-भारतीय जनता पार्टी अब एमसीडी की संपत्तियों को औने-पौने दामों में बेच कर भागने की तैयारी कर रही हैः सौरभ भारद्वाज
-केजरीवाल सरकार 7 नए अस्पताल और 6500 से ज्यादा नए आईसीयू बेड बनाये वहीं भाजपा शासित एमसीडी अस्पतालों को बेचने की कोशिशः :सौरभ भारद्वाज’
-भाजपा शासित एमसीडी टोल टैक्स, पार्किंग टैक्स, विज्ञापन टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स सहित सभी से धन जुटाने में फेल साबित हुई हैः सौरभ भारद्वाज’
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के नगर निगमों की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी पर निगम के अस्पतालों को बेचने की तैयारी का आरोप लगाया है। आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने रविवार 29 अगस्त को कहा कि भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम अपने 10 अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज को बेचने में लग गई है। भाजपा अब एमसीडी की संपत्तियों को औने-पौने दामों पर बेच कर भागने की तैयारी कर रही है। केजरीवाल सरकार एक तरफ 7 नए अस्पताल और 6500 से ज्यादा नए आईसीयू बेड बना रही है, वहीं दिल्ली की जिम्मेदारी लेने वाली भाजपा शासित एमसीडी अस्पतालों को बेचने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि एमसीडी की हालत अपने अस्पतालों को चलाने लायक भी नहीं बची है। अस्पतालों को बेचकर खर्चा बचाने और पैसा जुटाने की कोशिश की जा रही है। भाजपा शासित एमसीडी टोल टैक्स, पार्किंग टैक्स, विज्ञापन टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स सहित सभी से धन जुटाने में फेल साबित हुई है। इस मौके पर आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता विकास गोयल भी मौजूद रहे।
यह भी पढेंः- बीजेपी शासित नगर निगम खस्ता हाल… स्वास्थ्य सेवाओं से खड़े किये हाथ… सरकार को सोंपेंगे मेडिकल कॉलेज व अस्पताल
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि भारतीय जनता पार्टी एमसीडी से जाते-जाते एमसीडी की संपत्तियों को औने-पौने दामों पर बेच कर भागने की तैयारी कर रही है। क्योंकि एमसीडी में चर्चा है कि भाजपा यहां से जा रही है। इसके सबसे बड़े उदाहरण के रूप में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी का एजेंडा आया है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंदर आने वाले करीब 10 अस्पताल और मेडिकल कॉलेज को अब केंद्र सरकार को बेचना चाहते हैं। अब भाजपा शासित एमसीडी की हालत यह हो गई है कि एक तरफ दिल्ली सरकार 7 नए अस्पताल और 6500 से ज्यादा नए आईसीयू बेड बनाने की बात कर रही है। उसी दिल्ली की जिम्मेदारी लेने वाली भाजपा शासित एमसीडी अस्पतालों को बेचने की बात कर रही है।
यह भी पढेंः- DELHI: बीजेपी मंडल अध्यक्ष की है जोमैटो कर्मचारी को उड़ाने वाली कार… मौके पर मौत!
उन्होंने कहा कि एमसीडी की हालत इतनी खराब है कि यह अस्पतालों को चलाने लायक भी नहीं बचे हैं। एमसीडी की हालत भाजपा ने इस कदर दिवालिया कर दी है कि अब यह कह रहे हैं कि एमसीडी के अस्पतालों को केंद्र सरकार को बेच दिया जाए। इससे खर्चा भी बचाया जाए और धन अर्जित किया जाए। भाजपा शासित एमसीडी टोल टैक्स, पार्किंग टैक्स, विज्ञापन टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स सहित सभी से राजस्व जुटाने में फेल साबित हुई है। अब जिस तरह किसी घर की आमदनी खत्म हो जाती है तो घर के जेवर, संपत्ति बेचनी पड़ती है, उसी तरह से अब एमसीडी दिल्ली वालों की जमीन बेच रही है। अब दिल्ली वालों के अस्पतालों को भी बेचने की एमसीडी तैयारी कर रही है।
एटूजेड न्यूज ने चलाई विस्त्रित खबर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों और दूसरे स्वास्थ्य संस्थानों के संबंध में एटूजेड न्यूज ने विस्त्रित खबरा चलाई थी। बता दें कि उत्तरी दिल्ली की बुधवार 1 सितंबर को होने जा रही स्थायी समिति की बैठक के एजेंडा में आइटम संख्याः 63 के तहत निगम की स्वास्थ्य सेवाओं को केंद्र या फिर दिल्ली सरकार के हवाले किये जाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है। प्रस्ताव में निगम आयुक्त की ओर से कहा गया है कि निगम की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि आगे अपने बड़े छह अस्पतालों और 131 दूसरे स्वास्थ्य संस्थानों को आर्थिक बोझ उठाया जा सके। यदि स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम को सालाना 500 करोड़ से 600 करोड़ रूपये के आर्थिक बोझ से मुक्ति मिलेगी।
प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस तरह से पहले दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी), दिल्ली जल प्रदाय एवं मल व्ययन संस्थान (अब दिल्ली जल बोर्ड) और दिल्ली विद्युत प्रदाय संस्थान (बाद में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई अंडरटेकिंग और अब डिस्कॉम्स) को नगर निगम से लेकर दिल्ली सरकार को दिया गया, उसी तरह नगर निगम के हस्पतालों का भी हस्तांतरण सरकार को कर दिया जाये।
आप सरकार को नहीं सोंपेंगे अपने अस्पतालः बीजेपी
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम का राजनीतिक नेतृत्व कोई भी स्वास्थ सेवाऐं दिल्ली सरकार को नहीं सौंपने जा रहा है। निगम की स्थाई समिति का ऐजेंडा आयुक्त के मातहत अधिकारी बनाते हैं और इसको अस्वीकृत करने का पूरा अधिकार स्थाई समिती सदस्यों को होता है। दिल्ली भाजपा एवं उत्तरी नगर निगम का नेतृत्व का स्पष्ट मत है कि कोई भी निगम स्वास्थ्य सेवा दिल्ली सरकार को नहीं सौंपी जायेंगी। यदि निगम आयुक्त ऐसा कोई प्रस्ताव स्थाई समिति में रखना चाहेंगे तो उसकी अनुमति नहीं दी जायेगी।