समुद्र मंथन से हुई गाय की उत्पत्ति… ग्रह-नक्षत्रों पर वेबिनार का आयोजन

-की गई 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों के मनुष्य जीवन पर प्रभावों पर चर्चा
डॉ शुभेश शर्मन

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
सर्व ब्राह्मण राष्ट्रीय महासभा की गाजियाबाद शाखा द्वारा आयोजित ‘गाय- ग्रह नक्षत्र और ज्योतिष’ पर आयोजित वेबीनार में गंभीर चर्चा की गई। ज्योतिषाचार्य डॉ शुभेश शर्मन के दिशा निर्देश में आयोजित वेबिनार का संचालनमहासभा के राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य पं रामकुमार शर्मा ने किया। शुभेश शर्मन ने गाय और नक्षत्र विज्ञान के बारे में विस्तार से बताया कि गाय की सेवा करने से सभी ग्रह और सभी देवी-देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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उन्होंने 9 ग्रहों और 27 नक्षत्रों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि सूर्य नव ग्रहों में शामिल हैं। हालांकि ऋग्वेद में एक स्थान पर सूर्य को नक्षत्र कहा गया है। अन्य नक्षत्रों में सप्तर्षि और अगस्त्य हैं। नक्षत्रों की सूची अथर्ववेद, तैत्तिरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण और लगध ऋषि की वैदिक ज्योतिषशास्त्र की पुस्तक वेदांग ज्योतिष में मिलती है। भागवत पुराण के अनुसार नक्षत्रों की अधिष्ठात्री देवियां प्रचेतापुत्र दक्ष की पुत्रियां और चन्द्रमा की पत्नियां हैं। रमेश सेमवाल ने ग्रहों की शांति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जीवों को अन्न देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

आचार्य रामगोपाल शुक्ल

आचार्य रामगोपाल शुक्ल ने कहा कि गाय की उत्पत्ति देव-असुर संग्राम और समुद्र मंथन से जुडी होने के कारण हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति में गाय को गौ माता कहा जाता है। पंचगव्य का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। भगवत पुराण के अनुसार समुद्र मन्थन के समय पांच दैवीय कामधेनु ( नन्दा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला, बहुला) गाय निकली थीं। कामधेनु या सुरभि को ब्रह्मा जी ने ले लिया था। दिव्य वैदिक गाय ऋषियों को दी गई ताकि उसके दिव्य अमृत पंचगव्य का उपयोग यज्ञ, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए किया जा सके। अतः गौवंश की रक्षा करना सभी हिंदुओं का धर्म है।

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इस मौके पर आचार्य रमेश भोजराज द्विवेदी, डीपी शास्त्री, अनुपम जौली, डॉक्टर वाई राखी, डॉक्टर नीति शर्मा, आलोक गुप्ता, पंडित अमित कुमार शर्मा, पंडित नंद किशोर पुरोहित, आचार्य राम कुमार शर्मा, ब्रजमोहन सेकडी आदि लोगो ने अपना व्याख्यान दिया। सभा के अंत मे शुभेश शर्मन ने सभी का उपस्थित होने पर आभार जताया।

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