-बुधवार की स्थायी समिति बैठक में लाया जा रहा प्रस्तावः 71
-आसफ अली रोड पर हैं ये सभी निगम की संपत्तियां
-नॉर्थ डीएमसी की 16 मीटर से 52 वर्ग मीटर तक की हैं दुकानें
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली के तीनों नगर निगमों की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी फिलहाल निगम की संपत्तियों को बेचने की इतनी जल्दी में है कि उसे अगली बैठकों का इंतजार करने का भी धैर्य नहीं है। पुरानी दिल्ली की बड़ी-बड़ी संपत्तियों को बेचने की कवायद में जुटी सत्ताधारी बीजेपी के नेता अब बुधवार को होने वाली बैठक में आसफ अली रोड स्थित 18 संपत्तियों को भी बेचने का प्रस्ताव ला रहे हैं। इन संपत्तियों को बेचने का प्रस्ताव बैठक के मूल एजेंडे में नहीं बल्कि ऑन टेबल लाया जा रहा है। निगम द्वारा बनाई गई 22 दुकानों में से 4 दुकानें पहले बेची जा चुकी हैं।
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ऑन टेबल लाये जा रहे एजेंडे के आइटम संख्याः 71 में आसफ अली रोड स्थित उत्तरी दिल्ली नगर निगम की 18 संपत्तियों को 99 साल की लीज पर दिये जाने का प्रस्ताव है। खास बात है कि पहले से निर्धारित रिजर्व प्राइस को 20 फीसदी कम पर इन संपत्तियों को बेचने के लिए यह प्रस्ताव लाया जा रहा है। यानी कि 52 वर्ग मीटर की जिस दुकान की रिजर्व प्राइस अब तक 1 करोड़ 84 लाख रूपये थी वह अब 1 करोड़ 47 लाख रूपये में बेच दी जायेगी।
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बता दें कि बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक होनी है। इससे पहले बैठक के एजेंडा पर विचार करने के लिए मंगलवार को बीजेपी के स्टेंडिंग कमेटी के सभी पार्षद सदस्यों की बैठक बुलाई गई थी। सूत्रों का कहना है कि इन संपत्तियों के दाम 20 फीसदी घटाये जाने पर कई पार्षदों ने सवाल भी किये, लेकिन उन्हें समझा दिया गया कि इन्हें बेचने का आदेश प्रदेश बीजेपी के बड़े नेताओं की ओर से आया है।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी के कई पार्षदों ने कहा कि इन संपत्तियों को अभी बेचने के बजाय कुछ महीने बाद बेचा जाना चाहिए। अभी बाजार में मंदी का दौर है, अतः नगर निगम को इसकी वजह से नुकसान होगा। यदि अभी बेचा जाना जरूरी है तो इन्हें फ्री होल्ड कर दिया जाये। ताकि लोग इन संपत्तियों को खरीदने में दिलचस्पी दिखायें। आश्चर्य की बात यह है कि ऑन टेबल लाये जा रहे ऐजेंडे के आइटम संख्याः 71 में इस बात का जिक्र नहीं है कि यह संपत्तियां फिलहाल किसके अधिकार क्षेत्र में हैं?
पहले भी कम की जा चुकी है 10 फीसदी कीमत
उत्तरी दिल्ली नगर निगम की इन दुकानों (संपत्तियों) की रिजर्व प्राइस इससे पहले भी 10 फीसदी तक कम की जा चुकी है। दरअसल उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने यहां 2015 में 22 दुकानों का निर्माण किया था। इनमें से 2016, 2018 और 2019 में चार दुकानें बेच दी गईं। इन दुकानों की पहले से तय की गई रिजर्व प्राइस को भी 10 फीसदी घटा दिया गया था। इसके पश्चात अब बाकी की 18 दुकानों (संपत्तियों) को बेचने के लिए रिजर्व प्राइस में 20 फीसदी की कटौती की जा रही है।