-बीजेपी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को बनाया उम्मीदवार
-एलजेपी को केंद्र में मंत्री पद मिलने पर गहराया सियासी संकट
एसएस ब्यूरो/ पटना
बिहार में चिराग की चमक मंदी पड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी और एनडीए ने स्वर्गीय राम विलास पासवान के पुत्र और लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया चिराग पासवान को विधानसभा चुनाव में बगावत की सजा दी है। एनडीए ने रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट से एलजेपी की विरासत का पत्ता साफ कर दिया है। बीजेपी ने बिहार के उपमुख्यमंत्री पद से हटाए गए सुशील मोदी का प्रमोशन करते हुए उन्हें खाली हुई सीट से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। सुशील मोदी अब राज्यसभा के रास्ते केंद्र में जा सकते हैं। माना जा रहा है कि अब एलजेपी को केंद्र में मंत्री पद मिलना भी मुश्किल है और सुशील मोदी को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है।
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सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने सुशील मोदी को राज्यसभा का उम्मीदवार बना कर एक तीर से दो निशाने लगाए हैं। राज्यसभा की यह वो सीट है, जो रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई थी। लेकिन चिराग के बिहार चुनाव में अलग लड़ने के बाद शायद बीजेपी ने लोजपा को भी किनारे लगा दिया है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह सीट लोजपा के खाते में जानी चाहिए थी। इस तरह से बीजेपी ने सुशील मोदी को एक तरह से प्रमोट कर दिया है और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी का डिमोशन हो गया है।
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बीजेपी और एनडीए के नेताओं के व्यवहार में यह परिवर्तन आने के भी कई कारण रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि रामबिलास पासवान की मृत्यु के साथ ही लोक जनशक्ति पार्टी का असर खत्म हो गया है। बता दें कि चिराग पासवान ने एनडीए गठबंधन में रहने के बजाय बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का फैसला किया था। चिराग ने अपनी पार्टी से 134 उम्मीदवार खड़े किये थे। इनमें से एक भी उम्मीदवार चिराग पासवान की इज्जत नहीं बचा सका और सभी सीटों पर एलजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। चिराग पासवान और उनके परिवार के लोग खुद अपने घर की सीटें तक नहीं बचा पाए। जबकि एनडीए में रहते हुए 2015 में चिराग पासवान की पार्टी 43 सीट पर चुनाव लड़ी थी और 2 सीटों पर जीत हासिल की थी।
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एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज समस्तीपुर से सांसद है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के हाल ही में निधन के कारण संवेदना की लहर की बात की जा रही थी। इसके बाद भी चिराग पासवान के बहनोई मृनाल पासवान उर्फ धनंजय राजापाकर सीट पर तीसरे नंबर पर रहे। उनको मात्र 24689 वोट मिले। कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी 55299 वोट पाकर चुनाव जीत गयीं। पारिवारिक सीट रोसड़ा से रामविलास पासवान के भतीजे एवं पूर्व सांसद (स्व.रामचंद्र पासवान) के पुत्र और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष प्रिंसराज के भाई किशन राज भी बुरी तरह हार गये। वह मात्र 22995 वोट ही हासिल कर पाए।
बने एनडीए नेताओं की आंख की किरकिरी
चुनाव के नतीजे आने के साथ ही एनडीए गठबंधन के नेताओं ने चिराग पासवान को आइना दिखाना शुरू कर दिया था। वह अलग चुनाव लड़कर एनडीए नेताओं की आंख की किरकिरी बन चुके हैं। बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान के बयान पर प्रतिक्रिया दी थी कि जिस डाल पर बैठें और उसी डाल को काट दें तो हश्र क्या होता है… ठीक उसी प्रकार से चिराग साहब ने जिस फोल्ड में रहे उसे ही हराने और बर्बाद करने का काम किया। निश्चित तौर पर डाल तो कटी है लेकिन उसके साथ वो भी गिरे हैं और अपने चिराग से भस्म हो गए हैं।
नतीजों के बाद भी रहे हमलावर
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी चिराग पासवान नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर रहे। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए को तो नहीं पर जेडीयू को ’डेंट’ करना जरूर हमारा लक्ष्य था और उस लक्ष्य पर मैंने मज़बूती से काम किया है। इसका नुकसान भाजपा को नहीं हो इस पर भी मैंने निरंतर काम किया. जो हमारा लक्ष्य था कि भाजपा को ज्यादा सीटों पर जीत मिले और जेडीयूको नुकसान हो वो हमने हासिल किया है। चिराग ने चुनाव में करारी हार के बावजूद नीतीश सरकार का समर्थन करने से मना कर दिया था। चिराग पासवान ने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। कई सीटों पर लोजपा दो नंबर पर रही, लोजपा में अपना जनाधार खड़ा किया है। साथ ही ऐलान किया कि 2025 के लिए लोजपा मजबूती के साथ खड़ी है। हमे करीब 25 लाख वोट मिले हैं जो यह बताता है कि हमारी नीतियों को बिहार की जनता ने पसंद किया है।
लोक जनशक्ति पार्टी से लड़े थे बीजेपी के 22 बागी
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा के 22 बागी लोजपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे। भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के लोजपा में आकर सिंबल लेने की घटना ने चुनाव के दौरान काफी सूर्खियां बटोरी थीं। लेकिन इन बागियों से भी लोजपा का कोई भला नहीं हो सका। एक भी सीट पर ये बागी लोजपा को सीट दिलाने में सफल नहीं हो सके। जदयू के बागी और पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा भी लोजपा के टिकट से लड़े और हार गये। इन 22 बागियों में से 21 जेडीयू के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे। वहीं एक उम्मीदवार बनियापुर से वीआईपी के खिलाफ भी लड़ा था।
रामविलास के निधन से खाली हुई यह सीट
रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार से खाली हुई राज्यसभा की एक सीट पर उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने 26 नवंबर, गुरुवार को अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही नामांकन की प्रक्रिया जारी है। पहले दिन एक भी नामांकन पत्र दाखिल नहीं हुआ। अब बीजेपी ने सुशील मोदी को अपना प्रत्याशी बनाया है। माना जा रहा है कि एनडीए गठबंधन के पास सुशील मोदी को चुनाव जिताने के लिए पर्याप्त आंकड़ा है, अतः उनका राज्यसभा में पहुंचना तय हो गया है।
इस प्रकार से है उपचुनाव कार्यक्रमः
अधिसूचना जारी करने की तिथिः 26 नवंबर, 2020
नामांकन भरने की अंतिम तिथिः 3 दिसंबर, 2020
नामांकन पत्रों की जांच की तिथिः 4 दिसंबर, 2020
नामांकन वापसी की अंतिम तिथिः 7 दिसंबर, 2020
मतदान करने की तिथिः 14 दिसंबर, 2020
मतदान करने का समयः सुबह 9 बजे से अपरान्ह 4 बजे तक
मतगणना की तिथिः 14 दिसंबर 2020, अपरान्ह 5 बजे
निर्वाचन प्रक्रिया की समाप्ति की तिथिः 16 दिसंबर, 2020