-पार्टी में उठे सवाल…सिंधिया और पायलट के बाद अगला कौन
-मध्य प्रदेश व राजस्थान के बाद दूसरे राज्यों में सुलग रही बगावत
टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
‘राहुल ब्रिगेड’ में शामिल युवाओं की नाराजगी अब कांग्रेस को भारी पड़ने लगी है। कभी कांग्रेस के पूर्व और भावी अध्यक्ष राहुल गांधी के नजदीकी माने जाने वाले युवा कांग्रेसी नेता अपनी अनदेखी को लेकर परेशान हैं। 2004 से 2014 तक राहुल ब्रिगेड में शामिल रहे ज्यादातर युवा नेता अब पार्टी से दूरी बनाने में लगे हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को ज्यादा तवज्जो दिऐ जाने से इनकी नाराजगी और ज्यादा बढ़ती जा रही है। पार्टी में भी अब यह सवाल उठने लगे हैं कि सिंधिया और पायलट के बाद अगला कौन?
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सचिन पायलट व ज्योतिरादित्य सिंधिया ही नहीं बल्कि कई ऐसे नेता हैं जिनके ऊपर राहुल ब्रिगेड में शामिल होने का तमगा लगा है। इन नेताओं में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर, मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव, मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा और संजय निरुपम, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा, झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार और कर्नाटक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष दिनेश गुंडुराव के नाम भी शामिल हैं।
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इनके अलावा एक समय उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव रहे मधसूदन मिस्त्री, महाराष्ट्र के प्रभारी महासचिव रहे मोहन प्रकाश और मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव रहे दीपक बाबरिया और राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे भी इस श्रेणी में आते हैं। पार्टी से जड़े सूत्र बताते हैं कि राहुल ब्रिगेड के नेताओं की बगावत के बाद दूसरे गुट के नेताओं को पार्टी नेतृत्व में कमियां निकालने का मौका मिल गया है।
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पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राहुल ब्रिगेड में रहे युवा नेता पायलट की बदौलत ही राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 21 से 100 सीटों के करीब पहुंची थी। हरियाणा में युवा टीम की मेहनत का नतीजा था कि 30 से ज्यादा सीटें आईं। यदि युवा नेताओं को पूरा मौका मिलता तो पार्टी की स्थिति कुछ और होती। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं का एक बड़ा गुट है जो युवा नेताओं के हाथों में नेतृत्व जाने से रोक रहा है। इसे पीढ़ी का टकराव बताया जा रहा है।