-16 जुलाई को ग्रहों के मुखिया सूर्य मिथुन से निकल कर कर्क राशि में करेंगे गोचर
सूर्य के कर्क राशि में गोचर करने को कर्क संक्रांति कहा जाता है। इस साल कर्क राशि में सूर्य 16 जुलाई को प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि में सूर्य एक महीना यानी 16 अगस्त की रात तक रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन से सूर्य की किरणें दक्षिणी गोलार्द्ध में लंबवत् पड़ने लगती हैं। इसे सूर्य का दक्षिणायन होना कहा जाता है। धार्मिक रूप से मान्यता है कि इस दिन से सूर्यदेव की दक्षिण की यात्रा प्रारंभ होती है जो मकर संक्रांति तक चलती है। इस दिन से छह माह तक के समय को देवताओं की रात्रि कहा जाता है। इस साल कर्क संक्रांति 16 जुलाई, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। हम आपको यहां कर्क संक्रांति के धार्मिक विधान और इस दिन किए जाने वाले दान पुंण्य के बारे में बताएंगे।
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धार्मिक मान्यता
कर्क संक्रांति आषाढ़ माह की षष्टी तिथि को पड़ रही है। इस दिन से दक्षिणायन की शुरूआत होती है। इसे हिंदू धर्म में देवताओं की रात्रि कहा जाता है। इसके साथ ही इसी माह में चतुर्मास भी शुरू हो रहा है, जिसमें देवताओं के योग निद्रा में जाने की मान्यता है। इसलिए माना जाता है कि इस काल में किए जाने वाले कार्यों में देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिलता है। दक्षिणायन के शुरू के चार माह में भगवान विष्णु और शिव का पूजन किए जाने का विधान है। इस दिन तुलसी पत्र से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कर्क संक्रांति पर विशेष रूप से सूर्य देव की उपासना की जाती है। इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित करने तथा आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र का पाठ करने से जातक का सूर्य दोष समाप्त होता है। सूर्य देव से स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है।
संक्रांति पर दान का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार कर्क संक्रांति पर कोई भी नए कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए। कर्क संक्रांति पर गरीबों को कपड़े और खाने का दान करना चाहिए। इस दिन तेल का दान करना पितरों की आत्मा की शांति के लिए शुभ माना जाता है। इसके अलावा कर्क संक्रांति पर छोटी बच्ची को नारंगी रंग के कपड़े या बच्चे को हरे रंग के फल दान करने का विशेष महत्व है।
संक्रांति पूजन विधि
कर्क संक्रांति के समय काल में सूर्य को पितरों का अधिपति माना जाता है। इस माह में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से पुण्य फलों में वृद्धि होती है। इस मास में प्रतिदिन शिवमहापुराण व शिव स्त्रोतों का विधिपूर्वक पाठ करके दूध, गंगा.जल, बेलपत्र, फल सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही इस मास में ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवजी का पूजन करना लाभकारी रहता है। इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगलागौरी का व्रत, पूजन विधिपूर्वक करने से स्त्रियों के विवाह संतान व सौभाग्य में वृद्धि होती है।
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सूर्य का कर्क राशि में गोचर यानी कर्क संक्रांति का कुछ राशियों पर शुभ प्रभाव पड़ेगा। राहु वृषभ राशि में हैं। सूर्य और बुध मिथुन राशि में हैं। चंद्रमा, मंगल और शुक्र कर्क राशि में हैं। वृश्चिक राशि में केतु, मकर राशि में शनि हैं। कुंभ राशि में गुरु का गोचर चल रहा है। चंद्रमा स्वग्रही हैं तो मंगल के साथ लक्ष्मी योग का निर्माण करेंगे। शुक्र के साथ भी समयोग बनता है। बाकी गुरु और शनि वक्री गति से चल रहे हैं। हालांकि मंगल नीच के हैं, फिर भी अपने मूल त्रिकोण में हैं तो अच्छे योग का निर्माण करेंगे। ऐसे में विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करना अत्यंत शुभ रहेगा।
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