपी की सिख सियासत पर एक ही नेता का कब्जा है, वही नेताजी अकाली दल के साथ जोड़-तोड़ करके बीजेपी की राजनीति को चला रहे हैं और पार्टी को गिने-चुने लोगों से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं। अकाली दल ने केंद्र के साथ ही दिल्ली में बीजेपी के साथ भी अपना नाता तोड़ लिया है, लेकिन फिर भी दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेता अकाली दल के हाथों मजबूर नजर आ रहे हैं।

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दिल्ली बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा कि ताजा उदाहरण के रूप में उत्तरी दिल्ली के महापौर चुनाव को लिया जा सकता है। यहां अकाली दल के पार्षद राजा इकबाल सिंह को महापौर बनाया गया है। जबकि दिल्ली बीजेपी के पास अपने पार्टी के कई सिख पार्षद हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि पिता-पुत्र की जोड़ी दिल्ली बीजेपी की सिख सियासत को शिरोमणि अकाली दल के हिसाब से चला रही है और पार्टी नेतृत्व कुछ नहीं कर पा रहा है। दूसरी ओर यह ग्रुप दिल्ली में किसी अन्य सिख नेता को उभरने नहीं दे रहा है।

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बताया जा रहा है कि दिल्ली में बीजेपी के साथ सिख और पंजाबी मतदाताओं का तेजी से मोह भंग हो रहा है। ज्यादातर मतदाता आम आदमी पार्टी की ओर खिसक गये हैं। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कुल 3 विधायक जीतकर आये थे। इनमें से बीजेपी का एक भी सिख नेता चुनाव नहीं जीत सका था। 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कई सिख उम्मीदवार उतारे थे। इस बार बीजेपी के 8 विधायक चुने गये हैं। लेकिन इनमें से एक भी सिख उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दिल्ली में आठ-नौ महीने बाद नगर निगम के चुनाव होने हैं। यदि प्रदेश बीजेपी इसी तरह इन गिने-चुने लोगों के दबाव में बनी रही तो निगम चुनाव के नतीजे हाल ही में हुए 5 सीटों पर उपचुनाव जैसे रहेंगे।