-सरकार की बीते एक साल की नाकामियां
-ट्विटर पर चलाया बर्बादी के 6 साल कैंपेन
-राशन कार्ड के साढ़ें 11 लाख आवेदन लंबित
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के तीसरे चरण का एक साल पूरा होने पर पुराने कांग्रेसी दिग्गजों ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री हारुन यूसूफ ने कहा कि केजरीवाल सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल ऐतिहासिक विफलता का काल रहा जो दिल्ली ही नहीं देश के इतिहास पर भी काला धब्बा है। हारुन यूसूफ ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल द्वारा कोविड-19 से पूरे साल लड़ने और कोविड महामारी पर दिल्ली मॉडल की बात करना पूरी तरह से बेमानी है। क्योंकि केजरीवाल खुद कोविड के शुरुआती दौर में पूरे दो महीने तक दिल्ली की जनता को भगवान भरोसे छोड़कर अपने सरकारी बंगले में बंद थे। अरविन्द सरकार ने पूरे वर्ष न तो कोविड महामारी से लड़ने के कोई काम नही किया और न दिल्ली के विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कुछ किया।
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प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री हारुन यूसूफ, डा0 नरेन्द्र नाथ, प्रो0 किरण वालिया और पूर्व विधायक आदर्श शास्त्री ने सम्बोधित किया । इस मौके पर विधिक एवं मानव अधिकार विभाग के चैयरमेन एडवोकेट सुनील कुमार और परवेज आलम मौजूद थे।
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हारुन यूसूफ ने कहा कि अक्टूबर 2013 में दिल्ली की कांग्रेस सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून लागू किया था जिसके तहत दिल्ली में 30 लाख परिवारों को राशन मुहैया कराया जाता था। वहीं आज बढ़ती आबादी के साथ आप पार्टी की दिल्ली सरकार ने राशन आधा करके गरीबों, मजदूरां को खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे से बाहर करके भुखमरी की ओर धकेल रही है। पिछले 6 वर्षों में 11.49 लाख परिवारों के नए राशन कार्ड बनाने के आवेदन किए वो लम्बित पड़े हैं।
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उन्होंने कहा कि यदि एक परिवार में 5 सदस्य औसतन हैं तो अरविन्द सरकार 54-55 लाख दिल्लीवासियों का निवाला प्रतिदिन छीन रही है। पौष्टिक भोजन न मिलने के कारण बच्चे कुपोषण शिकार हो रहे है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जो लोगों के घर तक राशन पहुंचाने की बात कर रहे है, पिछले 6 वर्षों में 461 राशन की दुकानें बंद कर दी हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिक प्रवासी, गरीब, बेरोजागरी और निम्न आय वर्ग के लोगों का कोविड महामारी और दिल्ली सरकार द्वारा राशन न दिए जाने के कारण जीविका पालन करना मुश्किल हो रहा है।
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पूर्व मंत्री डा0 नरेन्द्र नाथ ने कहा कि अरविन्द सरकार की स्वास्थ्य के प्रति असंवेदनशीलता इसी बात से जाहिर हो जाती है कि 2015 से 2020 के पांच वर्षों के कार्यकाल में 5259 करोड़ आवंटित बजट इस्तेमाल नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि घोषणा पत्र में सरकारी अस्पतालों में 30,000 नए बेड जोड़ने की बात कही गई परंतु पिछले 5 वर्षों में 776 बेड ही जोड़े गए जबकि प्राईवेट अस्पतालों में 7326 नए बेड जुडे़। अरविन्द सरकार के कार्यकाल में एक भी नया अस्पताल नहीं बनाया गया। जबकि कांग्रेस की शीला सरकार के कार्यकाल में निर्माण कार्य शुरु हुए अम्बेडकर नगर और बुराड़ी के अस्पतालों जिनकी 600 और 748 बेड की है इनको शुरु करके सिर्फ अम्बेडकर नगर में 200 बेड और बुराड़ी में 320 बेड की ही शुरुआत की गई और द्वारका के 1241 बेड की क्षमता वाले इंदिरा गांधी अस्पताल की शुरुआत अभी तक नही की गई है।
डा0 नरेन्द्र नाथ कहा कि कोविड महामारी पर दूसरे राज्यों के लिए दिल्ली मॉडल की बात करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार दवाब डालने पर दिल्लीवासियां के लिए कोविड टेस्ट की संख्या बढ़ाई। कोविड के दौरान दिल्ली के मौहल्ला क्लीनिक पूरी तरह विफल साबित हुए, सिर्फ 6 मौहल्ला क्लीनिकों को टेस्टिंग सेन्टर बनाया गया। डा0 नरेन्द्र नाथ ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में 31 प्रतिशत डाक्टरों की कमी और 21 प्रतिशत नर्सों एवं पेरामेडिकल स्टॉफ क कमी है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों की हालत यह है कि कोविड महामारी के दौरान चौथे और पांचवे वर्ष के एमबीबीएस छात्रों से अस्पतालों में सहायक डाक्टर के तौर पर सेवा ली जा रही है।
प्रो0 किरण वालिया ने शिक्षा के मुद्दे पर कहा कि आम आदमी पार्टी दूसरे राज्यों में चुनाव की तैयारी के लिए दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल की बात करने वाले शायद यह नही जानते कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल बहस की चुनौती तो देते है परंतु कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शिक्षा के मुद्दे पर तुलना करने से भागते है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के कार्यकाल में 1.25 लाख छात्रों ने सरकारी स्कूल छोड़ा जबकि निजी स्कूलों में 2.19 लाख छात्रों की बढ़ौत्तरी हुई है। कोविड महामारी के दौरान 1.66 लाख छात्र-छात्राएं दिल्ली सरकार और निगम स्कूलों से लापता हैं।
उन्होंने कहा कि अपने आपको गरीबों का हितेषी कहने वाली अरविन्द सरकार ने 9वीं, 10वीं और 11वीं कक्षा के लाखों छात्रों 2450 से 2900 रुपये सीबीएसई पंजीकरण फीस ली गई, जबकि चुनाव घोषणा पत्र में अरविन्द केजरीवाल ने यह फीस भरने का वायदा किया था। प्रो0 किरण वालिया ने कहा कि 20 नए कॉलेज खोलने का वायदा करने वाली अरविन्द सरकार ने एक भी नया कॉलेज नही खोला और नही तकनीकी शिक्षा संस्थानों की स्थापना की है, उल्टा केजरीवाल निजी संस्थानों के हाथों की कठपुतली बने हुए है।
प्रो0 किरण वालिया ने कहा कि 2015 के घोषणा पत्र में 500 नए स्कूल खोलने का वायदा किया था, एक भी नया स्कूल नही खोला गया और जमीन की कमी का बहाना बनाकर स्कूल नही खोलने का कारण बताया जबकि सरकार के पास 82 प्लॉट स्कूल के लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि 25 स्कूलों का निर्माण कार्य अरविन्द सरकार के कार्यकाल से पहले ही चल रहा है परंतु आपसी खींचातनी के कारण इनका काम भी पूरा नही किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में 69 प्रतिशत 732 प्रीसिंपलां, 26 प्रतिशत वाई प्रीसिंपल और 41.62 प्रतिशत 30427 अध्यापकों, और 4.79 प्रतिशत 4332 नान टीचिंग स्टॉफ के पद खाली है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ने कहा कि आम आदमी पार्टी की अरविन्द सरकार ने प्रदूषण नियंत्रित करने के नाम पर सिर्फ घोषणाएं की है। ट्री प्लांटेशन पालिसी, ई-वाहन नीति अधिसूचित की गई, आनन्द विहार और कनॉट प्लेस में स्मॉग टावर शुरु करने के नाम पर सिर्फ घोषणा की गई, यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नौ सूत्री एक्शन प्लान लागू करने की घोषणा की गई, और रेड लाईटों पर युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध केवल दिखावा और प्रचार का माध्यम बनाकर रखा गया। अरविन्द सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए न कोई कार्यवाही की, न ही इलेक्ट्रिक डीटीसी बसों खरीदी गई। उनके वायदे सिर्फ घोषणा बनकर रह गए और दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारक पड़ौसी राज्यों मे पराली जलाने के लिए किसानों को जिम्मेदारी ठहराया।
जबकि दिल्ली में प्रदूषण 41 प्रतिशत वाहनों से, 18.61 प्रतिशत उद्योगों और 21.52 प्रतिशत प्रदूषण धूलकणों से होता है। दिल्ली में अधिकतर समय प्रदूषण खतरें से उपर पीएम2.5 और पीएम 10 रहता है। उन्होंने कहा कि ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण के मामले में नम्बर 1 राज्य है और एक सर्वे में सामने आया है कि 10 में से 7 परिवारों में कोई न कोई सांस अथवा फेंफड़ो की बीमारी से ग्रस्त है। अल्का लाम्बा ने कहा कि अरविन्द सरकार ने पिछले 6 वर्षो से परिवहन व्यवस्था सुधारने की दिशा में कोई कदम नही उठाया। चुनावी घोषणाओं के बावजूद एक भी नई बस डीटीसी बेड़े में जोड़ी नही गई।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की दिल्ली सरकार ने अपने कार्यकाल में पूरी परिवहन व्यवस्था को सीएनजी चलित बनाया, पर्यावरण में सुधार करके दिल्ली का हरित क्षेत्र बढ़ाया और दिल्ली को विश्वस्तरीय ग्रीन शहर बनाया। दिल्ली को किरोसीन फ्री बनाया और 2009 कोयला से बिजली उत्पादन वाले आईपी पावर प्लांट को बंद करवाकर पर्यावरण के लिए एक अहम फैसला लिया।
पूर्व विधायक आदर्श शास्त्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी की अरविन्द सरकार सभी मोर्चो के साथ रोजगार देने के मामले में भी पूरी तरह विफल रही है। चुनावी घोषणा पत्र में पिछले कार्यकाल में 5 वर्ष में 8 लाख रोजगार और 17 लाख युवाओं को दिल्ली स्कील मिशन के तहत ट्रेनिंग देने का वादा किया था, परंतु यह सभी घोषणा विफल साबित हुई। श्री शास्त्री ने कहा कि 2015 से अगस्त 2020 तक दिल्ली सरकार के रोजगार निदेशालय ने सिर्फ 440 लोगों को रोजगार दिया, जबकि 2015-17 के दौरान 2.92 लाख युवाओं ने पंजीकरण कराया जिनमें से 324 युवाओं को रोजगार मिला। उन्होंने कहा कि जिन युवाओं को नौकरियां दी गई उनमें कंडक्टर, वाटरमेन, अस्थायी वाटरमेन जैसे पदों को ही भरा गया।
आदर्श शास्त्री ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है परंतु यहा मॉडल केरियर सेन्टर तक नही है। दिल्ली बेरोजगारी की दर 12.5 प्रतिशत देश की बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत से दुगनी है। 1000 इनक्यूबेटस को 2020 तक स्थापित करने की योजना थी यह जानकारी दे कि कितनों की स्थापना की गई। श्री शास्त्री ने कहा कि अनुबंध पर काम करने वाले 4000 डाक्टर, 15000 नर्स और 20,000 गेस्ट टीचर को स्थायी करने का वायदा किया था, दिल्ली सरकार में 55000 पद शीघ्र भरने का वायदा किया था परंतु हकीकत यह है कि स्थाई कर्मचारियों को टर्मिनेट किया जा रहा है। यहां तक आगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर, नर्सरी टीचर व अन्य कर्मचारियों को वेतन तक नही दिया जा रहा है जिसके चलते यह हड़ताल पर जाने को मजबूर है।