कोरोना गया नहीं कि डेंगू बना गले की फांस ‘केजरीवाल को नहीं इसका आभास‘: कांग्रेस

-केजरीवाल सरकार ने की बजट में कटौतीः अनिल भारद्वाज

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
कोरोना महामारी ने अभी ठीक से अपने पैर समेटे नहीं कि डेंगू के डंक ने दिल्ली वालों को दहला दिया है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित संवादाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने कहा की जिस तरह कोविड- 19 ने विकराल रूप लिया था उसी तरह डेंगू की समस्या भी दिन -प्रतिदिन विकराल रूप लेती जा रही है।

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एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि अस्पतालों में बेड की कोई कमी नहीं है और डेंगू की स्थिति भी नियंत्रण में है, दूसरी तरफ़ अस्पतालों की वास्तविकता देखी जाए तो अस्पतालों में बेड फुल होने पर 1 बेड पर 2 से 3 मरीज अपना इलाज करा रहे हैं। सीएम केजरीवाल की लापरवाही का संज्ञान कराते हुए उहोंने कहा कि नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज प्रोग्राम के तहत 2020-2021 के लिए आवंटित बजट को 98 फीसदी घटाकर केवल 10 लाख कर देने से ही केजरीवाल की लापरवाही साफ़ नज़र आ रही है। जबकि पिछले साल यही बजट 50 करोड़ था।

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उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा की एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने के बजाय स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देकर दिल्ली को डेंगू रहित करें। केजरीवाल के अभियान 10 मिनट- 10 बजे- 10 हफ़्ते के तहत कोई काम नहीं हो रहा, सिर्फ़ दिल्ली वालों का मूर्ख बनाया जा रहा है।
भारद्वाज ने कहा की यदि दिल्ली वासियों के प्रति कोई संवेदना होती तो आज हर तीसरे घर में अपने पैर पसार चुके डेंगू के लिए केजरीवाल केंद्र सरकार से सिर्फ़ 700 टेस्टिंग किट की मांग नहीं करते। आज अस्पतालों में 70 फीसदी से अधिक डेंगू के लक्षण के मरीज आ रहे हैं, जिनका टेस्टिंग किट की कमी के चलते सिर्फ लक्षणों के आधार पर इलाज किया जा रहा है। भारद्वाज ने डेंगू के बढ़ते कारण के लिए मानसून एक्शन प्लान के फेल होने को जिम्मेदार ठहराया है क्योंकि जगह जगह जलभराव के कारण मच्छर पैदा हो रहे है और डेंगू बढ़ रहा है।

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प्रदूषण पर बात करते हुए पूर्व विधायक ने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का ठीकरा किसानों के सिर फोड़ने वाले केजरीवाल ने घोल की जो तकनीक किसानों के लिए निकाली उसमें सिर्फ़ 40 हज़ार की लागत आई और प्रचार हुआ 16 करोड़ का। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित निगम की ज़िम्मेदारी है कि मानसून के बाद फॉगिंग करे, परंतु कर्मचारियों की कमी के चलते इस काम में देरी हो रही है। मानदंडों के चलते डीबीसी कर्मचारी को रोज़ 50 घरों में फॉगिंग की ज़रूरत के अनुसार 6 दिनो के अंतराल में सभी घरों का दौरा करने के लिए 22453 कर्मचारियों की ज़रूरत है। परंतु हालत ये है कि इस कमी के चलते 1 घर में दोबारा जाने का अवसर 44 दिन में आ रहा है। जबकि डेंगू का लारवा 4 से 6 दिन में उत्पन्न हो जाता है।
-हेमा शर्मा