-जानें कानपुर देहात क्षेत्र से देश की राजधानी दिल्ली तक का सफर
हीरेन्द्र सिंह राठौड़ / नई दिल्ली
‘‘हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरू पे रोती है… बड़ी मुश्किल से होते हैं चमन में दीदावर पैदा’’ जी हां आचार्य रामगोपाल शुक्ल पत्रकारिता और धर्म-कर्म के क्षेत्र का जाना-माना नाम है। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में इतना काम किया है कि इस समय वह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 17 जुलाई 1955 को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात क्षेत्र के तहसील बिल्हौर, पोस्ट अरोल के तहत अंकिन गांव में जन्मे आचार्य शुक्ल को बचपन से ही धर्म-कर्म में विशेष रूचि रही है। पतित पावनी मां गंगा के किनारे घर था, तो वहीं उन्होंने बचपन से ही ध्यान-साधना में मन लगाया। पिता स्वर्गीय श्री बाबूराम शुक्ल रामायण कथा वाचक थे, तो उन्हीं के साथ रामायण पाठ में लीन होते चले गये। इसके साथ ही संस्कृत भाषा के साथ विशेष लगाव रहा, क्योंकि बचपन से ही संस्कृत विद्यालय में पढ़ाई की है।
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आचार्य रामगोपाल शुक्ल ने अपने जीवन का बहुत सा समय प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया जगत में गुजारा है। वह 10 वर्ष दैनिक जागरण समाचारपत्र में रहे। इसके पश्चात उन्होंने साधना चैनल, ईश्वर चैनल, एटूजैड न्यूज चैनल, सुदर्शन न्यूज चैनल, कात्यायनी चैनल, वरदान चैनल में अधिकारी बतौर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। केवल यही नहीं बल्कि इनके अलावा भी कई चैनलों में उन्होंने छोटी-बड़ी जिम्मेदारियां निभाई हैं।
पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य से लेकर देश के प्रमुख पूज्य आचार्य, महामंडलेश्वर, संत-महात्मा, वैदिक विद्वानों के साथ निकट संबंध हैं। रामकथा वाचक मुरारी बापू, पूज्य रमेश भाई ओझा, पूज्य संत रामभद्राचार्य जी महाराज, पूज्य विजय कौशल जी, भागवत कथ्ज्ञा व्यास वृंदावन े पूज्य कृष्ण बिहारी शास्त्री, पूज्य सुरेशचंद्र शास्त्री, पूज्य मनोज मोहन शास्त्री के अलावा बहुत से विद्यद्वानों का आशीर्वाद प्राप्त है। आचार्य रामगोपाल शुक्ल के साथ कालिकापीठाधीश्वर श्री महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत, पूज्य महामंडलेश्वर शिवप्रेमानंद जी महाराज, यज्ञाचार्य महापंडित चंद्रमणि मिश्र, सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सुभेष शरमन का विशेष स्नेह है।
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आचार्य रामगोपाल शुक्ल कई धार्मिक-सामाजिक संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं। दिल्ली के मंदिरों के संगठन श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा दिल्ली के संस्थापक सदस्य, श्री सनातन धर्म लीला समिति राम वाटिका करोलबाग के संस्थापक सदस्य, अखिल भारतीय अर्चक महासंघ के संस्थापक महामंत्री, सर्व ब्राह्ण महासभा (राष्ट्रीय स्तर) के राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व भारती गीता रामायण संस्थान, मानस मंदिर करोलबा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और राजधानी दिल्ली व देश की करीब एक दर्जन सभाओं, संस्थाओं के ट्रस्टी हैं।
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आज जीवन के 67 वें वर्ष में होने के बावजूद वह 24 में से 16 घंटे धार्मिक, सामाजिक, प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए देते हैं। श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिरला मंदिर) और इसके प्रशासक श्री बीके मिश्र के साथ विशेष स्नेह के साथ ही श्री सनातन धर्म मंदिर गीता भवन कीर्ति नगरएवं श्री राधागोविंद मंदिर रूप नगर के साथ विशेष श्रद्धा है। गोलोकवासी पूज्य गणेश शास्त्री एवं गोलोकवासी श्री मनोहर लाल कुमार का आचार्य रामगोपाल शुक्ल के जीवन पर अमिट प्रभाव देखा जा सकता है। अपने जन्मदिन के मौके पर वह अपने समधी रविंद्र शर्मा, स्वामी आनंदाचार्य, धर्मगुरू श्री रावत जी, राधागोविंद मंदिर के श्री रमेश अग्रवाल, प्रसिद्ध अधिवक्ता संजय अग्रवाल, श्री प्रवीण गुप्ता का आभार व्यक्त करते हुए वह अपने छोटे भाई गोलोकवासी शिवगोपाल शुक्ल का स्मरण करना भी नहीं भूलते हैं।
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सेवाभावी आचार्य रामगोपाल शुक्ल सनातन धर्म, सनातन संस्कृति, संस्कृत, हिंदी, अर्चकों, विप्रों की सेवा के साथ सामाज को सुखी बनाने, देश के कल्याणार्थ, बेटियां की सुरक्षा हेतु, सीमाओं पर शांति के लिए ईश्वर के स्मरण में संलग्न रहते हैं। ऐसे आचार्य शुक्ल को उनके जन्मदिन पर हमारा कोटि-कोटि प्रणाम है।