-बीजेपी सरकार की वजह से एक बार फिर बाढ़ व जलभराव के मुहाने खड़ी राजधानीः देवेंद्र यादव
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली, 23 जून।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने दिल्ली में मानसून के मद्देनजर नालों की सफाई का काम अब तक पूरा नहीं होने पर दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से राजधानी एक बार फिर बाढ़ और जलभराव के मुहाने पर खड़ी है।
देवेन्द्र यादव ने आज यहां एक वक्तव्य में कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के 24 जून तक राजधानी में पहुंचने के साथ ही शहर में एक बार फिर बाढ़ और जलभराव की समस्या उत्पन्न हो गई है, क्योंकि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) अपने अधीन 2,140.95 किलोमीटर लंबे बरसाती नालों की सफाई का काम पूरा करने के लिए 15 जून की समय-सीमा से फिर चूक गया है। उन्होंने कहा कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पीडब्ल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले नालों की सफाई का केवल 60.47 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है, जबकि दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड भी अपने अधीन नालों की सफाई में कोई बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी द्वारा गाद निकालने का काम पूरा करने की तिथि को आगे बढ़ाकर 30 जून कर दिए जाने के कारण, जब दिल्ली में बारिश होगी, तो राजधानी में बाढ़ और जलभराव वाली सड़कें देखने को मिलेंगी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार ने पिछले अनुभवों से कोई सबक नहीं सीखा है, क्योंकि वह जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम किए बिना खोखले वादे करने में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि भारतीय मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून तय समय से चार दिन पहले मंगलवार (कल) तक दिल्ली में आ जाएगा, ऐसे में रेखा गुप्ता सरकार नींद में सोती हुई नजर आ रही है, जैसा कि केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में हुआ करता था। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह प्री-मानसून की बारिश के कारण सड़कें और अंडर पास जलमग्न हो गए थे, जो जलभराव के लिए सबसे अधिक संवेदनशील स्थान हैं और लोक निर्माण विभाग ने जलभराव के लिए 71 हॉट स्पॉट चिन्हित किए हैं, फिर भी सरकार ने ऐसे स्थानों पर जलभराव की समस्या को रोकने के लिए कुछ नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि हालांकि रेखा गुप्ता सरकार पिछले 100 दिनों में अपनी कई उपलब्धियों का बखान कर रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार ने उन मुद्दों की पूरी तरह उपेक्षा की है, जिन पर प्राथमिकता के आधार पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे समय पर सीवर और बरसाती नालों की सफाई, वायु और जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना, टूटी सड़कों की मरम्मत, जमा हुए कचरे को हटाना, स्वास्थ्य ढांचे में सुधार करना आदि, लेकिन सरकार इन मुद्दों से निपटने में पूरी तरह से अप्रभावी और अक्षम साबित हुई है।