-केजरीवाल, आदेश गुप्ता और अनिल चौधरी के बीच होगा साधा मुकाबला
-चुनाव में उम्मीदवार ही नहीं पूरी पार्टी को झोंकने की तैयारी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली में हो रहे नगर निगम उपचुनाव में केवल उम्मीदवार ही नहीं बल्कि हर राजनीतिक दल की ओर से पूरी पार्टी मैदान में होगी। सियासी विशेषज्ञों का कहना है कि यह दिल्ली के इस उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता, कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार और आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच सीधा मुकाबला होना है। इस उपचुनाव को वर्ष 2022 में होने वाले नगर निगम आम चुनाव के ‘लिटमस टेस्ट’ के रूप में देखा जा रहा है।
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आम आदमी पार्टी 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही दिल्ली में 2022 में होने वाले नगर निगम चुनाव की तैयारियों में जुट गई थी। जबकि बीजेपी नेतोओं में उपचुनाव की घोषणा होने के बाद से इसकी सुगबुगाहट शुरू हुई है। हालांकि कांग्रेस ने चुनाव की घोषणा होने से एक माह पहले से इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिल्ली में अपने साथ संगठन का काम करने वाले अपने सिपहसालारों के नाम तक तय नहीं कर पाये हैं।
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सियासी विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस उपचुनाव में उम्मीदवारों के करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होगा। क्योंकि दिल्ली की राजनीति में सक्रिय तीनों सियासी दल अपनी ओर से एड़ी-चोटी का जोर लगाएंगे। ऐसे में एक साल पहले से नगर निगम की राजनीति पर फोकस करती आ रही आम आदमी पार्टी को कितनी सफलता मिल पायेगी? यह देखने वाली बात होगी। क्योंकि फिलहाल 5 सीटों में से 4 सीटों रोहिणी-सी, त्रिलोक पुरी ईस्ट, कल्याणपुरी और चौहान बांगर पर आम आदमी पार्टी के नेताओं का ही कब्जा रहा है, विधानसभा चुनाव में इनके विधायक बनने के बाद से यह चारों सीट खाली हैं। आम आदमी पार्टी की कोशिश रहेगी कि वह अपने कब्जे वाली चारों सीटों के साथ शालीमार बाग की सीट भी बीजेपी से हथिया सके।
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दूसरी ओर बीजेपी की ओर से भरसक कोशिश रहेगी कि वह वार्ड संख्याः 62 एन- शालीमार बाग नॉर्थ सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के साथ ही आम आदमी पार्टी के हिस्से वाली बाकी 4 सीटों में सेंध लगा सके। बीजेपी की नजर उत्तरी दिल्ली के वार्ड संख्याः 32 एन- रोहिणी सी सीट पर जमी हुई है। यह सीट सामान्य श्रेणी की है, लेकिन इस सीट पर 2017 के चुनाव में अनुसूचित जाति के जयभगवान ने कब्जा किया था। 2020 में चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच गए हैं। यदि यहां बीएसपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार अलग अलग उतारते हैं, तो बीजेपी के लिए मुकाबला थोड़ा आसान भी हो सकता है।
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हालांकि पूर्वी दिल्ली की त्रिलोकपुरी ईस्ट, कल्याणपुरी और चौहान बांगर की नगर निगम सीटों पर बीजेपी के लिए मुकाबला आसान नहीं होगा। दूसरी अोंर कांग्रेस का ग्राफ दिल्ली में लगातार गिरता जा रहा है। इन पांच में से 2017 के चुनाव में कांग्रेस केवल चौहान बांगर सीट पर ही दूसरे स्थान पर रही थी। सियासी विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि 2017 के बाद से कांग्रेस का ग्राफ और ज्यादा गिरा है। ऐसे में अपनी सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस को यदि इस चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है तो उसे कुछ मजबूत उम्मीदवार देने होंगे। क्योंकि बीते 10 महीनों में दिल्ली में कांग्रेस अपने संगठन का विस्तार नहीं कर पाई है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्षदों का बीजेपी और आम आदमी पार्टी की ओर पलायन लगातार जारी है।