जेल में ही रहेंगे BJP कार्यकर्ता, नहीं मिली जमानत… कोर्ट ने मांगी सीसीटीवी फुटेज

-बीजेवाईएम के प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर हमले का मामला

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर हमले के आरोपी भारतीय जनता पार्टी के 8 कार्यकर्ताओं को अभी कुछ और दिन जेल में ही गुजारने होंगे। शनिवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नवीन कुमार बंसल की कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि पहले कोर्ट में घटना स्थल के आस-पास के सीसीटीवी फुटेज अदालत में जमा कराये जायें। मामले की अगली सुनवाई सोमवार 4 अप्रैल को होगी।

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गौरतलब है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा ने 30 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर प्रदर्शन किया था। आरोप है कि इस दौरान पार्टी के कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास पर लगे सुरक्षा बैरीकेट व सीसीटीवी कैमरों को क्षति पहुंचाते हुए तोड़फोड़ की थी। आम आदमी पार्टी ने इसे मुख्यमंत्री के ऊपर जानलेवा हमला बताया था। प्रदेश बीजेपी युवा मोर्चा कार्यकर्ताटों के खिलाफ यह मामला अब लगातार सुर्खियां बटोरता जा रहा है।

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दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 30 मार्च को ही एफआईआर संख्या 200/2022 दर्ज करते हुए बीजेपी कार्यकर्ताओं जितेंद्र बिष्ट, प्रदीप तिवारी, चंद्रकांत भारद्वाज, राजू कुमार, नवीन कुमार, नीरज दीक्षित, बबलू राजपूत और सन्नी सहित कुल 8 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। इन लोगों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में आईपीसी की 186/188/332/ 353/143/147 धाराओं सहित प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अभिभावकों में बढ़ रही नाराजगी
प्रदर्शन के दौरान तोड़-फोड़ के आरोप में दिल्ली पुलिस द्वारा बीजेपी युवा मोर्चा के 8 कार्यकर्ताओं को जेल भेजे जाने के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं के अभिभावकों के बीच नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। पार्टी नेतृत्व की सिफारिश के बावजूद कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बाद में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। इनमें मोती नगर थाना क्षेत्र के दो बीजेपी कार्यकर्ताओं के नाम शामिल हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें छुड़वाने के लिए प्रदेश बीजेपी के एक बड़े नेता कई घंटे थाने में बैठे रहे, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों को जेल भेज दिया था। बता दें कि मोती नगर का इलाका प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के जिला करोलबाग के तहत आता है। इसी जिला के तहत प्रदेश उपाध्यक्ष राजन तिवारी और जिला अध्यक्ष राजेश गोयल का कार्यक्षेत्र भी आता है। फिर भी पुलिस द्वारा बीजेपी युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई किये जाने से लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है।
भूमिगत हुए युवा मोर्चा के कई पदाधिकारी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई घटना के बाद से प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के कई पदाधिकारी भूमिगत हो गये हैं। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के डर से खुद प्रदेश युवा मोर्चा अध्यक्ष वासु रूख्खड़ भी कई दिनों से भूमिगत चल रहे हैं और उनका मोबाइल फोन भी लगातार बंद जा रहा है। युवा मोर्चा के कई पदाधिकारी अपने मोबाइल फोन बंद करके अनजान जगहों पर छुप गये हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस लगातार कई लोगों की मोबाइल लोकेशन ट्रेश करने की कोशिश कर रही है। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस को सोमवार को कोर्ट में मामले से संबंधित सीसीटीवी फुटेज दाखिल करने हैं, इन्हें देखने के बाद ही अदालत आठों आरोपियों की जमानत पर कोई फैसला लेगी।
दिल्ली हाई कोर्ट सख्त, बंद लिफाफे में मांगी रिपोर्ट
दूसरी ओर इसी मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। आप विधायक सौरभ भारद्वाज की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली पुलिस को जांच के बारे में स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपने के लिए वक्त दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों ने कानून अपने हाथ में ले लिया। डर का माहौल बनाने की कोशिश की गई, ये साफ है। पुलिस बल पर्याप्त नहीं था। उन्होंने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उनकी संख्या अधिक थी।
मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने कथित हमले के संबंध में एफआईआर दर्ज की है। सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के आवास के साथ ही मुख्य सड़कों के आसपास लगे कैमरों से सीसीटीवी फुटेज समेत सभी सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। आप नेता की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, राहुल मेहता और भारत गुप्ता शामिल हुए। सौरभ भारद्वाज ने याचिका में एसआईटी से कथित हमले की जांच कराने का अनुरोध किया और दलील दी कि ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस की ’गुपचुप मिलीभगत’ से तोड़फोड़ की गई।